आज साल का पहला सूर्यग्रहण है। यह नॉर्थ अमेरिका, यूरोप और एशिया में देखा जा सकेगा। भारत में ग्रहण सूर्यास्त के पहले लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में दिखेगा। इस दिन 148 साल बाद शनि जयंती का भी संयोग बन रहा है। इससे पहले शनि जयंती पर सूर्यग्रहण 26 मई 1873 को हुआ था।
सूर्य ग्रहण 2021 कहां दिखाई देगा?
-उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस के लोग वलयाकार सूर्य ग्रहण देख सकेंगे, जिसे ‘रिंग ऑफ फायर’ कहा जाता है।
– आंशिक सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, यूरोप और उत्तरी एशिया के अधिकांश हिस्सों में देखा जाएगा।
– सूर्य ग्रहण भारत में केवल अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ हिस्सों में ही सूर्यास्त से कुछ समय पहले दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण होता क्या है?
जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चांद आ जाता है तो इसे सूर्यग्रहण कहते हैं। इस दौरान सूर्य से आने वाली रोशनी चांद के बीच में आ जाने की वजह से धरती तक नहीं पहुंच पाती है और चांद की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। दरअसल सूर्य के आसपास पृथ्वी घूमती रहती है और पृथ्वी के आसपास चंद्रमा। इसी वजह से तीनों कभी न कभी एक दूसरे के सीध में आ जाते हैं। इन्ही वजहों से सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है।
रिंग ऑफ फायर क्या होती है?
चांद पृथ्वी के आसपास एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है। इस वजह से पृथ्वी से चांद की दूरी हमेशा घटती-बढ़ती रहती है। जब चांद पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है, उसे एपोजी (Apogee) कहते हैं और जब सबसे नजदीक होता है तो उसे पेरिजी (Perigee) कहते हैं।
आखिरी बार 1935 में सालभर के अंदर 5 बार सूर्यग्रहण पड़ा था। अगली बार ऐसा 2206 में होगा। वैसे कोई भी सूर्यग्रहण पृथ्वी के केवल कुछ इलाकों में ही दिखता है।