Bihar-collageबिहार की शिक्षा व्यवस्था की पूरे देश में किरकिरी हो रही है. प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की भी स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. शिक्षकों की भारी कमी की वजह से स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई एक तरह से ठप है. प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं. एक यो दो शिक्षक हैं, तो उन्हें भी विभिन्न सरकारी योजनाओं के आंकड़े एकत्र करने में लगा दिया गया है. बिहार में शिक्षा व्यवस्था की दयनीय स्थिति की शुरुआत लगभग दो दशक पहले ही हो गई थी. बिहार के सभी सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग(बीएड) कॉलेजों को बंद करा दिया गया. निजी बीएड कॉलेज भी बिहार में केवल नाम मात्र थे. बाद में शिक्षकों की बहाली बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से होने लगी. उसके बाद बिहार में एनडीए की सरकार आने के बाद मुखिया, नगर पंचायत, नगर निगम और जिला परिषद को प्राप्तांक के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश दे दिया गया. जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई और हजारों की संख्या में फर्जी शिक्षक बहाल कर दिए. समय-समय पर अयोग्य शिक्षकों का मामला सामने आता रहा. शिक्षा में सुधार के लिए बीएड कॉलेजों को मान्यता देने वाले नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन(एनसीटीई) ने निर्देश दिया कि स्कूलों में सिर्फ ट्रेंड टीचर्स ही बहाल किए जाएंगे. एनसीटीई के आदेश के बाद भी बिहार में बंद पड़े सरकारी बीएड कॉलेजों को नहीं खोला गया. कुछ सरकारी कॉलेज खुले भी तो उनमें संसाधनों की भारी कमी रही. उसके बाद बिहार में कई निजी बीएड कॉलेज खुल गए. एनसीटीई ने मानक पर खरे उतरने वाले और सभी संसाधनों से लैस निजी बीएड कॉलेजों को मान्यता दे दी. संबंधित विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि निजी बीएड कॉलेजों में होने वाली बीएड की पढ़ाई की परीक्षा लें और संबद्धता प्रदान करें. लेकिन एनसीटीई के निर्देशों को दरकिनार कर बिहार का मानव संसाधन विकास विभाग निजी बीएड कॉलेजों को परेशान करने में लगा है. राज्य के मानव संसाधन विकास विभाग ने इन बीएड कॉलेजों की जांच के लिए प्रत्येक जिले में जिला पदाधिकारी और आरक्षी अधीक्षक के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया है, जबकि बिहार सरकार को भारत सरकार की संस्था एनसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त सरकारी एवं गैरसरकारी टीचर्स ट्रेनिंग(बीएड) कॉलेजों की जांच का अधिकार नहीं है. विश्वविद्यालय केवल निजी बीएड कॉलेजों की सिर्फ एक्जामिंग बॉडी हैं, लेकिन नियमों की अनदेखी कर जांच का आदेश देकर बिहार के मानव संसाधन विभाग द्वारा निजी बीएड कालेजों को तंग किया जा रहा है.

कुछ लोगों का मानना है कि यह राजनीतिक द्वेष की वजह से किया जा रहा है. मानव संसाधन विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए पटना हाईकोर्ट ने निजी बीएड कॉलेजों की जांच पर रोक लगा दी है. भीमराव अम्बेडकर ऑफ एजुकेशन, मगध कॉलेज ऑफ एजुकेशन, ज्ञान प्रकाश कॉलेज ऑफ एजुकेशन और अन्य कॉलेजों की ओर से दायर रिट याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को कड़ी फटकार लगाते हुए निजी बीएड कॉलेजों की जांच पर रोक लगा दी.

कोर्ट ने मुख्य सचिव की ओर से जारी पत्र पर टिपण्णी करते हुए कहा कि मुख्य सचिव को ऐसा निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है. टीचर्स ट्रेनिंग (बीएड) कॉलेज की जांच का अधिकार एनसीईटी को है न की राज्य सरकार को. कोर्ट ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव द्वारा निजी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों की जांच का आदेश देना नियम के खिलाफ है. इस आदेश के बाद ऐसा प्रतीत होता कि बिहार पुलिस स्टेट बन गया है और रूल ऑफ लॉ का कोई महत्व ही नहीं है. कोर्ट ने बिहार के सरकारी बीएड कॉलेजों की दयनीय स्थिति पर टिपण्णी करते हुए कहा कि पहले अपने घर की सफाई करें, फिर दूसरे के घर में सफाई अभियान चलाएं.

बिहार के माध्यमिक व प्राथमिक विद्यालयों का एक-दो शिक्षकों के सहारे ही संचालन किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर बिहार के विश्वविद्यालयों की भी कोई अच्छी स्थिति नहीं है.

देश में सरकारी तथा गैरसरकारी शिक्षण संस्थानों को ग्रेडिंग देने वाली भारत सरकार की संस्था नैक ने बिहार के सबसे बड़े विश्वविद्यालय मगध विश्वविद्यालय को सी ग्रेड प्रदान किया है, जबकि मगध विश्वविद्यालय से संबद्ध मगध कॉलेज ऑफ एजुकेशन गया को नैक ने बेहतर शिक्षण व्यवस्था एवं तमाम संसाधनों से परिपूर्ण होने की वजह से बी ग्रेड दिया है. यही अंतर है सरकारी एवं निजी कॉलेजों में. राजनीतिक वजहों से ही बिहार का मानव संसाधन विकास विभाग करीब दो सौ निजी टीचर्स टीचर्स(बीएड) कॉलेजों को एनओसी नहीं दे रहा है, तो दूसरी ओर बिहार में चल रहे निजी बीएड कॉलेजों को तंग किया जा रहा है. विश्वविद्यालय भी अपनी मनमानी करने में लगे हैं और उन्होंने विश्वविद्यालय में ही सिर्फ आवेदन करने का विज्ञापन निकाला है और कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा ही छात्रों को नामांकन के लिए भेजा जाएगा. प्रवेश परीक्षा भी केवल विश्वविद्यालय ही आयोजित करेंगे. बिहार निजी टीचर्स ट्रेनिंग(बीएड) कॉलेज एसोशिएसन के अध्यक्ष अभय कुमार ने बताया कि पिछले साल भी विश्वविद्यालय ने ऐसा ही आदेश दिया था, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के इस आदेश को निरस्त कर दिया था और निजी बीएड कॉलेजों को स्वयं परीक्षा लेकर नामाकंन करने की अनुमति दी थी. इस वर्ष एक बार फिर विश्वविद्यालयों की ओर से ऐसा ही आदेश निकाला गया है, जिसके खिलाफ हम लोग पुन: हाईकोर्ट की शरण में हैं. अभय कुमार ने बताया कि निजी बीएड कॉलेज भी एकजुट होकर बीएड में नामांकन के लिए संयुक्त परीक्षा का आयोजन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और राज्य सरकार निजी बीएड कॉलेजों को तंग कर अपना मतलब साधना चाहती है, लेकिन हम लोग एकजुट हैं और राज्य सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग तथा विश्वविद्यालय के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट गए हैं.

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