भोपाल। मल्टीपरपज पर्सनालिटी या बहुमुंखी प्रतिभा के साथ अगर डॉ प्रभु राम चौधरी का नाम जोड़ा जाए, तो ये अतिशयोक्ति नहीं होगी। किसान परिवार में जन्मे प्रभु ने व्यापार में भी कुशलता हासिल की और पढ़ाई के मैदान में उतरे तो एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर भी बने। पढ़ाई के दौरान उन्होंने शारीरिक और मानसिक फुर्ती के लिए खेल को साथी बनाया और मेडिकल कॉलेज के गेम्स एंड स्पोर्ट्स सेक्रेट्री भी रहे। उनके हिस्से वॉलीबॉल टीम की कप्तानी भी अाई। सियासी अखाड़े में उन्होंने खम ठोका तो कई कीर्तिमान खड़े करते हुए प्रदेश मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण विभाग पर वे काबिज हैं। महामारी के इस दौर में उनके जिम्मे स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है, जिसे वे बेहतर तरीके से निभा रहे हैं।
प्रभु की सियासी यात्रा
डॉ. चौधरी वर्ष 1985 में पहली बार आठवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और वर्ष 1989 में संसदीय सचिव रहे। डॉ. चौधरी वर्ष 1991 में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य, वर्ष 1996 में संयुक्त सचिव और वर्ष 1998 में महामंत्री बने। डॉ. चौधरी वर्ष 1994 में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अनुसुचित जाति एवं जनजाति प्रभाग के संयोजक और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे। डॉ. चौधरी सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक रायसेन के सदस्य और वर्ष 2004 में जिला पंचायत रायसेन के सदस्य रहे। डॉ. चौधरी वर्ष 2008 में दूसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 2008 के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में डॉ. चौधरी साँची विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा के लिये तीसरी बार निर्वाचित हुए। डॉ. प्रभुराम चौधरी ने 25 दिसम्बर, 2018 को मुख्यमंत्री कमल नाथ के मंत्रीमण्डल में केबिनेट मंत्री की शपथ ग्रहण की।
फिर बदलना पड़ी राह
घर का जोगी जोगड़ा की तर्ज पर अपनी ही पार्टी में लगातार उपेक्षा के शिकार हो रहे प्रभु राम चौधरी ने मार्च २०२० में बरसों की कांग्रेस आस्थाओं को ठुकरा दिया। उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बनने वाली प्रदेश सरकार के साथ कदमताल की और खुद को साबित कर दिखाया कि सच्चे इंसान की कद्रदानी हर जगह होती है।
जिम्मेदारियों पर खरे
पेशे से डॉक्टर और विभाग चिकित्सा का, डॉ प्रभु राम चौधरी के लिए नई पारी सोने पर सुहागा जैसी साबित हुई है। उन्होंने अपनी चिकित्सकीय क्षमताओं के साथ Corona काल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिससे प्रदेश में महामारी को मात देने में बड़ी मदद मिली है। साथ ही इसके दूरगामी परिणाम भी आने वाले हैं।
अब मुकाबला अपनों से
जल्द ही होने वाले विधानसभा के उप चुनाव में डॉ चौधरी को उन लोगों से ही मुकाबला करना है, जी अब तक उनके सियासी साथी हुआ करते थे। जबकि उनके विरोध में खड़े रहने वाले उनके साथ खड़े होकर उनकी जीत के प्रयास करने वाले हैं।
खान आशु, भोपाल ब्युरो
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