youthभेदभाव खत्म करे सरकार

रोहित वेमुला जैसे छात्र, बल्कि किसी भी छात्र के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए. रोहित के साथ जो हुआ, वैसे सामाजिक भेदभाव की पुनरावृत्ति भविष्य में न हो. जेएनयू के छात्रों पर लगे देशद्रोह के मामले वापस लिए जाएं. सरकार का हस्तक्षेप खत्म हो. हम बदलाव के लिए लड़ रहे हैं, न कि किसी व्यक्ति विशेष के लिए. अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानेगी, तो हम जनता के पास जाएंगे. सरकार हमारी मांगों के प्रति गंभीर नहीं है, इसलिए उससे कोई खास उम्मीद नहीं है. उम्मीदें जनता से हैं, खुद से हैं. उमर खालिद या अन्य छात्र सुरक्षा कारणों से परिसर से गायब थे. जब मामला ठंडा पड़ा, सुरक्षा मिली, तो वे वापस आ आए.

-जाबाज, जेएनयू छात्र.

साज़िश

सरकार ने साज़िश के तहत कन्हैया को फंसाया है. कन्हैया ने जेएनयू में किसी तरह का देशद्रोही नारा नहीं लगाया था. जेएनयू के छात्र देशभक्त हैं. हम कन्हैया की रिहाई तक संघर्ष करते रहेंगे.

देवीदीन, बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्‌स एसोसिएशन (बीएपीएसए), जेएनयू.

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खाली पद भरे जाएं

देश के विश्वविद्यालयों में अल्पसंख्यकों, पिछड़ों एवं छात्राओं के साथ जो भेदभाव हो रहा है, वह ़खत्म किया जाए. शिक्षण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में रिक्त पड़े पद भरे जाने चाहिए.

-आकाश गौतम,

बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्‌स एसोसिएशन (बीएपीएसए), जेएनयू.

कन्हैया ग़रीबी के खिलाफ लड़ता है

रोहित वेमुला पीएचडी छात्र था. जब उसके जैसे छात्र को टॉर्चर और आत्महत्या करने को मजबूर किया जा सकता है, तो एक आम छात्र की बिसात क्या है. कन्हैया मेरा जूनियर है, उसे मैं भलीभांति जानता हूं. वह ग़रीबी और भुखमरी के खिलाफ लड़ता है. वह देश के खिलाफ कभी भी नारे नहीं लगा सकता. यह सारा दुष्प्रचार मीडिया का है.

-डॉ. दशरथ, बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्‌स एसोसिएशन (बीएपीएसए), जेएनयू.

सब कुछ जल्दबाजी में किया गया

धरना-प्रदर्शन हमारा संवैधानिक अधिकार है. कोई किसी के पक्ष में भी बोल सकता है और विरोध में भी. रोहित वेमुला को देश विरोधी करार दिया गया, उसे हॉस्टल में प्रवेश नहीं करने दिया गया. जेएनयू प्रकरण में इतनी जल्दबाजी हुई कि कुछ भी समझ में नहीं आया. मीडिया के कुछ लोग कुछ ही पलों में फैसले तक सुना देते हैं, वकील ऊल-जुलूल बयान देते हैं. जहां तक जेएनयू में देश विरोधी नारे लगने की बात है, तो मैं उस दिन परिसर में नहीं था. लेकिन, मैं कह सकता हूं कि परिसर में देश विरोधी नारे नहीं लगे होंगे. फुटेज की सही तरीके से जांच होनी चाहिए. हमारे यहां न्यायपालिका है, उसे फैसले सुनाने दें, न कि खुद किसी ़फैसले तक पहुंच जाएं.

-अमन, जेएनयू.

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