पति लगा रहे हर चौखट पर गुहार, नहीं हो पा रही सुनवाई

भोपाल। Corona योद्धा के नाम पर कई सुविधाओं और सम्मान की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणाएं लालफीताशाही की शिकार होती नजर आ रही हैं। महामारी के मुश्किल समय में अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों के स्वास्थ्य के लिए जूझती रही एक महिला अधिकारी की मौत के बाद उसका जायज हक नहीं मिल पाया है। खुद को लाचार महसूस कर रहे परिजन अब हर दर पर दस्तक दे रहे हैं, लेकिन कहीं से कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है।

जानकारी के मुताबिक प्रीति खरे भोपाल के हुजूर तहसील में पटवारी के पद पर पदस्थ थीं। अपनी ड्यूटी के पालन में वे
12 नवंबर 2020 को कोरोना से पीड़ित हो गईं। लंबे इलाज के बाद 1 दिसंबर 2020 को उनकी मृत्यु हो गई। वे लगभग 12 दिन तक वेंटीलेटर पर रहीं थी। स्व प्रीति के परिवार में दो छोटी बेटियां हैं। पति मुकेश खरे कहते हैं कि उनके पास जो जमा पूंजी थी, वह पत्नी के इलाज में खर्च हो गई। इलाज में खर्च हुए करीब 8-9 लाख रुपए की व्यवस्था में वे कर्जदार भी हो गए और मानसिक और आर्थिक रूप से टूट भी गए है।

लगी रहीं सतत सेवा में

स्व प्रीति के पति मुकेश खरे का कहना है कि उनकी पत्नी कोरोना आरम्भ होने से निरंतर कोरोना से संबंधित ड्यूटी करती रही थीं। उन्होंने भोपाल के नाके पर चैकिंग के लिए, गांव में कोरोना की जांच करवाने में और राजस्व विभाग के सभी कार्यो में कोरोना काल में शासकीय कार्य किया था। कोरोना से पीड़ित होने के कुछ दिन पूर्व ही वे डॉक्टर की टीम के साथ गांव में ग्रामीणजनों की कोरोना की जांच करवाने में सहयोग कर रहीं थी। ऐसे कार्य में ही वे कोरोना से पीडित हो गई थीं।

नहीं मिला योजना का लाभ

मध्यप्रदेश शासन ने कोरोना काल मे एक योजना चालू की थी, जिसमे किसी भी सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान कोरोना से पीड़ित होने और मृत्यु होने पर उनके परिवार को आर्थिक सहयोग देने का प्रावधान था। जानकारी के मुताबिक शासन ने ये योजना 31 अक्टूबर 2020 को समाप्त कर दी थी।जबकि उसके बाद कोरोना निरन्तर बना रहा और लोगों की मृत्यु भी होती रही।

प्रस्ताव गया, फिर अटक गया

भोपाल कलेक्टर ने एक प्रस्ताव शासन को इस योजना की वृद्धि करने के लिए भेजा था। परन्तु प्रमुख सचिव राजस्व ने उसे निरस्त कर दिया। इसके बाद शासन ने 01 अप्रैल 2021 से कोरोना योद्धा योजना को पुनः आरंभ कर दिया है। परंतु 30 अक्टूबर 2020 से 01 अप्रैल 2021 की अवधि में मृत हुए कर्मचारियों के लिए इस योजना में कोई प्रावधान नहीं है।

दर्जनों आवेदन, कई सिफारिशें

मुकेश खरे अपनी पत्नी के अधिकार के लिए मुख्यमंत्री से लेकर कलेक्टर तक को आवेदन दे चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के अलावा कई कर्मचारी संगठन स्व प्रीति को योजना का लाभ देने की सिफारिश कर चुके हैं लेकिन उनके आवेदन को अब तक उचित ठिकाना नहीं मिल पा रहा है।

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