कहा जाता है कि कुत्ते बहुत अच्छे तैराक होते हैं, लेकिन एक सूअर समुद्र पार कर एक देश से दूसरे देश पहुंच गया. जिस द्वीप पर वह पहुंचा था उस द्वीप के लोगों को यकीन नहीं हो पा रहा था कि कोई सूअर ऐसा कारनामा कैसे कर सकता है. फ्रांस के एक तट से करीब 7 मील समुद्र की दूरी तय करके इस द्वीप पर पहुंचने वाला ये सूअर लोगों में उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है. स्थानीय लोगों की हैरानी की एक खास वजह ये भी है कि ये द्वीप काफी अंदर है और यहां तक पहुंच पाना काफी मुश्किल काम है. बाहर से आने वाले यहां हेलीकॉप्टर की मदद से ही आ पाते हैं. शुरू में पानी से भीगा होने के कारण लोग इसे पहचान नहीं पाए, उन्हें लगा कि ये कोई सूअर है, लेकिन पानी सूखने के बाद पता चला कि ये एक जंगली सूअर है. लोगो को अभी तक विश्वास नहीं हो पा रहा है कि यह कैसे समुद्र तैरकर पार किया.
इतनी तीखी मिर्च कि हाथ जला देगी
क्या किसी मिर्च से आपका हाथ जल सकता है? मिर्च भी इतनी तीखी हो सकती है? लेकिन ऐसा है. ये मिर्च का पौधा ट्री ऑफ फायर नाम से मशहूर है. यह कोई आम पौधा नहीं है, बल्कि बहुत ही अनोखा है. इस पौधे पर 1000 से ज्यादा मिर्चें फलती हैं, लेकिन खास बात यह है कि इस मिर्च को नंगे हाथ नहीं पकड़ा जा सकता. आप सोच रहे होंगे कि इन मिर्चों में ऐसा क्या है? इस मिर्च को नंगे हाथ से पकड़ने पर हाथों में असहनीय जलन शुरू हो जाती है. ये मिर्च इतनी तीखी है कि इन्हें दस्ताने पहनकर ही तोड़ा जा सकता है.
ये मिर्च जालापेनो मिर्च की तुलना में 120 गुना अधिक तीखी होती है. हालांकि इसकी खेती शुरू हुए बहुत कम समय हुआ है. किसानों ने साल 2005 में इसकी खेती शुरू की थी. डोरसेट नगा नाम की इस मिर्च को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का हिस्सा बनाने के लिए भी प्रस्तावित किया गया है. इन मिर्चों को उगाने वाली जॉय मिचुएड बताती हैं कि इन्हें हाथ से पकड़ना तो संभव नहीं है, लेकिन इन्हें उठाने के दौरान आंखों में भी पानी भर जाता है. खुद को जलन से सुरक्षित रखने के लिए वो हाथों में दो-दो दस्ताने पहनती हैं और आंखों पर चश्मा लगाती हैं. उनका कहना है कि जहां मिर्च के पौधे पर आम तौर पर अधिकतम 700 मिर्च फलती हैं, वहीं इस पर 1000 से ज्यादा मिर्चें फलती हैं.
पंडित और बाराती रोबोट
आज कल दूरी और समय न मिल पाने के कारण शादियों में कम लोग ही जा रहे हैं, जिसके कारण शादियों मेहमानों कमी हो रही है. अब विज्ञान ने भी उसके लिए ने उपाय खोज लिए हैं. अब रोबोट शादियों में मेहमान बन कर आ सकते हैं. ये रोबोट साइज में तो छोटे होंगे पर कई तरह की भूमिकाओं में नजर आ सकते हैं. दो फुट का यह रोबोट पुरोहित बन सकता है, तो साथ ही दुल्हन के सहायक के रूप में भी दिखाई दे सकता है. यह मेहमानों की भी भूमिका अदा कर सकता है. इस रोबोट के अविष्कारक जॉन शिमिंग ने बताया, जब मैंने साल 2012 में पहला होम-मेड रोबोट बनाया तो मेरे दोस्त मार्क और सारा शादी के मौके पर उसकी उपस्थिति को लेकर मज़ाक कर रहे थे. मैंने उनसे कहा मैं एक परंपरागत रोबोट बना रहा हूं, लेकिन इसकी विशेषताओं का विस्तार किया जाए तो अन्य लोग भी रोबोट की सेवाएं लेने में रुचि लेंगे. जापानी पति-पत्नी तोमोहिरो शिबाता और सातोको का मानना है कि आधुनिक शादी रोबोट के बिना संभव नहीं है. साल 2010 में हुई इस जोड़े की शादी में आई-फ़ेरी नाम के रोबोट का खास योगदान था. इस रोबोट की क़ीमत तब 46,000 हज़ार यूरो थी. साल 2014 तक रोबोट के माध्यम से शादी और ज़्यादा लोगों तक उपलब्ध हो जाएगी. इस बीच ’वेडिंगबोट ऑस्कर’ रोबोट की लांचिंग के चलते लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं.
जरा हट के : सूअर ने पार किया तैरकर समुद्र
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