भारत की अर्थ व्यवस्था की स्थिति अत्यन्त चिंताजनक है ।सकल घरेलू उत्पाद में अब तक की सर्वाधिक गिरावट हुई है ।यह गिरावट वर्ष ,2017 में जुलाई माह से ही जारी है ।देश की अर्थ व्यवस्था पर संकट गहराता ही जा रहा है ।सरकार को इस सम्बन्ध में श्वेत पत्र जारी करना चाहिए ।अब सिर्फ एक ही मन मर्जी पर रोक लगना चाहिए ।सरकार को पारदर्शिता के साथ विपक्ष और जनता को विश्वास में लेकर संकट के समाधान हेतु सामूहिक प्रयास करना चाहिए ।इसके साथ ही अब निजीकरण पर रोक लगना चाहिए ।असंगठित क्षेत्र को सम्मान जनक आर्थिक मदद तत्काल देना चाहिए ।सार्वजनिक उपक्रमों को विकसित करने की योजना बनाना चाहिए ।निजीकरण को बढ़ावा देने से ही अर्थ व्यवस्था पर संकट गहराता जा रहा है।लेकिन इस सरकार से निजीकरण पर रोक लगाने की उम्मीद करना बेकार है ।अब जनता का व्यापक प्रतिरोध होना ही चाहिए ।यह प्रतिरोध आगामी चुनावों में सत्ता परिवर्तन के लिए बेहद जरूरी है ।जनता का मोह भंग हो रहा है ।

शैलेन्द्र शैली

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