भारत पर स्पष्ट और आसन्न ख़तरा मंडरा रहा है. आईएसआईएस की गहरी साजिश से देश को सावधान रहना होगा. जिस तरह इराक में अल-बगदादी और आईएसआईएस के आतंकी शियाओं का ख़ात्मा कर रहे हैं, वही खेल यह संगठन भारत में भी खेलना चाहता है. वैसे, देश के मुसलमानों ने बगदादी की अपील खारिज कर दी है, लेकिन आशंका यह है कि पैसे लेकर या भाड़े के कुछ लोग उसकी साजिश में शामिल न हो जाएं और एक ऐसी साजिश को अंजाम दें, जिससे देश में हिंसा भड़क उठे. आशंका यह भी जताई जा रही है कि इस मोहर्रम में आईएसआईएस की पूरी कोशिश होगी कि देश में शिया और सुन्नी के बीच हिंसा भड़के. मोहर्रम के दौरान सरकार को सचेत रहना होगा और शिया धर्मगुरुओं की सुरक्षा पर नज़र रखनी होगी, क्योंकि चौथी दुनिया के पास कुछ ऐसी जानकारी है, जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे.
isमौलाना कल्बे रुशैद रिजवी, हिंदुस्तान के शिया धर्मगुरुओं में सबसे जाना-पहचाना नाम है. वह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य भी हैं. वह देश की सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में देश के किसी भी मौलाना से ज़्यादा मुखर हैं. वह कभी बाबा रामदेव के मंच से रामलीला मैदान में भाषण देते हैं, कभी देश में घूम-घूम कर लोगों को एकता का पाठ पढ़ाते हैं, तो कभी अन्ना हजारे के मंच से भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ते दिखाई पड़ते हैं. टीवी पर होने वाली बहसों में वह शियाओं के सबसे विश्‍वसनीय प्रवक्ता हैं. वैसे, कहना तो यह चाहिए कि मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी शिया धर्मगुरु तो हैं ही, लेकिन उनके चाहने वालों में सभी धर्मों के लोग हैं. कुछ दिनों पहले वह दिल्ली के लक्ष्मी नगर में थे. वह कार में बैठे थे. आगे ड्राइवर बैठा था. एक साथी सामने की दुकान से कुछ खरीदने गया हुआ था. अचानक से एक व्यक्ति ड्राइवर से खिड़की के शीशे को नीचे करने के लिए कहता है, साथ ही सड़क के उस पार से तीन-चार लोग कार की तरफ़ दौड़ते हुए आ रहे थे. ड्राइवर ने उन्हें देख लिया. ड्राइवर ने जल्दी से गाड़ी आगे बढ़ा दी. वह वहां से निकल गए. सवाल यह है कि उक्त लोग कौन थे? क्या वे मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी पर हमला करने आए थे? उनकी मंशा क्या थी? इन सवालों के जवाब मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी के साथ घट रही घटनाओं से मिल जाते हैं.
यह कहानी क़रीब छह महीने पहले से शुरू होती है. मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी उन दिनों अमरोहा में चुनाव प्रचार में जुटे थे. वह आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार थे. उस वक्त कुछ लोग एसएमएस और फोन पर ऑडियो-वीडियो मैसेज के प्रचार-प्रसार के लिए पैकेज बेचने आए. उसी दौरान एक व्यक्ति से उनकी मुलाकात हुई. सुरक्षा का ख्याल रखते हुए हम उसका असली नाम नहीं बता रहे हैं. इसलिए इस रिपोर्ट में हम उस शख्स को एक काल्पनिक नाम रमेश दे रहे हैं. चुनाव प्रचार के दौरान मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी को अपने फोन पर ई-मेल या मैसेज सही तरीके से नहीं मिल पा रहे थे. रमेश से बातचीत के दौरान उन्हें लगा कि वह फोन का जानकार है, तो उन्होंने अपनी यह समस्या उसे बता दी. रमेश ने कहा कि इसे ठीक करने में थोड़ा वक्त लगेगा. इतना कहकर वह चला गया. एक-दो दिन के बाद वह लौटा और उसने मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी से पूछा कि आपका ई-मेल कितनी जगहों पर कन्फीगर किया हुआ है. मतलब यह कि उनका मेल किन-किन फोन और कंप्यूटर पर खुलता है. मौलाना साहब ने कहा कि एक उनके फोन पर, दूसरा उनकी बेटी के फोन पर और शायद दिल्ली के ऑफिस में उनका ई-मेल खोला जाता है. उन्होंने कहा कि यही कोई तीन या चार जगहों पर यह मेल खुलता है. यह सुनकर रमेश ने जवाब दिया कि नहीं, आपका मेल कम से कम सात जगहों पर खोला जाता है. सात जगहों पर लगातार आपके मेल को पढ़ा जा रहा है. मतलब यह कि जो मेल मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी के पास आ रहा है, वह एक ही साथ सात अलग-अलग फोन या कंप्यूटरों पर भी जा रहा है. मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी के होश उड़ गए. अब सवाल यह है कि मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी के मेल के जरिये उनकी जासूसी कौन कर रहा था? उसका क्या मकसद था? वे कौन लोग थे, जिन्हें मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी के ई-मेल की ज़रूरत पड़ गई?
मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी को शायद पता नहीं था कि वह एक ऐसी साजिश के मोहरे बन चुके हैं, जिसके तार आतंकवादी संगठनों से जुड़े हैं. रमेश ने कहा कि वह कुछ ही दिनों में बता देगा कि उनके ई-मेल की जासूसी कौन कर रहा है. एक दिन बाद रमेश ने फोन करके मौलाना साहब को बताया कि उनका ई-मेल एक ऐसे फोन पर खोला जा रहा है, जो विदेश में है. वह व्यक्ति कौन है, कहां है, इसका पता नहीं चल पा रहा है, क्योंकि हर घंटे उसकी लोकेशन बदल जाती है. रमेश ने बताया कि यह किसी शातिर व्यक्ति का फोन है, क्योंकि वह एक घंटे पहले अमेरिका में होता है, तो आधे घंटे बाद किसी दूसरे देश में उसके फोन की लोकेशन मिलती है. साधारण तौर पर किसी भी मोबाइल की लोकेशन उसके आईपी से पता चल जाती है. जो भी मोबाइल नेटवर्क से जुड़ा होता है, उसके नज़दीकी टेलीफोन टावर से उसका पता लगाया जा सकता है. लेकिन, इस फोन की कहानी कुछ और थी. फोन जिसके पास था, वह टेलीफोन की मूलभूत तकनीक को झांसा देने में उस्ताद था. इसलिए हर आधे या एक घंटे में वह अपनी लोकेशन बदल देता था. वह अपनी लोकेशन को पूरी तरह से छिपाने में माहिर है. अब सवाल यह है कि आख़िर वह शख्स कौन है, जिसे अपनी लोकेशन छिपाने की ज़रूरत पड़ रही है. मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी को रमेश ने बताया कि वह पता करने की कोशिश कर रहा है कि आख़िर इस मोबाइल फोन का मालिक कौन है.
रमेश ने जब इस बारे में तहकीकात की, तो पता चला कि यह फोन उस्मान मलिक का है. अब सवाल है कि यह उस्मान मलिक कौन है? एक उस्मान मलिक तो वह है, जिसे आतंकवाद के मामले में ब्रिटेन की अदालत ने तीन साल के लिए जेल भेजा था. ऐसा भी हो सकता है कि यह वह उस्मान मलिक न हो. यह भी हो सकता है कि उस्मान मलिक एक फर्जी नाम हो.

अबु बक्र अल-बगदादी ने जब खुद को ख़लीफ़ा घोषित किया और इराक को एक इस्लामिक स्टेट बताया, तो उसी सांस में उसने भारत के मुसलमानों से यह अपील की थी कि वे भी उसकी लड़ाई में शामिल हों. बगदादी को शायद हिंदुस्तान की समझ नहीं है, क्योंकि जो लोग हिंदुस्तान और हिंदुस्तान के मुसलमानों को समझते हैं, वे इस बात को भलीभांति जानते हैं कि ऐसी किसी भी अपील का असर हिंदुस्तान के मुसलमानों पर नहीं पड़ने वाला है.

यह फोन किसी और का हो, जो उस्मान मलिक बनकर बात करता हो या उसने इस नाम से सिम खरीदा हो. जो भी हो, अगर एक व्यक्ति अपने मोबाइल में आईपी जम्पर लगाकर अपना ठिकाना छिपाने की कोशिश कर रहा हो, किसी दूसरे के मेल आईडी की निगरानी कर रहा हो, तो इसका साफ़ मतलब है कि उसका रिश्ता ज़रूर किसी ऐसे गैंग या संगठन से है, जो ग़ैरक़ानूनी काम करता है. आतंकी का नाम सुनते ही मौलाना रिजवी के होश उड़ गए. फिर उन्होंने अपने एक मित्र से बात की और खुफिया एजेंसियों को यह बात बताई. शुरुआती तहकीकात से पता चला कि ई-मेल का यह खेल कोई साधारण खेल नहीं, बल्कि एक पूरी योजना के तहत किया जा रहा है. खुफिया एजेंसी के लोगों ने इस गैंग की गतिविधियों पर अपनी नज़रें गड़ा दीं, तहकीकात की. भारत में इस गैंग में शामिल लोगों की पहचान भी हुई. सूत्र बताते हैं कि राजस्थान के सूरतगढ़ में इस गैंग से जुड़े पांच लोगों की पकड़-धकड़ हुई. वे लोग कौन थे? खुफिया एजेंसी उन्हें कहां लेकर गई? उन्हें क्यों पकड़ा गया? इन सारे सवालों का जवाब देश की खुफिया एजेंसी ही दे सकती है.
लेकिन, सवाल मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी का है. वह एक हाई-प्रोफाइल टारगेट हैं. अगर आईएसआईएस या अल-बगदादी इराक की तरह भारत में भी शिया-सुन्नी के बीच जंग छिड़वाना चाहता है, तो मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी जैसी हस्तियों की हत्या लोगों की भावना भड़काने के लिए काफी है. आतंकवादी संगठनों एवं आतंकवादियों का न कोई धर्म होता है और न उन्हें इंसानियत से मुहब्बत होती है. वे पैसों और सत्ता के लालच में मासूमों, बेगुनाहों का खून बहाने वाले दानव होते हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि अगर अल-बगदादी ने यह योजना बना ली है, तो इसे अंजाम देने के लिए उसके पास पैसों की कमी नहीं है. भारत में अल-बगदादी को भले ही किसी मुसलमान का साथ न मिले, किसी सुन्नी का साथ न मिले, लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि कोई पैसे लेकर उसके बहकावे में नहीं आएगा? पैसों का लालच तो लालच ही है. उसका किसी धर्म से कोई सरोकार नहीं है. लालच की चपेट में आने वाला व्यक्ति मुस्लिम भी हो सकता है और हिंदू भी उसी लालचवश इस काम को अंजाम दे सकता है.
अबु बक्र अल-बगदादी ने जब खुद को ख़लीफ़ा घोषित किया और इराक को एक इस्लामिक स्टेट बताया, तो उसी सांस में उसने भारत के मुसलमानों से यह अपील की थी कि वे भी उसकी लड़ाई में शामिल हों. बगदादी को शायद हिंदुस्तान की समझ नहीं है, क्योंकि जो लोग हिंदुस्तान और हिंदुस्तान के मुसलमानों को समझते हैं, वे इस बात को भलीभांति जानते हैं कि ऐसी किसी भी अपील का असर हिंदुस्तान के मुसलमानों पर नहीं पड़ने वाला है. हिंदुस्तान के मुसलमान अब तक अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क में शामिल नहीं हुए और वे हिंसा की हमेशा भर्त्सना करते रहे हैं. अल-बगदादी ने जब खुद को ख़लीफ़ा घोषित किया था, तब कुछ मौलवियों ने सही जानकारी के अभाव में उसे समर्थन दे दिया था. देश का माहौल बिगड़ा, कुछ शिया मौलानाओं की तरफ़ से भी बयानबाजी हुई. लेकिन, यह कहना पड़ेगा कि भारत के मुसलमानों ने अल-बगदादी की अपील को न स़िर्फ नकारा, बल्कि उसकी और उसके समर्थकों की जमकर निंदा की. हालांकि, कुछ युवा भ्रमित होकर इराक जाकर लड़ने की बात करने लगे थे. बस ख़तरा इसी बात से है कि कहीं आईएसआईएस पैसे देकर या बहला-फुसला कर एक-दो लोगों को अपनी साजिश का मोहरा न बना ले. लेकिन, जैसे-जैसे अल-बगदादी और आईएसआईएस के दानवी कृत्यों की ख़बरें आने लगीं, तो जो एक-आध समर्थन था, वह भी चला गया. जिन लोगों ने बयान दिए थे, उनका मखौल उड़ने लगा. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आईएसआईएस या अलकायदा के मंसूबों में कोई कमी आई है.
बगदादी और उसके संगठन आईएसआईएस ने जो इस्लामिक राज्य का नक्शा जारी किया, उसमें हिंदुस्तान भी शामिल है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआईएस भारत में आतंकियों की टुकड़ी तैयार कर रहा है. इसमें यह बताया गया है कि कुछ भारतीय आतंकी भारत लौटकर यहां आईएसआईएस की गतिविधियों को अंजाम देंगे. दरअसल, भारत दुनिया का दूसरा ऐसा देश है, जहां जनसंख्या के हिसाब से सबसे ज़्यादा शिया मुसलमान रहते हैं. आईएसआईएस इराक में शियाओं के ख़िलाफ़ हिंसा कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को यह सुझाव दिया है कि आईएसआईएस और अलकायदा की मध्य एशिया में चल रही गतिविधियों पर चिंतन करने की ज़रूरत है, क्योंकि आईएसआईएस साउथ एशिया के लिए एक ख़तरा बनकर उभर रहा है. सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को यह भी जानकारी दी है कि आईएसआईएस और अल-बगदादी ने इराक और सीरिया में लड़ रहे भारतीय आतंकियों को वापस भारत लौटकर भारत में अपनी गतिविधियां जारी रखने की ज़िम्मेदारी सौंपी है. जानकारों की मानें, तो आईएसआईएस अब तक का सबसे अमीर, संगठित और प्रशिक्षित आतंकी संगठन है. उसके पास अकूत पैसा और हथियार हैं. इसलिए आईएसआईएस की क्षमता को कम आंकना भारत की सबसे बड़ी भूल होगी. इसमें कोई शक नहीं है कि आईएसआईएस हरसंभव कोशिश करेगा कि वह भारत में अपनी पैठ जमाए.
शियाओं का सबसे महत्वपूर्ण पर्व मोहर्रम कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है. शियाओं के लिए यह मातम मानने का मौक़ा है. कई जगहों पर वे इकट्ठा होते हैं, धार्मिक जलसों में शामिल होते हैं और फिर ताजिए निकलते हैं. कहने का मतलब, किसी भी आतंकी संगठन के लिए यह सबसे सुविधाजनक मा़ैका है. इस दौरान फेंकी गई जरा-सी चिंगारी को जंगल की आग की शक्ल लेने में जरा भी देर नहीं लगेगी. इसलिए सरकार को चाहिए कि वह सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को इस ख़तरे से आगाह रखे. यह इसलिए भी ज़रूरी है कि मोहर्रम के दौरान ही सही ढंग से पता चलेगा कि आईएसआईएस भारत को लेकर जो कुछ कहता है, उसमें कितना दम है. दम है भी या नहीं. या फिर वह स़िर्फ सीडी और वीडियो के जरिये अपनी दुकान चलाने के लिए महज हवाई किले बनाता रहता है. यह भी पता चल जाएगा कि उसकी आवाज़ को कोई सुनने वाला भारत में है भी या नहीं.


आईएसआईएस की गतिविधियां 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही यह कह दिया हो कि भारत के मुसलमान अलकायदा को सबक सिखाएंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अलकायदा या आईएसआईएस जैसे संगठनों ने भारत में अपनी गतिविधियां ख़त्म कर दी हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआईएस के भारतीय मूल के दो आतंकी लोगों को संगठन में शामिल करने का काम कर रहे हैं. इसमें जो खुलासे हुए हैं, वे चौंकाने वाले हैं. हैदराबाद निवासी इंजीनियरिंग के चार छात्रों को पश्‍चिम बंगाल में गिरफ्तार किया गया, जो देश की सरहद को पार कर आतंकी संगठन में शामिल होने जा रहे थे. जयपुर में भी जो लोग पकड़े गए, वे भी इंजीनियरिंग के छात्र हैं. हाल में ही ख़बर आई है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी गुट अलकायदा ने मणिपुर के 17 लड़कों को दक्षिण एशिया में जिहाद के नाम पर भर्ती किया है. हालांकि, भारत में इस आतंकी गुट की नापाक साजिश को उस वक्त गहरा आघात लगा, जब इनमें से 4 लड़के पाकिस्तानी ट्रेनिंग कैंप से बचकर वापस आ गए. इन लड़कों ने खुफिया एजेंसी को जानकारी दी है कि वहां बचे 13 लड़के भी वापस आना चाहते हैं. इस सूचना के बाद गृह मंत्रालय ने अलकायदा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया आईएसआईएस) के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. ख़बर यह भी आई है कि दक्षिण एशिया में अपने संगठन को मजबूत करने और लड़कों की भर्ती संबंधी जारी की गई सीडी असली है. सूत्रों के मुताबिक, भारत में गजबा-ए-हिंद और बैटल ऑफ खुरसान नामक दो सक्रिय संगठनों का पता चला है, जो उत्तर-पूर्व के राज्यों से लड़कों को भर्ती करने की योजना पर काम कर रहे हैं.

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