भोपाल। प्रदेश के अल्पसंख्यकों के हित सहेजने वाले मुस्लिम इदारे मुश्किल से गुजर रहे हैं। व्यवस्था के तौर पर नियुक्त किए गए अधिकारी कर्मचारियों की योग्यता पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। इन मामलों को लेकर अब अदालत तक का दरवाजा खटखटाया गया है।

जानकारी के मुताबिक मप्र राज्य हज कमेटी में नियुक्त किए गए प्रभारी सचिव को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से जवाब तलब किया है। कमेटी में नियुक्त कर्मचारी की योग्यता को लेकर सवाल उठाते हुए एडवोकेट एसएम सलमान ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी। जिसमें प्रभारी सचिव का नियमानुसार उप सचिव या इसके समकक्ष न होने की बात कही गई है। याचिका में कहा गया है हज कमेटी के कार्यपालन अधिकारी के रूप में जिस व्यक्ति को नियुक्त किया गया है, उनका मूल पद मसाजिद कमेटी द्वारा संचालित मदरसा के शिक्षक रूप में है। याचिकाकर्ता ने इस नियमविरोधी नियुक्ति को लेकर अल्पसंख्यक विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।

मुश्किलें यहां भी
मप्र वक्फ बोर्ड में लंबे समय से प्रभारी अधिकारी के तौर पर सीईओ की जिम्मेदारी चलाई जा रही थी। कुछ समय पहले ही यहां पूर्णकालिक सीईओ की नियुक्ति की गई है। हालांकि नियुक्त किए गए अधिकारी हसर उद्दीन की सेवानिवृत्ति को कुछ ही समय बाकी रह गया है। इधर मप्र मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, मसाजिद कमेटी, अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम आदि विभागों की जिम्मेदारी भी प्रभारी अधिकारियों के भरोसे ही चल रही हैं।

रुक रही कामों की गति
मुस्लिम संस्थाओं में नियमित, पूर्णकालिक और आवश्यक अहर्ता वाले अधिकारियों की नियुक्ति न होने से इन विभागों से होने वाले काम प्रभावित हो रहे हैं। नीतिगत निर्णय न ले पाने के चलते यहां पदस्थ प्रभारी अधिकारी महज रबर स्टैंप बनकर रह गए हैं। साथ ही इन विभागों से मिलने वाली सुविधाएं या सहयोग मुस्लिम समुदाय को नहीं मिल पा रहा है।

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