यह कैसी विसंगति है कि तथाकथित राष्ट्रवादी और देश भक्ति का दंभ भरने वाले लोग अपने आचरण में वे तमाम काम करते हैं,जिससे देश कमजोर होता है । ऐसे लोग नफरत की राजनीति में शामिल होते हैं। जातिवाद और क्षेत्रीयता को बढ़ावा देते हैं ।अल्प संख्यकों विशेषकर मुसलमानों और ईसाइयों को अपमानित और प्रताड़ित करते हैं ।भ्रामक दुष्प्रचार नियमित रूप से करते हैं ।समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ माहौल बनाने की साजिशों में शामिल होते हैं । एक ही तरह की संस्कृति सारे देश पर थोपना चाहते हैं । ऐसे लोग वे तमाम काम करते हैं ,जिससे देश की एकता कमजोर होती है और भाईचारा ,सहिष्णुता समाप्त होती है ।

इतना ही नहीं ,यह तथाकथित राष्ट्रवादी कभी भी जन विरोधी आर्थिक नीतियों और प्रतिगामी प्रवृत्तियों का प्रतिरोध नहीं करते ।किसानों ,मजदूरों ,कर्मचारियों के खिलाफ काले कानूनों को थोपे जाने पर भी संवेदनहीन बने रहते हैं ।निजीकरण और सरकारी संपत्ति ,संस्थानों ,उपक्रमों को बेचे जाने का कोई प्रतिरोध नहीं करते । ऐसे लोगों को इतिहास की कोई वैज्ञानिक समझ नहीं होती ।तर्क संगत विचारों से कोई लेना देना नहीं होता ।ऐसे लोग भारत को कमजोर करते हैं , और भारत माता की जय का नारा भी लगाते हैं । यह कैसी विसंगति और दोहरा चरित्र है ?

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