भोपाल। राजधानी भोपाल की करीब डेढ़ सौ साल पुरानी परंपराओं को जिंदा रखने और इनसे आज की पीढ़ी को अवगत कराने की कोशिश कमला पार्क में जारी परी बाजार में की जा रही है। इस नायाब बाजार की थीम महिलाओं द्वारा संचालित और महिलाओं के लिए, की है। भोपाली कलाओं के साथ यहां विभिन्न परंपराओं को सहेजा जा रहा है।
परी बाजार में प्रवेश द्वार से ही भोपालियत के नजारे दिखाई देने लगते हैं। भोपाली कला जरी जरदोजी से लेकर पान की गिल्लोरी तक दिखाई देती है। हस्तशिल्प से तैयार कपड़ों से लेकर लकड़ी और मिट्टी से बने आइटम्स भी नजर आ रहे हैं। महिलाओं के सौंदर्य प्रसाधन से लेकर घरों को सजाने की चीजें भी यहां लोगों का मन मोह रही हैं। खानपान स्टॉल में भी महिलाओं की पसंद की सामग्री को संजोया गया है।
कार्यक्रमों में भोपालियत
चार दिवसीय इस परी बाजार में मनोरंजन युक्त ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों में भोपाल की पटिएबाजी से लेकर चार बैता के आयोजन शामिल हैं। दास्तांगोई के साथ शायरात (महिला शायर) का मुशायरा भी जोड़ा गया है। सूफियाना महफिल और फैशन शो के जरिए भी लोगों को बांधने की कोशिश की जा रही है। कार्यक्रम को साहित्यिक रंग देने के लिए पुस्तक का विमोचन और भोपाल की परंपराओं पर लिखी गई पुस्तकों पर चर्चा भी परी बाजार में की जा रही है।
महिलाओं को ही प्रवेश
राजधानी भोपाल में परी बाजार की पुरानी परंपरा को साकार करते हुए इस बाजार में सिर्फ महिलाओं को प्रवेश दिया जा रहा है। पुरुषों की एंट्री सिर्फ फैमिली या कपल के साथ ही हो पा रही है।
याद आ गया वह जमाना…!
परी बाजार का नजारा देखने पहुंचीं डॉ बिल्किस जहां इस बाजार को देखकर अपने ख्यालों में उतरती गईं। उन्होंने बताया कि नवाब शासनकाल के दौरान परी बाजार में उनकी अम्मा कुछ शॉपिंग के लिए पहुंची थीं। इसी दौरान उन्हें कुछ महिलाओं ने देखा, उनकी सादगी और खूबसूरती की कायल हो गईं। अम्मा के परिवार की जानकारी अपने तौर पर निकाली गई और रिश्ते के लिए घर पहुंच गए। बात बन गई और रिश्ता तय हो गया। डॉ बिल्किस कहती हैं कि अम्मा की बातों में अक्सर परी बाजार का जिक्र हुआ करता था। आज इस परी बाजार ने उनकी कई यादों को ताजा कर दिया।