Kasganjगणतंत्र दिवस पर राष्ट्रभक्ति के उन्मादी प्रदर्शन के दौरान हुए उपद्रव के बाद उत्तर प्रदेश का कासगंज शहर जल उठा. शहर के बड्‌डू नगर स्थित वीर अब्दुल हमीद तिराहा पर हिंदूवादी संगठनों और मुस्लिम समुदाय के युवक आमने-सामने आ गए. जिसके बाद शुरू हुई पथराव, फायरिंग व आगजनी की वारदातों में एक युवक की जान चली गई. मुस्लिम समुदाय का एक युवक गोली लगने से घायल हुआ. एक दर्जन दुकानों को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया और दर्जनों वाहनों में तोड़फोड़ व आगजनी की वारदातें हुई. प्रशासनिक लापरवाही से उपद्रव इतना बड़ा हुआ कि शहर के हालात बेकाबू होते चले गए. इन वारदातों के लिए जिम्मेदार मानते हुए सरकार ने कासगंस के एसपी सुनील कुमार सिंह का तबादला कर दिया है.

पुलिस के अनुसार गणतंत्र दिवस के दिन करीब 10 बजे हिंदूवादी संगठनों के युवा करीब चार दर्जन बाइकों पर सवार होकर तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे. तिरंगा यात्रा जब बड्‌डू नगर के वीर अब्दुल हमीद तिराहा पर पहुंची, तो वहां गणतंत्र दिवस की तैयारियों में जुटे मुस्लिम समुदाय के युवाओं से उनका सामना हो गया. जिसके बाद यात्रा तिराहा से गुजारने को लेकर विवाद शुरू हो गया. दोनों समुदायों के युवकों की जिद के बाद विवाद बढ़ गया और मारपीट व पथराव शुरू हो गया. इस दौरान युवक तीन दर्जन बाइक मौके पर ही छोड़ कर भाग खड़े हुए. विवाद की सूचना जैसे ही शहर में लोगों को हुई तो बिलराम गेट चौराहा पर युवकों ने आधा दर्जन वाहनों में तोड़फोड़ कर दी.

गणतंत्र दिवस की परेड में मौजूद डीएम आरपी सिंह व एसपी सुनील कुमार सिंह उपद्रव शुरू होने की सूचना पर जब मौके पर पहुंचे, उस समय तक शहर में हिंसा शुरू हो गई थी. शहर के बिलराम गेट व तहसील रोड पर उपद्रव शुरू हो चुका था. पुलिस की कमी से अधिकारी समझ ही नहीं पा रहे थे कि इस उपद्रव को कैसे रोकें. करीब 11.30 बजे दो समुदायों के युवा तहसील रोड पर फिर आमने सामने आ गए. इस भिड़ंत में पथराव व फायरिंग शुरू हो गई और फायरिंग में चंदन उर्फ अभिषेक व नौशाद को गोली लग गई. पुलिस चंदन को जिला चिकित्सालय ले गई, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और नौशाद को उपचार के लिए अलीगढ़ मेडीकल कालेज रेफर कर दिया.

शहर के साहबवाला पेंच निवासी चंदन उर्फ अभिषेक पुत्र सुशील गुप्ता की मौत की सूचना जैसे ही स्थानीय लोगों को हुई, शहर में आक्रोश फैल गया. गणतंत्र दिवस के दिन से शुरू हुई हिंसा ने उग्र रूप धारण कर लिया. शहर के बारहद्वारी पर उपद्रवियों ने पुलिस की मौजूदगी के बाद भी मुस्लिम समुदाय की पांच दुकानों को आग के हवाले कर दिया. कासगंज में हुई हिंसा में मुस्लिम समुदाय के तीन धर्मस्थलों को आग लगाने की कोशिश और उनमें तोड़फोड़ की गई. हिंसा पूरे शहर में फैल चुकी थी और अघोषित कर्फ्यू के बावजूद उपद्रवी पुलिस को चकमा देकर आगजनी की वारदातों को अंजाम देते रहे.

शहर में हुई हिंसा में दो दर्जन छोटी व बड़ी दुकानों को आग लगाई गई. शहर के मनौटा गली में एक मकान समेत दो मकानों में आगजनी, तीन निजी बसों और दर्जन भर अन्य वाहनों में तोड़फोड़ हुई. शहर में अलीगढ़ मंडल के आयुक्त सुभाषचंद्र शर्मा, एडीजी अजय आनंद, चार जनपदों के एसपी, दर्जन भर एएसपी और दो दर्जन डीएसपी ने डेरा डाल दिया. उपद्रव को रोकने के लिए शहर में तीन कंपनी आरएएफ, पांच कंपनी पीएसी व आस-पास के जनपदों का पुलिसबल भी तैनात किया गया.

चंदन को शहीद का दर्जा देने की मांग ने ज़ोर पकड़ा

गणतंत्र दिवस पर हुए उपद्रव में चंदन गुप्ता की मौत की सूचना के बाद शहर में हाहाकार मच गया. चंदन के परिजनों एवं हिन्दूवादी संगठनों ने उसे शहीद का दर्जा दिए जाने व आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग शुरू कर दी. दंगे के तीसरे दिन सरकार ने चंदन के परिजनों को 20 लाख रुपए का चेक अमांपुर के विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा भिजवाया. परिजनों ने पहले तो चेक लेने से इंकार कर दिया लेकिन स्थानीय नेताओं के समझाने के बाद चेक स्वीकार कर लिया. परिजनों की अन्य मांगें अभी भी बाकी हैं. चंदन के परिजन उसकी मौत को शहीद की मौत मान रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि उसे शहीद का दर्जा दिया जाए. चंदन की मौत के बाद सांसद राजवीर सिंह ने भी एक लाख रुपए नगद उसके परिजनों को भिजवाए. अमांपुर के विधायक ममतेश शाक्य ने भी उन्हें एक लाख रूपए का चेक दिया है.

चंदन के पिता का कहना है कि चंदन बी-कॉम प्रथम वर्ष का छात्र था. उसका सपना सीए बनकर परिजनों एवं कासगंज का नाम रौशन करने का था. चंदन समाजसेवा के कार्यों में भी अग्रणी रहता था और उसमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई थी. इसी वजह से चंदन गणतंत्र दिवस के दिन यात्रा में शामिल होने गया था. इसी दौरान तहसील रोड पर हुई फायरिंग में उसे गोली लग गई और उसकी मौत हो गई. चंदन के पिता कहते हैं कि चंदन संकल्प नामक समाजसेवी संस्था से जुड़ा था. इसी संस्था के माध्यम से गरीबों की सेवा के लिए वह हमेशा तत्पर रहता था. चंदन के फेसबुक एकाउंट पर उसकी समाज सेवा से सम्बन्धित तस्वीरें इस बात की तस्दीक कर रही हैं. चंदन की मौत के बाद परिजन उसे भुला नहीं पा रहे हैं. जिस तिरंगा झंडे को लेकर चंदन यात्रा में गया था. उसकी मां संगीता गुप्ता के लिए अब वही तिरंगा झंडा उसकी याद दिला रहा है. तिरंगा देखकर फूट-फूट कर रोने लगती हैं. चंदन की मां और बहन का कहना है कि चंदन मरा नहीं है, वह देश के लिए शहीद हुआ है. इसलिए सरकार को उसे शहीद का दर्जा देना चाहिए.

गंगा-जमुनी तहज़ीब वाले कासगंज को लग गई नज़र

शहर में तनाव के कई मौके आए लेकिन कासगंज के लोगों ने कभी धैर्य नहीं खोया. सभी वर्गों के लोगों ने मिलकर साम्प्रदायिक सौहार्द एवं सद्भाव की मिसाल ही पेश की. गंगा जमुनी तहजीब व अदब की जीवन शैली जीने वाला शहर आखिर कैसे जल उठा, उसे किसकी नजर लगी, शहर में आग किसने लगाई? यह सवाल लोगों को अभी भी कचोट रहे हैं. जिनका जवाब अभी मिलना बाकी है. जनपद की पचाहन सूफी संत अमीर खुसरो, गोस्वामी तुलसीदास और बलवीर सिंह रंग के रूप में होती है. साम्प्रदायिक हिंसा का मिजाज इस शहर का कभी नहीं रहा है. गंगा नदी में बाढ़ ने कहर बरपाया तब ईद का मौका था, जनपद के लोगों ने यह अहसास ही नहीं होने दिया कि बाढ़ में किसके घर बहे हैं. सभी ने एक साथ मिलकर चुनौतियों का सामना किया. जनपद के भसावली एवं मढ़ावली गांव मुस्लिम बाहुल्य हैं. कटरी के कई हिन्दू बाहुल्य गावों में भी कटान हुआ और सभी ने मिलकर इस आपदा का सामना किया. लायक अली कहते हैं कि जनपद के सब समुदायों ने मिल कर गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है. शहर को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई में समय तो लगेगा, इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे. लायंस क्लब इंटरनेशनल के पूर्व चेयरमैन विकांत सक्सेना कहते हैं कि गणतंत्र दिवस के दिन हुई घटना कष्टप्रद है. बुरे दौर को भूलना पड़ेगा और समझदारी से शांति बहाली के प्रयास करने होंगे, जिससे कासगंज की कारोबारी और सद्भाव की पहचान बनाए रखी जा सके.

कासगंज दिल्ली से करीब ढाई सौ किलोमीटर और लखनऊ से साढ़े तीन सौ किलोमीटर की दूरी पर मथुरा और बरेली के बीच में स्थित है. पहले यह एटा ज़िले में आता था, लेकिन 2008 में बसपा शासनकाल में इसे अलग जिला बना दिया गया. मायावती ने इसका नाम कांशीराम नगर कर दिया था, लेकिन 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार ने इस शहर का पुराना नाम वापस लौटा दिया. अन्य पिछड़ा वर्ग बहुल इस इलाके में हिन्दुओं और मुसलमानों की आबादी वैसी ही है जैसी कि उत्तर प्रदेश के तमाम दूसरे छोटे जिलों की. अमीर खुसरो की जन्मस्थली पटियाली और मशहूर धार्मिक स्थल सोरों की नजदीकी यहां गंगा-जमुनी तहज़ीब की वजह है. ग्रामीण इलाके में अधिकतर लोग खेती करते हैं और कस्बे में व्यापार होता है. नौकरीपेशा लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा नहीं है. कासगंज एटा लोकसभा क्षेत्र में आता है. इस जिले में तीन विधानसभा सीटें कासगंज, अमांपुर और पटियाली आती हैं. कासगंज में मुसलमानों की आबादी 10-12 प्रतिशत है. चुनावी राजनीति में उनकी कोई निर्णायक भूमिका नहीं है. कासगंज जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर अभी भारतीय जनता पार्टी का कब्ज़ा है. कासगंज में वर्ष 1993 में कुछ साम्प्रदायिक झड़पें हुई थीं, लेकिन उसके बाद ऐसा कभी नहीं हुआ. यहां की सूफी फिजा में साम्प्रदायिकता का जहर कैसे घुला इस बात से सभी हैरान हैं.

कासगंज के मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि उन्होंने तिरंगे का कोई विरोध ही नहीं किया. तिरंगा तो उनका भी झंडा है. उनका आरोप है कि हिन्दू संगठन के लोग तिरंगा नहीं बल्कि भगवा झंडा लहराना चाह रहे थे. जबकि विद्यार्थी परिषद का कहना था कि उनकी तिरंगा यात्रा का विरोध किया गया था, जो बाद में हिंसक हो गई. स्थानीय नागरिक फईम अहमद कहते हैं कि मुसलमानों ने अब्दुल हमीद चौक पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम रखा था. देशभक्ति का माहौल था. ऊपर तिरंगा लहरा रहा था और नीचे एक खूबसूरत रंगोली बनी थी. देशभक्ति गीत बज रहे थे. अचानक हिन्दू संगठन की एक टीम आई जिसमें लगभग 50 मोटरसाइकिलें थीं. इन लोगों के पास भगवा झंडा था. वे सीधे मुसलमानों के कार्यक्रम में घुस गए. मुनाजिर कहते हैं कि बाइक सवार युवक रंगोली को बाइक से बिगाड़ने लगे और भगवा झंडे को तिरंगा से ऊंचा करने लगे. हमने उन्हें ऐसा करने से मना किया और खुद स्थानीय कोतवाल को खबर की. लेकिन उन्हें आने में देर हुई. इस बीच हिन्दू संगठनों के लड़के ‘वंदे मातरम कहना होगा’ के नारे लगाने लगे. इस पर मुसलमानों ने ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए. मुसलमान समुदाय के लोगों के पास इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी है. उसके बाद वे झगड़े पर उतारू हो गए और मामला हिंसा पर उतर आया.

सब चाहते हैं शहर में अमन-चैन बहाल हो

शहर के नागरिक चाहते हैं कि कासगंज में हुए दंगों की न्यायिक जांच हो और अमन-चैन की शीघ्र बहाली हो. मुस्लिम समुदाय के लोग भी मृतक चंदन के घर जाकर संवदेनाएं व्यक्त करना चाहते हैं. लेकिन शहर के माहौल के बीच एक बड़ी लकीर खिंच गई है, जिसकी वजह से लोगों के मेलजोल में दिक्कतें आ रही हैं. समाज सेवी डॉ. लायक अली खान कहते हैं कि आगजनी की न्यायिक जांच होनी चाहिए, जिससे पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके. दंगे का सच शहर के लोगों के सामने आना चाहिए. इसके साथ ही इस घटना में जिन परिवारों को जान-माल का नुकसान हुआ है, उन्हें सरकार मुआबजा भी दे.

पुलिस को शहर में अमन-चैन लागू करने के लिए मोहल्लों के एसपीओ की मदद लेनी चाहिए. अधिकारी उन लोगों को जिम्मेदारी दें कि सभी एसपीओ अपने मोहल्ले में अमन-चैन कायम करें. डॉ. मोहम्मद फारूख ने कहा कि हम सभी मृतक चंदन के प्रति शोक संवदना व्यक्त करते हैं. गणतंत्र दिवस के दिन जो कुछ भी हुआ वह बेहद दुखद है. पुलिस को कारोबारियों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी. शहर में आगजनी के दौरान जिन व्यापारियों की व्यावसायिक एवं घरेलू सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचा है, प्रशासन उनका भी निष्पक्षता के साथ आकलन करे और इन कारोबारियों एवं छोटे दुकानदारों को भी मुआवजा दिलाए. एडवोकेट हाजी शान मोहम्मद कहते हैं कि यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं हैं. शहर में गणतंत्र दिवस पर हुई वारदात से शहर, प्रदेश एवं सरकार सभी की छवि को धक्का लगा है.

मृतक के परिवार के प्रति सभी की संवेदनाएं हैं. कुछ शरारती तत्वों की वजह से पूरे समुदाय को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. पुलिस इस घटना की निष्पक्ष जांच कराए, जिससे आपराधिक छवि के लोगों पर लगाम कसी जा सके. हम सभी गणतंत्र दिवस के दिन घटी घटना की निंदा करते हैं. हाजी मोहम्मद असलम कहते हैं कि कासगंज जनपद तहजीब और अदब के लिए जाना गया है. बुरे समय में भी लोगों ने संयम का परिचय दिया है. पुलिस एवं प्रशासन को चाहिए कि निष्पक्षता के तहत कानून का अनुपालन सुनिश्चित करे. गणतंत्र दिवस के दिन हुई घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. किसी भी परिस्थिति में निर्दोष लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए, जिससे अमन-चैन में बहाली में मदद मिल सके.

वीर अब्दुल हमीद तिराहे से शुरू हुआ विवाद

शहर में गणतंत्र दिवस के दिन दोनों ही समुदायों के द्वारा फर्जी राष्ट्रीयता का दिखावा किया गया. बड्डू नगर के वीरता के स्मारक से झगड़े की शुरुआत हुई. इस तिराहा का नाम पाकिस्तान के टैंकों को ध्वस्त करने वाले और परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के नाम पर रखा गया था. दोनों समुदायों के युवाओं ने अब्दुल हमीद की वीरता को याद किया होता तो शायद गंगा जमुनी तहजीब का शहर दंगे की आग में न झुलसता. शहर के बड्डू नगर मोहल्ले के रहने वाले डॉ. मोहम्मद फारूख का कहना है कि करीब पांच वर्ष पूर्व लोग इस तिराहा का नाम वीर अब्दुल हमीद रखे जाने से काफी खुश थे. तिराहा के नामकरण में मोहल्ले के प्रमुख लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वीर अब्दुल हमीद का नाम फाइनल होने के बाद बहुत खुश भी हुए. यदि ये युवक वीर अब्दुल हमीद की राष्ट्रीयता को पैमाना समझते तो दिक्कतें न होतीं और शहर में उपद्रव न हुआ होता. गाजीपुर के धामूपुर गांव के वीर अब्दुल हमीद सेना की 4-ग्रेनेडियर में भर्ती हुए थे. भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध में वीर अब्दुल हमीद ने पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरन सेक्टर में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए. उन्होंने गन माउंटेड जीप से पाकिस्तान के सात पैटर्न टैंकों को ध्वस्त कर दिया और पाकिस्तानी सेना का पीछा करते हुए शहीद हो गए. उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया. डॉ. फारूख कहते हैं कि अब्दुल हमीद की राष्ट्रीयता सच्ची थी, जिन्होंने देश के लिए जान कुर्बान कर दी. जबकि शहर में तो युवक एक दूसरे की जान के ही प्यासे हो गए, जिससे कष्टकर वारदात हो गई.

उपद्रव में जली दुकानों से दो करोड़ का नुक़सान

शहर में आगजनी शुरू हुई तो उपद्रवियों ने दोनों ही समुदायों की दुकानों को निशाना बनाया. शहर में बारहद्वारी से लेकर चारों ओर क्षेत्रों में आगजनी हुई. इस आगजनी में दो करोड़ से अधिक की सम्पत्ति जलकर नष्ट हो गई. जली दुकानों को देख कर दुकानदारों का कलेजा हिल गया. मनौटा गली में रहने वाले हसीन बेग फतेहपुर माफी गांव में स्थित परिषदीय विद्यालय में हेड मास्टर हैं. हसीन बेग ने कभी नहीं सोचा था कि वे अपनों के बीच बेगाने हो जाएंगे. समाज के बीच लकीर इतनी लंबी खिंच जाएगी कि सामाजिक सरोकार भी तारतार हो जाएंगे. गणंतत्र दिवस के दिन हुए उपद्रव के बाद हसीन बेग परिवार के साथ घर छोड़कर चले गए. घर पर ताला लगा हुआ था और सूना घर देखकर उपद्रवियों ने उनके घर में आग लगा दी. जिससे उनके घर में रखा सामान जलकर राख हो गया.

मोहसिन की जूते की दुकान से आगजनी की शुरूआत हुई. उपद्रव की शुरुआत के बाद रात को उनके पड़ोसियों के फोन आने शुरू हो गए थे कि पुलिस व अग्निशमन विभाग की गाड़ी मौके पर है और दुकान का शटर नहीं खुल रहा है. इस सूचना पर मोहसिन गली मनिहारान स्थित घर से चाबी लेकर चले. उन्होंने तहसील रोड गप्पू चौराहा पर खड़े दरोगा और पुलिस कर्मियों से दुकान तक चाबी ले जाने की गुहार भी लगाई, लेकिन पुलिस कर्मियों ने उनकी बात अनुसुनी कर दी. मोहसिन कहते हैं कि सीओ सदर वीएस वीर सिंह का फोन जब उनके पास आया तो उन्होंने पुलिस कर्मियों से उनकी बात कराई, जिसके बाद उनकी दुकान पर चाबी पहुंच सकी. जब तक चाबी उनकी दुकान पर पहुंची, तब तक देर हो चुकी थी और उनकी दुकान में रखा करीब आठ लाख रुपए का सामान और करीब 35  हजार रुपए की नगदी जलकर नष्ट हो गई. मोहसिन को समझ में नहीं आ रहा कि अब उनका भविष्य क्या होगा.

गणतंत्र दिवस तक उनकी गिनती कारोबारियों में होती थी लेकिन अब इस कारोबार को नए सिरे से खड़ा करना चुनौती है. बारहद्वारी पर उपद्रवियों का अगला निशाना दूसरे दिन मौहम्मद ताहिर की दुकान बनी. ताहिर की जूते, बैग व अन्य सामानों की दुकान है. उन्हें दुकान जलने की सूचना सुबह 10 बजे के करीब मिली. उपद्रवियों ने सुबह के समय ही उनकी दुकान में आग लगा दी थी. जबकि बारहद्वारी पर हर समय पिकेट मौजूद रहती है. कोहरे का लाभ उपद्रवियों ने उठाया. उनके पास दुकान जलने के फोन आ रहे थे और ताहिर खुद दुकान तक पहुंच नहीं पा रहे थे. शहर में खौफ का मंजर था और इस बीच बारहद्वारी तक उनका पहुंचना मुश्किल काम था. ताहिर का दुकान में रखा करीब 12 लाख रुपए का सामान व फर्नीचर जलकर नष्ट हो गया. पुलिस व लेखपाल उन्हें लेकर दुकान पर गए तो उनका कलेजा हिल गया. परिवार व भविष्य को लेकर चिंता उन्हें खाए जा रही है.

बिलराम गेट स्थित मुमताज मेडिकल में आगजनी की वारदात हुई. उनकी दुकान के करीब देव मिस्त्री व राधे आटोपार्ट्स की दुकाने हैं. देव बाइक सही करने का काम करते हैं. उपद्रवियों ने इन दोनों की दुकानों में आग लगा दी. जिस समय आगजनी की वारदात हुई, उस समय देव की दुकान में ग्राहकों की बाइक सही कराने के लिए रखी हुई थीं. ग्राहकों की बाइकें भी इस आगजनी में जलकर राख हो चुकी हैं. देव कहते हैं कि ग्राहक अब उनसे बाइक का रुपया मांग रहे हैं. देव की दिक्कत है कि सबकुछ जल गया अब ग्राहकों को उनकी बाइक या फिर उनकी कीमत कैसे अदा करें.

चंदन की हत्या का मुख्य आरोपी सलीम गिरफ्तार

एडीजी अजय आनंद और जिलाधिकारी आरपी सिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान यह जानकारी दी कि चन्दन गुप्ता की हत्या के 20 आरोपियों में से मुख्य आरोपी सलीम पुत्र बरकतुल्ला निवासी तहसील वाली गली स्कूल के सामने, कासगंज को पुलिस ने दबिश के बाद गिरफ्तार कर लिया है. सलीम से चंदन की हत्या और उपद्रव के संबध में पुलिस जानकारी हासिल कर रही है. पुलिस ने सलीम से आला कत्ल भी बरामद किया है. जो आरोपी फरार हैं उनकी गिरफ्तारी भी पुलिस शीघ्र करेगी. पुलिस ने उपद्रव के बाद करीब नौ मामले दर्ज किए हैं. इन मामलों में 82 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें नौ लोगों की हत्या व बल्वा की धाराओं में गिरफ्तारी हुई है. पुलिस ने कई लोगों को शांति भंग करने के आरोप में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है. जो मामले दर्ज किए गए हैं, उनमें चंदन गुप्ता की मौत के मामले में पिता सुशील गुप्ता ने कासगंज कोतवाली में अपराध संख्या 60/2018 के अंतर्गत 20 नामजद लोगों पर धारा 147, 148, 149, 341, 336, 307, 302, 504, 506, 124-ए और राष्ट्रीय ध्वज अधिनियम 1950-3 में अपराध पंजीकृत कराया है.

उत्तर प्रदेश पुलिस के लॉ एंड ऑर्डर एडीजी आनंद कुमार के मुताबिक, सलीम ही वह शख्स है, जिसने अपने घर की बालकनी से चंदन पर गोली चलाई थी. उन्होंंने कहा कि पिछले दो दिनों में उन्होंने कई हथियार बरामद किए हैं. वे अब चंदन के शरीर से मिली गोली का उन हथियारों से मिलान कर रहे हैं. कासगंज के जिलाधिकारी आरपी सिंह ने पहले भी कहा था कि एक घर की छत से चंदन गुप्ता पर गोली चलाई गई थी. सिंह ने कहा था कि कासगंज की घटना दंगा नहीं बल्कि साम्प्रदायिक झगड़ा है. कासगंज शहर की इस पूरी साम्प्रदायिक हिंसा आगजनी व तोड़फोड़ में कुल सात अलग-अलग अभियोग पंजीकृत किए गए हैं. सैकड़ों ज्ञात/अज्ञात आरोपियों को हिरासत में लिया गया है, जिनके विरुद्ध आवश्यक धाराओं में कार्रवाई की जा रही है. कासगंज हिंसा की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. वहीं एसटीएफ, एसओजी और सर्विलांस टीमें भी वांछितों की तलाश में दबिश दे रही हैं. कासगंज कोतवाली प्रभारी के अनुसार, 12 आरोपियों के घर पर मुनादी के पश्चात कुर्की के नोटिस चस्पा किए गए हैं.

एक आईएएस का दर्द या आग में घी!

कासगंज के दंगे पर बरेली के जिलाधिकारी राघवेंद्र विक्रम सिंह का फेसबुकिया बयान आग में घी का काम कर रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और कहा है कि इस पर कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी. हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि बरेली के जिलाधिकारी के फेसबुक पोस्ट से कासगंज दंगे की वजहों का अंदाज़ा लगता है. आईएएस राघवेंद्र विक्रम सिंह ने लिखा है, ‘अजब रिवाज बन गया है, मुस्लिम मोहल्लों में ज़बरदस्ती जलूस ले जाओ और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाओ, क्यों भाई, वे पकिस्तानी हैं क्या? यही यहां बरेली के खैलम में हुआ था. फिर पथराव हुआ, मुकदमे लिखे गए.’

जिलाधिकारी के इस फेसबुक पोस्ट का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. भाजपा नेता विनय कटियार ने कहा कि कासगंज में अगर तुरंत कार्रवाई की गई होती, तो दंगा नहीं भड़कता. प्रशासनिक विफलता की वजह से कासगंज में हिंसा भड़की. कटियार ने कहा कि बरेली के जिलाधिकारी की मानसिक स्थिति बिगड़ गई है, उन्हें इलाज की ज़रूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि जिलाधिकारी के खिलाफ करवाई होनी चाहिए. उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों को माहौल ठीक करने में अपनी ताकत लगानी चाहिए न कि उसे बिगाड़ने में. अधिकारियों का काम व्यवस्था ठीक करना है. बरेली जिलाधिकारी के फेसबुक पोस्ट पर जब लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं, तब जिलाधिकारी ने उसे बदल दिया और बयान की जगह 26 जनवरी की ऐतिहासिकता से जुड़े संदर्भ डाल दिए. लेकिन इससे विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा.

बयान और प्रतिक्रियाओं में कासगंज

कासगंज हिंसा को राज्यपाल राम नाईक ने प्रदेश के लिए कलंक करार दिया. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक मशीनरी को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे ऐसी घटनाएं फिर से न हों. बसपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी कासगंज हिंसा को लेकर योगी सरकार पर कड़ा प्रहार किया. मायावती ने कहा कि प्रदेश में जंगलराज है. मायावती ने तो यह भी कहा कि खास तौर पर भाजपा शासित राज्यों में अपराध-नियंत्रण और कानून-व्यवस्था के साथ-साथ जनहित और विकास का बुरा हाल है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि कासगंज में साम्प्रदायिक हिंसा की घटना उत्तर प्रदेश के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है. अखिलेश ने कहा कि समाजवादी सरकार हिन्दू-मुस्लिम एकता बनाए रखने के लिए हमेशा तत्पर रहती थी. जबकि भाजपा सरकार में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है. गंगा-जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाने की जगह भाजपा समाज को बंटवारे की ओर ले जा रही है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा के लिए भाजपा और संघ परिवार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सरकार की सरपरस्ती में दंगे को अंजाम दिया जा रहा है. राकापा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमेश दीक्षित ने कहा कि जिस संघ परिवार ने तिरंगे को कभी राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार नहीं किया वही आज तिरंगा यात्रा निकाल कर साम्प्रदायिक हिंसा फेला रहे हैं. पूर्व आईजी व जनमंच के संयोजक एसआर दारापुरी ने कहा कि कासगंज दंगा पूरी तरह पूर्व नियोजित था, यह भाजपा का राजनीतिक तौर-तरीका है.

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