किस की बला किसके सिर गिरी, यह सोचते वह अफसर परेशान होगा, जिसने दो दिन पहले हारी हुई नेत्री से बंगला वापस मांगने की खता कर दी थी…! दो दिन में आदेश के पलटवार के तौर पर उनके हाथों मुख्यालय आमद देने का नोटिस पहुंच गया है…! जल्दबाजी में नेत्री को अंडर एस्टीमेट करने की गलती की सजा उन्हें कब तक भुगतना पड़ेगी, कहा नहीं जा सकता…!

लेकिन इस एक बदले आदेश ने नेत्री के रुआब और रसूख में चार चांद जरूर लगा दिए हैं…! अपन को कम मत आंकना, की उनकी ठसक उस समय तक तो जम ही गई है, जब तक मौजूदा सरकार बरकरार है…! पिछली सरकार के जमाने से लेकर नई पार्टी के दामन में रहते हुए नेत्री जी ने खुद को बदबोल का लेडी शहंशाह तो करार दे ही दिया था, आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए दूध-फल से ज्यादा पौष्टिक अंडा कहने से लेकर कलेक्टरों को एक कतार में खड़े कर अपनी पार्टी के लिए बहुमत जुटा लेने की उनकी बातें हमेशा तहरीर रहने वाली हैं…!

हार का मंजीरा बजाते हुए अब उन्हें आश्वासन है कि जल्दी ही मंत्री पद तो नहीं, लेकिन मंत्री रसूख मिल जाएगा…! तिलमिलाए वह लोग अब अगले कार्यक्रम के लिए अपने बचे पत्ते समेटने लगे हैं, जो दरी-डंडे उठाते थक गए, लेकिन निगम-मंडल के उपहार भी बाहरियों के खाते में जाते देख अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं…! इस बदल आदेश ने एक बात और पुख्ता कर दी कि बाहरी मेहमानों के लिए सत्ताधीशों के दिल में बहुत गहरे तक आदर, सम्मान और धन्यवादी अहसास भरा हुआ है…! न होने की वजह भी नहीं है, आज जो कुछ है, चंद बाहरियों की आमद की बदौलत ही तो है, इस बात को वे स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं रखते हैं…!

सस्ती लोकप्रियता, आसान तरीका

यूपी से उठी एक आवाज़ हैदराबाद जाकर टकराई। मप्र में भी उसका असर तेज़ी से फैलता जा रहा है। राजधानी भोपाल के एक विधायक महोदय ने बरसों से प्रचलित स्थान के नाम बदल की पैरवी कर डाली और इसके लिए अलग-अलग लोगों से गुहार भी लगवाई जा रही है। प्रति उत्तर में कोई पुकार नहीं आई, लेकिन मन ही मन खुश होना तो बनता है कि अच्छा पत्थर फेंक दिया है।

हर दिन अखबारों, चैनलों, सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर छाए रहने की उनकी उपलब्धि को लूटने की कसक कुछ और लोगों में भी जाग गई है। प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इस दौड़ में सबसे आगे खड़े दिखाई दे रही है। अपने कर्मों को कालजयी बनाने की बजाए मौजूदा चीजों को तोड़फोड़ कर और उनके लिए नाम सजेस्ट करने से कुछ नाम होता है, तो बदनामी अच्छी है।

खान अशु

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