suicide

दिल्ली के बड़े अस्पताल के एक डॉक्टर ने आत्महत्या करने के लिए हृदय की बीमारी में दी जाने वाली दो दवाएं और इंसुलिन का ओवरडोज ले लिया. इसका प्रयोग न तो पहले कभी देखा गया और न ही इस जहर को काटने की दवा यहां के डॉक्टरों के पास थी. गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने ऐसे में उपचार के लिए चारकोल डायलिसिस का इस्तेमाल किया. उनका प्रयोग सफल रहा और डॉक्टर की जिंदगी बच गई. यह रिपोर्ट हाल ही में इंडियन जर्नल ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित हुई है.

डॉक्‍टर पहले से मधुमेह का मरीज था, इसलिए रोजाना इंसुलिन का इंजेक्शन लेता था. अस्पताल के क्रिटिकल केयर विभाग के उपाध्यक्ष डॉ. सुमित रे ने बताया कि आत्महत्या के लिए उसने हृदय की बीमारी में दी जाने वाली दवा डीगॉक्सिन की 100 गोली, घबराहट की दवा प्रोप्रनोलोल की 50 गोली व इंसुलिन का 1600 यूनिट का इंजेक्शन लिया. डीगॉक्सिन के ओवरडोज से हृदय की गति रुक जाती है और इंसुलिन के ओवरडोज से शुगर की मात्रा कम हो जाती है, जिससे ब्रेन डेड हो सकता है. इन दवाओं का ओवरडोज लेने के करीब दो घंटे बाद परिजनों ने उसे आधी रात में अस्पताल में भर्ती कराया.

डॉ. सुमित ने बताया कि डीगॉक्सिन के जहर को काटने के लिए विदेश में प्रचलित फेब फैक्टर एंटीडोट दवा दिल्ली में उपलब्ध नहीं थी. इसकी एक शीशी की कीमत एक लाख रुपये है. मरीज को बचाने के लिए 15 से 20 शीशी दवा की जरूरत थी. इस कारण डॉक्टर खुद को असहाय महसूस करने लगे. कोई विकल्प न होने पर क्रिटिकल केयर, नेफ्रोलॉजिस्ट व हृदय रोग विशेषज्ञों ने चारकोल आधारित परफ्यूजन (डायलिसिस) करने का फैसला किया. इसके तहत 15 घंटे तक मरीज का डायलिसिस किया गया. इस क्रम में चारकोल एक्टीवेट परफ्यूजन के दो कार्टिज इस्तेमाल हुए. एक कार्टिज की कीमत 4500 रुपये है. प्रोप्रनोलोल व इंसुलिन का प्रभाव काटने के लिए भारी मात्रा में ग्लूकोजॉन हार्मोन इंजेक्शन व ग्लूकोज देना पड़ा.

 

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