बाहरी प्रदेशों से आने वालों पर सीमाओं पर हो रही निगरानी
भोपाल। कोविड से बने मुश्किल हालात से बचने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। दवाओं और दुआओं की कोशिशों के बीच अहतियाती कदम भी संक्रमण फैलने से रोकन के लिए कारगर बनें, इसकी कोशिशें तेज हो गई हैं। प्रदेश को छूने वाली गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ की सीमाओं पर आते-जाते हर व्यक्ति पर नजर रखी जा रही है। इनकी मॉनिटरिंग, थर्मल स्कैनिंग से लेकर उनको जरूरी समझाईश भी इस दौरान दी जा रही है।
राजस्थान और गुजरात की सीमाओं पर स्थित थांदला इन दिनों सतर्कता के नजारे देखने को मिल रहे हैं। यहां स्थापित की गई चौकी पर आने-जाने वाले हर व्यक्ति का सूक्ष्म चिकित्सा परीक्षण किया जा रहा है। साथ ही आने-जाने के उचित कारण की जांच भी की जा रही है। संक्रमण से बचाने के लिए प्रशासन सक्रिय दिखाई दे रहा है। नगर के दोनों सीमावर्ती राज्य राजस्थान व गुजरात बॉर्डर पर स्वास्थ्य विभाग, पुलिस व राजस्व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है जो मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश करने वाले हर नागरिकों की स्क्रीनिंग कर उनके आने जाने का कारण आदि जानकारी ले रहे है। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान कई लोगों के पास स्वास्थ्य प्रमाण पत्र न होने या उनकी यात्रा के उचित दस्तावेज न होने के कारण उन्हें सीमा से ही वापस भी लौटा दिया गया।
सतर्कता के बाद भी जिले में घुस आया संक्रमण
सारी सतर्कता के बाद भी अन्य प्रदेशों से लोगों की आवाजाही ने झाबुआ जिले में संक्रमण के बीज रोप दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि जिले में संक्रमण के हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि स्वास्थ्य विभाग के कई कर्मचारी-अधिकारी बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें जिले के स्वास्थ्य अधिकारी खुद भी शामिल हैं। हालांकि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं हो पाया है लेकिन जिला प्रबंधन ने माना है कि पिछले एक माह में झाबुआ जिले में संक्रमण तेजी से फैला है।
बढ़ाई जा रहीं व्यवस्थाएं
कोरोना संक्रमण को देखते हुए झाबुआ में आइसोलेशन केंद्र व आईसीयू वार्ड पर काम चल रहा है। सूत्रों की मानें तो जिले में सैंकड़ो मरीज कोरोना की चपेट में आए हुए हैं, जिनमें कुछ ऐसे भी हैं, जिनका ऑक्सीजन लेवल कम है या अस्थिर है तो कुछ ऐसे भी हैं, जिनको कभी भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है लेकिन जिला अस्पताल में इसके पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। जिले में बेड की भी कमी है। थांदला और आसपास के कुछ मरीजों का कहना है कि उन्हें निजी अस्पताल में ईलाज करवाना पड़ रहा है, जहाँ शासकीय दर के स्थान पर अतिरिक्त दरों वाला बॉण्ड भरवाया जा रहा है और मनमानी राशि वसूली जा रही है। गौरतलब है कि झाबुआ में करीब 50 लाख की लागत से कोविड सेंटर बनाया जा चुका है लेकिन बड़े मंत्री से इसके शुभारंभ के चक्कर में इसे चालू नहीं किया गया है।