मोदी देश को चार वोटर‌ वर्ग से देखते हैं। पहला लाभार्थी वर्ग, जो लालच और मजबूरी में फंसा है और जिसे इसीलिए कैसे भी और किसी भी दिशा में मोड़ा जा सकता है।‌ इस अनपढ़ और गरीब आदमी को जीवन भर रोटी या अनाज की भीख देते रहा जाए तो उसे किसी तरह का फर्क नहीं पड़ेगा और वह सदा के लिए आपका एहसानमंद हो जाएगा। रोटी या अनाज देकर उसमें राष्ट्रवाद की भावना आसानी से और पुख्ता तरीके से सीमेंट की तरह से बैठाई जा सकती है। लेकिन यह भी उतना सही है कि इस वर्ग को आप हमेशा के लिए नहीं खरीद सकते। उसके लिए आपको निरंतर अपनी सेवाएं देते रहना पड़ेगा । मोदी ने यह कह कर झमेला ही मोल लिया है कि मैंने देश में अस्सी करोड़ लोगों को लाभार्थी बनाया है। बिना इस बात की परवाह किए कि दुनिया में क्या संदेश जाएगा। यानी अस्सी करोड़ लोग आपके यहां गरीब या गरीबी रेखा से नीचे जी रहे हैं। पर मोदी के लिए यह कोई समस्या नहीं। दुनिया को सोचना है तो सोचती रहे ।
दूसरा वर्ग है आरएसएस की अनुषंगी संस्थाओं का और आईटी सेल का । जिसकी तरफ मोदी को न देखना है न सोचना है। इस वर्ग का धर्म है मोदी और भाजपा को ऊपर उठाए और बनाए रखने का ।
तीसरा वर्ग है उन लोगों का जिन्हें गरीब और गरीबी से घोर नफरत है। वे न तो गरीब को देखना चाहते हैं और न उसकी गरीबी पर बात करना चाहते हैं। वे साल भर चलने वाले उत्सवों और तमाम तरह के ‘डेज़’ में मस्त रहना चाहते हैं। चाहे इंटरनेशनल ‘डॉग डे’ यानी कुत्ते का दिन ही क्यों न हो। वे मस्त तरीके से मनाते हैं। ये बड़ी बड़ी सोसायटीज में जीने मरने वाले लोग हैं। जिन्हें सिर्फ चमचमाते हुए हिंदुस्तान से मतलब है। बड़े बड़े मॉल से मतलब है। इनके पास पानी की तरह पैसा आता है। और वे उसे पानी की तरह ही बहाना पसंद करते हैं। दिखावा इनका प्रिय शगल होता है। दुनिया इस वर्ग के लिए मुठ्ठी में है इसीलिए इनके बच्चे और इनका कारोबार विदेशों में होता है। और इस सब पर इन्हें भरपूर फख्र भी है। इस वर्ग को खुश करने के लिए मोदी ने नितिन गडकरी को लगा रखा है। चमचमाती सड़कें, बड़े बड़े शानदार हाइवे । सब मोदी के खाते में। भ्रष्टाचार इस वर्ग का बड़ा औजार है वह जान चुका है कि मोदी को भ्रष्टाचार से कोई परहेज़ नहीं है। इसीलिए वोट फॉर मोदी की ढपली यह वर्ग बजाता रहता है। इस वर्ग के लिए महंगाई, पेट्रोल और टमाटर आदि की बढ़ी कीमतों के कोई मायने नहीं।
मोदी का चौथा और इन तीनों ऊपर के वर्गों में मिला जुला वोटर वर्ग वह है जिसे हिंदू होने पर गर्व है और जो मुसलमान को जबरन इस देश में बैठा हुआ मान कर उससे चिढ़ता है। वह चाहता है या तो मुसलमान इस देश को छोड़ किसी भी मुस्लिम मुल्क में जा बसे या हमारी छत्रछाया में दब कर रहे। इस वर्ग में युवाओं से ज्यादा अधेड़ और घर के बुजुर्ग लोग हैं जो एक बार दिमाग में जो कुछ ठान लेते हैं जिंदगी भर उसी राह पर चलते हैं। इस वर्ग के लिए मोदी 2002 से ही देव समान रहे हैं। यह वर्ग मोदी को पूजने की हद तक जा सकता है। क्योंकि इस वर्ग को लगता है बरसों बरस में पहली बार ऐसा शासक आया है जिसने तन मन से कट्टर हिंदुओं की सुध ली है और यही वह शासक है जो मुसलमानों को सबसे अच्छा सबक सिखा सकता है। मोदी ने भी इस वर्ग का अच्छा दोहन किया है।
इस तरह इन चार वर्गों को साध कर चलना ही मोदी का असल फार्मूला है। उन्हें मालूम है कि जब तक वे सेक्यूलरवादियों के खिलाफ देश में नफरत नहीं भरेंगे तब तक उनका मिशन पूरा नहीं हो सकेगा। इस नीति पर वे बड़ी शान से और ढिठाई के साथ चलते हैं।
लेकिन अब उनकी ढिठाई के साइड इफेक्ट या कहिए दुष्परिणाम बड़ी तेजी से सामने आने लगे हैं। जब भी कोई शासक खुद को खुदा से ऊपर मानने लगता है तो उसको उसके किये के दुष्परिणामों को भी झेलना पड़ता है। बेतहाशा बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को अपनी अकड़ में नजरंदाज करना मोदी पर भारी पड़ने लगा है। दूसरी ओर नौ दस सालों में पहली बार बिखरे हुए विपक्ष ने मोदी को एकमात्र दुश्मन मान कर एक साथ आने की सुध ली है। और अपने मिशन को I.N.D.I.A नाम देकर मोदी की नींद ही उड़ा दी है। इसका INDIA बोला जाना स्वाभाविक है। विपक्ष यानी इंडिया। तो मोदी या बीजेपी फिर क्या है। मोदी की नींद उड़ने के प्रकरण से पूरे देश में धीरे धीरे मोदी के खिलाफ उफान आ रहा है। इसका आकलन अभय कुमार दुबे बड़े अच्छे से करते हैं। कल लाउड इंडिया टीवी के कार्यक्रम में संतोष भारतीय के सवालों का जवाब देते हुए अभय दुबे ने इस विषय पर अच्छा लेकिन संक्षिप्त विश्लेषण किया। लगे हाथ बता दें कि मजदूर यूनियनों की अभय जी से जो शिकायत रही उस पर भी उन्होंने स्पष्टीकरण दिया। उनका कहना था कि ये मजदूर यूनियनें चुनाव आते ही सक्रिय हो जाती हैं । इस पर यूनियन नेताओं ने आपत्ति की । उनका कहना था कि हमें अपने मजदूरों के भी हित देखने होते हैं। अभय जी मजदूर यूनियनों की हड़तालों को किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में देखते हैं। अर्थात अपने मुद्दों को जन संघर्ष या जनहित में जोड़ कर मजदूर यूनियनें देखें । किसान आंदोलन ने भी यही किया था। लेकिन हमारा सवाल है कि मजदूर यूनियनें यह भी तो कह सकती हैं कि हम ही से यह उम्मीद क्यों की जाए । होना तो यह चाहिए कि समाज का हर पीड़ित वर्ग अपने साथ समाज के मुद्दों को भी जोड़ कर सड़कों पर निकले। खैर । अपनी बात में लाउड इंडिया टीवी की बात आ गई।
तो इस तरह ‘इंडिया’ के स्वरूप में आने से आने वाले सभी चुनावों के लिए मोदी की हताशा साफ देखी जा सकती है। फिर भी मोदी को अपने इन चार वर्गों के वोटरों पर भरोसा है। कम से कम दूसरा और तीसरा वर्ग तो कहीं गया नहीं। चौथे वर्ग के लिए अयोध्या में राम मंदिर भव्यता के साथ बनाया जा रहा है जो जनवरी तक पूरा हो ही जाएगा। तीसरे वर्ग के लिए जी 20 सम्मेलनों की होने वाली ‘धाक’ है ही । सारा कुछ दारोमदार विपक्ष के अंकगणित और कैमिस्ट्री पर निर्भर करता है। अंकगणित यानी वोटों का तालमेल। कैमिस्ट्री की ज्यादा उम्मीद मत कीजिए। पर फिलहाल ईडी और सीबीआई के डर ने कैमिस्ट्री का कच्चा ही सही आधार तो बनाया ही है। चौबीस के चुनावों तक यह आधार सुनिश्चित है। यह एका चलता रहा तो चौबीस की तस्वीर कुछ दूसरी भी हो सकती है।
नयी फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ पर कल ‘सिनेमा संवाद’ में अच्छी चर्चा हुई। यह फिल्म जिज्ञासा जगाती है। हमारे जैसे छोटे शहर में तो यह आएगी भी या नहीं पता नहीं। लेकिन मोबाइल पर न देखने की हिदायत कल जवरीमल पारेख ने दी । हिदायत नहीं थी बल्कि उन्होंने यह बताया था कि मोबाइल पर आप इस फिल्म का भरपूर आनंद उठा ही नहीं सकते हैं। कभी कभी कोई व्यक्ति बोर करता है। जैसे कल दूसरे राउंड में अमिताभ का सवाल कुछ और था लेकिन नये शरीक हुए सज्जन आशुतोष ने कुछ और ही जवाब दिया। ऐसी चीजें ‘इरिटेट’ करती हैं। बहरहाल, कुल मिलाकर चर्चा अच्छी रही ।
अब आने वाले नये नजारे देखिए और कल का नजारा भी जब पुणे में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में उनकी महत्वपूर्ण (??) उपलब्धियों के लिए लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा और कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे (विपक्षी ‘इंडिया’ के एक महत्वपूर्ण स्तंभ) शरद पवार। होता है, ऐसा भी होता है।‌ देखिए आगे आगे और भी क्या होता है। लेकिन यूट्यूब पर आने वाली बहसों से तो हम आजिज़ आ ही गये । कभी कभी तो लगता है कि लंबी तान कर सो जाया जाय और सीधे चौबीस के चुनावों में ही जागें। तब तक की वाहियात राजनीतिक चर्चाओं से दिमाग को मुक्ति मिलेगी।

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