narendra modiइस देश में बहुत लोग आए, बाबर से लेकर बहादुरशाह ज़़फर तक और अंग्रेजों के वायसराय तक. वो सारे लोग खुद इंडियन हो गए. यहां की कुछ आदतें उन्होंने ले ली और उनकी कुछ आदतें हमने ले ली. लेकिन इस देश की अपनी एक गरिमा है, ताकत है. आज अचानक कोई सोचे कि इस देश को बदल देंगे, तो ये मिथ्या है. मैं हिन्दू हूं. मैं फिर बोल रहा हूं कि मैं हिन्दू हूं और सब पूजा-पाठ और मंत्रों में विश्वास करने वाला हिन्दू हूं. लेकिन कहीं भी मेरे हिन्दू दर्शन में नहीं लिखा हुआ है कि दूसरों के धर्म की जो पद्धति है, उसमें हम दखल दें या उस पर हम टिप्पणी करें. यह हमारा काम नहीं है.

देश में अचानक एक माहौल बन गया है कि जो हिन्दू हैं वो सही हैं, जो पाकिस्तान के खिलाफ हैं, वो सही हैं, जो आर्मी के उपासक हैं, वो सही हैं. ये कहां जा रहे हैं हमलोग? जो चीज विदेशी है, वो सही है. बुलेट ट्रेन जापान से आ रही है, तो वो ठीक है. अब क्या बोलूं मैं? मैं उद्योग जगत से आता हूं. लेकिन उद्योग जगत की जितनी संस्थाएं हैं, यानि फिक्की, एसोचैम, सीआईआईम सब डर के बैठ गए हैं. जो नीतियां इंडस्ट्री के खिलाफ हैं, उसके बारे में भी कोई कुछ नहीं बोल रहा है. कम से कम ये तो मत करिए.

अब सरकार ने एक नई नीति निकाली है, जिन कंपनियों पर बहुत देनदारी है, उन्हें बंद कर के निलाम करने की. निलामी इंडिया में बहुत ही खराब शब्द है. अमेरिका में खराब शब्द नहीं है. निलामी लॉ लाने की वजह से वर्ल्ड बैंक ने सरकार को शाबासी दी, इज ऑफ डूइंग बिजनेस रैन्किंग में हम 130 से 100 नंबर पर आप आ गए. अमेरिका तो चाहेगा कि हमारा पूरा देश नीलाम हो जाए और उनके लोग आकर खरीद लें. उनके पास इतना पैसा है कि हमारी कंपनियों की कीमत उनके पैसे से बहुत कम है. सरकार को अपनी नीति बतानी चाहिए.

एक आयोग बना कर घोषणा करनी चाहिए कि हमें औद्योगीकरण करना है. विदेशी आकर हमारी कंपनी खरीद कर करेंगे क्या? हमारे स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, स्किल डेवलपमेंट इंडिया आदि का क्या होगा? 50 साल से एक आदमी काम कर रहा है, उसका क्या होगा? इस तरह हम लोग गुलामी की तरफ जा रहे हैं. 1947 के बाद बहुत मुश्किल से लोगों ने अनाज उपजाया. काफी मेहनत के बाद हमने एक मुकाम हासिल किया. आज अचानक मोदी जी कहते हैं कि कुछ नहीं हुआ इतने सालों तक. कांग्रेस पार्टी सब पैसा खा गई. देश को बेच दिया. नेहरू ऐसा है, नेहरू वैसा है. ये सब गलत है. काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है, बार बार नहीं चढ़ती.

गुजरात एक संकेत होगा. भाजपा की हिम्मत है, तो गुजरात में ईवीएम धांधली कर के देखे. छात्र सड़क पर आ जाएंगे, आपकी सरकार बनने नहीं देंगे. आपको हर शहर में पुलिस फायरिंग करनी पड़ेगी. देश का मिजाज बदल चुका है. हम लोग बहुत खतरनाक दौर से गुजर रहे हैं. भाजपा के सारे मुख्यमंत्री समझते हैं कि उनकी उपलब्धि बहुत बड़ी है. योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद से उत्तर प्रदेश में रेप की घटनाएं बढ़ गई हैं. मैं नहीं कहता हूं कि उसमें उनका कोई हाथ है, लेकिन ये बताता है कि शासन पर उनकी पकड़ नहीं है. अगर भाजपा को डेढ़ साल में खुद को बचाना है, तो उसे मुख्यमंत्री बदलना होगा.

जो आदमी काम जानता है, उसको जिम्मेदारी दीजिए. मर्सिडीज गाड़ी आप खरीद सकते हैं, लेकिन अगर ड्राइवर अनाड़ी है, तो एक्सीडेंट होगा ही. यूपी खतरे में है और स्थानीय निकाय के परिणाम इसके संकेत हैं. केंद्र की भाजपा सरकार को सिर्फ31 प्रतिशत वोट मिले थे. इसमेें 20-22 प्रतिशत इनका कोर वोट है, बाकी लोगों ने इसलिए वोट दिए थे क्योंकि आपने वादा किया था कि नौकरियां देंगे, ये करेंगें, वो करेंगे.

वो वोट अब 2019 में नहीं मिलने वाले हैं. आप वापस अपनी जगह पर आ जाएंगे. क्या रिजल्ट होगा नहीं पता? लेकिन यह भी सच है कि कांग्रेस पार्टी अगर खुद को ठीक नहीं कर पाई, तो उसे फिर हार का सामना करना पड़ेगा. हर राज्य में अलग-अलग पार्टियां हैं, वो जीतेंगी. लेकिन जो 2014 में हुआ, वो तो दोबारा होने का सवाल ही नहीं है. 2014 का चुनाव साफ-सुथरा था, इसलिए आप पावर में आ गए. अगर यही हथकंडे कांग्रेस अपनाती, तो पता नहीं क्या होता. विपक्ष के नेताओं को ईवीएम मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक करनी चाहिए. हमारे यहां की चुनावी प्रक्रिया अफ्रीकी देशों की तरह नहीं होनी चाहिए.

1962 में मेरे पिताजी ने किताब लिखी थी, ‘समाजवाद एक अध्ययन’. वे औद्योगिक घराने के हेड थे. उन्होंने लिखा कि अखबारों का कोई मतलब ही नहीं है, क्योंकि अखबार तो प्रशासकों के हाथ में हैं, पब्लिशर के हाथ में हैं और वे पूंजीपति हैं. अखबार होना चाहिए पत्रकारों के हाथ में. अगर भाजपा इतनी ही लोकप्रिय है, तो सभी विश्वविद्यालयों के चुनाव में क्यों हार रही है? हाल में आठ विश्वविद्यालयों के छात्र संघ चुनाव के परिणाम आए. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद गुजरात तक में हार गई. ये चेतावनी है. भाजपा इस देश के लिए एक महत्वपूर्ण पार्टी है.

लेकिन असल में कांग्रेस मुक्त भारत बोल कर आप चाहते हैं कि देश लोकतंत्र मुक्त बन जाय. जहां विपक्ष ही नहीं होगा, वहां लोकतंत्र कैसे बचेगा? राहुल गांधी, जिनको मैं नहीं समझता था कि बहुत बुद्धिमान आदमी हैं, उन्होंने एक बयान दिया कि हम नहीं चाहते कि भाजपा मुक्त भारत हो, भाजपा रहे. वे अपना पक्ष रखें, हम अपना पक्ष रखेंगे. ये लोकतांत्रिक बात हुई. लेकिन भाजपा तो शुरू से कांग्रेस मुक्त भारत की बात कर रही है. मानो नेहरू परिवार से इनकी कोई पुस्तैनी दुश्मनी हो.

वे बार-बार उस नेहरू का नाम ले रहे हैं, जिनकी अंत्येष्टि 53 साल पहले हो चुकी है. आरएसएस क्या कर रही है, ये वो जानें या भगवान जानें. हिन्दू दर्शन इतना विशाल है, इतना बड़ा है कि ये लोग ये हिन्दुत्व की बात कर-कर के हिन्दू दर्शन को नुकसान पहुंचा सकते हैं. आप बात करते हैं वसुधैव कुटुम्बकम की और मुसलमान, क्रिश्चियन के बारे ही पता नहीं क्या-क्या बोलते रहते है. हमलोग हमारे ही दर्शन को, हमारे ही धर्म को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

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