यह 2006 की बात है ! उसके पहले 2005 के सितंबर महीने मे नागपुर के इंडिया पीस सेंटर और एन सी सी आई के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिन की गोष्ठी का आयोजन किया गया था और उसमे पुनुन कश्मीर और हुरियत कान्फ्रेंस के प्रतिनिधि पहली बार आमने-सामने आये थे ! जिसका मुझे रह-रह कर आश्चर्य हुआ था और वह सत्र की अध्यक्षता करते हुए मैंने कहा कि कश्मीर की जनसंख्या सिर्फ एक करोड़ से भी कुछ कम है ! इतनी जनसंख्या के भारत में एक दर्जन से अधिक शहर है !

और सबसे अहम बात अगर कश्मीर 90% प्रतिशत मुस्लिम बहुल क्षेत्र है तो संपूर्ण भारत में कम-से-कम 20से 25 करोड मुसलमान रहते हैं जो इंडोनेशिया के बाद दुसरे नंबर की मुस्लिम आबादी है ! पाकिस्तान, बंगला देश की भी आबादी इससे कम है ! और पाकिस्तान बनने को लेकर आज 58 साल से भी ज्यादा समय हो रहा है और उसके लिए हिंदू सांप्रदायिक तत्व आज भी भारत में रह रहे मुस्लिम समाज को जिम्मेदार ठहराते रहते है! और जब भी कोई दंगे होते हैं उसमें मुस्लिम समाज को किमत चुकानी पड रही है ! और 2002का गुजरात दंगा और उसके पहले 1989 के भागलपुर दंगों में क्या हुआ ? यह बात अब आप सभी जानते हैं !

और मुख्य रूप से मै राष्ट्र सेवा दल जैसे एक सेक्युलर संघटन से संबंधित सैनिक के जिंदगी के बेहतरीन पल इस समस्या से जूझने के लिए विशेष रूप से जा रहे हैं ! और आगे कितना जायेगा ? क्योंकि यह सवाल मुख्य रूप से मै हुरियत कान्फ्रेंस के मित्रों से पुछ रहा हूँ कि आप अगर अपनी मांग के अनुसार अगर कश्मीर को स्वातंत्र्य लेकर एक अलग मुल्क बनाने की बात है !

और एक मिनट के लिए मै मान लेता हूँ कि आप कामयाब हो गये तो भारत के 20-25 करोड मुसलमान और कितने दिन उसकी भी कीमत चुकायेंगे ? क्योंकि पाकिस्तान की किमत तो वह आये दिन चुकाही रहे हैं ! और अगर आप कश्मीर को भारत से अलग राष्ट्र करके क्या हासिल करोगे ? क्योंकि लैण्ड लाॅक कंट्री बना कर भारत और पाकिस्तान के बीच में फस जाओगे और उनमें से किसी एक की मदद वह वे आप स्वतंत्र रहकर कौन आपको देगा ?

यह व्यवहारिक बात मै आप लोगों को पुछ रहा हूँ ! इस तरह वह दो घंटे का सेमिनार मेरे विनम्र निवेदन के कारण आयोजन समिति ने मुझे डबल से भी ज्यादा समय चलाने के लिए विशेष रूप से इजाजत दी थी ! क्योंकि सबसे बड़ी बात दोनो कश्मीरी गुट जीवन में पहली बार आमने-सामने आये थे ! और पंडितों ने अपनी पूरी कर्मकहानी तबीयत से सुनाई ! और सबसे बड़ी बात हुरियत कान्फ्रेंस के प्रतिनिधियोने मुझे उस सत्र के अध्यक्ष के नाते कहा कि हमारे कश्मीरी पंडितों की सब कुछ तक्रार और गिला शिकवा हमें खुद को सुनने की इच्छा है ! और इस लिए वह सत्र डबल से भी ज्यादा समय चला था,!

और मैंने अध्यक्ष के रूप में उपर लिखीं बाते कहने के कारण दोनों संगठनों के प्रतिनिधियोने निकलते हुए और निकल जाने के बाद लगातार हम लोगों को जम्मू-कश्मीर में आनेका आग्रह किया था ! तो हम लोग मेरे अलावा अरविंद घोष और उनकी पत्नी वैजयंती घोष, डॉ जाॅन चेल्लादुराई और उनकी पत्नी राजेश्वरी कृष्णमूर्ती और बेटी अमिता मिलाकर छ लोग 2006 साल के मई महीने के प्रथम सप्ताह में नागपुर से निकल कर पहले जम्मू और उधमपुर के पंडितों के शरणार्थी शिविरों में मिठीवाला, जागती, और उधमपुर के पंडितों के शरणार्थी शिविरों में कम-से-कम चार दिनों तक अलग-अलग कैम्पस में काफी लोगोंके साथ बैठकर उनके जीवन को समझने हेतुसे फुर्सत से रहे थे और वह सब देखकर ही कश्मीर के लिए रवाना हुए और श्रीनगर, बारामूला, अवंतिपूर, उरी,अमान सेतू यानी मुझ्झफराबाद (पाकिस्तानी आक्युपाई कश्मीर पीओके) तक जाने का मौका मिला है !

श्रीनगर में हुरियत कान्फ्रेंस के (मिरवाईज उमर फारूख का लिबरल गुट) के साथ पाँच छ घंटे मिरवाईज उमर फारूख से लेकर सज्जाद लोन और सलीम गिलानी, युसुफ नक्कास और जफर भट्ट जैसे साथीयो को हमने स्पष्ट रूप से कहा था कि कश्मीरीयत की संकल्पना के अंतर्गत कश्मीरी पंडितों का समावेश है क्या ? तो उन्होंने कहा कि बिल्कुल है ! और वह हमारे कश्मीर के अभिन्न अंग है ! तो हम लोगों ने कहा कि फिर उन्हें अपने घरों को छोड़ जम्मू, उधमपुर के कैम्पोंमें क्यो रहना पड रहा है ,?

जब तक आप लोग खुद पहल कर के खुद उन्हें वापस अपने खुद के घरोंमें बसाने और उनकी सुरक्षा की व्यवस्था सुरक्षा बलों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है ! क्या आप लोग खुद यह वादा करते हो ? कि वह सबके सब अपने खुद के घर के और खेती की वापसी की गारंटी आपको देनी होगी तो अपन मिलाकरचलो कश्मीर के अभियान को अंजाम देने की शुरुआत करते हैं !

और मेरी तरफ से मै अपने आप को कमिट कर रहा हूँ कि मेरी इस काम में रूचि है ! तो मै अपने आप को खपाकर आपको मददगार की भुमिका मै आता हूँ ! लेकिन चलो कश्मीर की जिम्मेदारी हुरियत कान्फ्रेंस की रहेगी ! तो हुरियत कान्फ्रेंस के प्रति निधियोने हमारे निकल ने के पहले उन्होंने कहा कि आप पहले लोग है जो इतना जमीनी स्तर पर हमसे बात कर रहे हैं और दिल्ली वाले कोई भी इस तरह हमसे खुलकर नहीं बोलता है ! इसलिए आप लोग बार-बार आइये और हमें मार्गदर्शन करें तो मैंने कहा कि आप खुद कश्मीरी लोगों के दिलों पर राज करते हो हम क्या मार्गदर्शन करेंगे ? हा सहयोगी के नाते हमसे जो भी कुछ बनेगा वह हम जरूर करेंगे !

फिर एक दिन पी यू सी एल के कश्मीर चॅप्टर के अध्यक्ष एडवोकेट परवेज़ इमरोज़ जो मिसिंग परसंन्स स्क्वैड के अध्यक्ष भी है और श्रीनगर हाय कोर्ट के वकील साहब के साथ भी दो घंटे से भी ज्यादा समय बात हुई थी और उन्होंने जो हालात बयान किया था उससे मै रातभर सो नहीं सका था ! उन्होंने कहा कि 10,000 से भी ज्यादा तीस साल के अंदर की उम्र के बच्चे गायब है ! और यह बात भारत सरकार मानती नहीं है ! और वह इस विषयपर कुछ भी नही एक्शन नहीं ले रहे हैं और उन बच्चों के माता-पिता दर-दर भटक रहे हैं और यह बात एक जयप्रकाश नारायण और बैरिस्टर वी एम तारकुंडेजी छोडकर रेस्ट ऑफ इंडिया के किसी भी सिविल सोसायटी के लोगों को कश्मीर से कुछ भी कंन्संर्न नहीं है !

और वह दोनों आज इस दुनिया में नहीं है इसलिए हम बहुत असहाय महसूस करते हैं ! और मेरी इस बात का वर्तमान भारत में शायद ही कोई बचा है जिसे मै शेयर कर सकू इसलिए आप लोग जब आये थे और मैंने बहुत ही रूखा व्यवहार किया था ! क्योंकि मै इस तरह के टूरिस्ट की तरह आने वाले लोगों से तंग आ गया हूँ ! लेकिन आपने जब कहा कि आप जेपी, तारकुंडेजी के ही स्कूल के है तभी मैंने इतनी बात कही ! यानी वर्तमान कश्मीर में नंबर वन पर महात्मा गाँधी जी के बाद जेपिको और तारकुंडेजी की साख अभिभी बची है !तो हम गाँधी, जेपी, तारकुंडेजी के ही विरासतों के लोगों का नैतिक दायित्व है कि कमसेकम-से-कम कश्मीरी आवाम के साथ हमारे तरफ से संवाद प्रक्रिया शुरू होने की जरूरत है ! यह मैंने एडवोकेट परवेज़ इमरोज़ कि मुलाकात से मेसेज लेकर निकला था !

फिर एक दिन डॉ शमीमा बद्रू जो कश्मीरी मिलिटन्सि शुरू होने के बाद पहले शहीद बद्रू की बेवा डॉ शमीमा बद्रू जो श्रीनगर महाराजा हरिसिंह मेडिकल कॉलेज में गायनाकाॅलाजी की प्रमुख है ! और वह सरकार से लेकर कश्मीरी हुरियत कान्फ्रेंस के सभी धडोसे बेहद नाराजगी जाहिर कर रही थी ! हमे लेकर जाने वाले जफर भट्ट को भी काफी खरी-खोटी सुननी पडी ! बाद में शमीमा बद्रू को भी गले मे से एक गोली लगकर वह मुक हो चुकी है ! और वह भी मौन हो चुकी है मै और डाक्टर जाॅन चेल्लादुराई दोनो दिल्ली के एस्कार्ट हास्पीटल में उनसे मुलाकात की है ! और यही बात उन्होंने लीख कर बताया कि हमें और हमारे शौहर को लगी गोली अनआइडेंटीफाइड एजेंसियों की गोलियां चली है ! और यही बात

कश्मीर में जिन-जिन घरों मे इस तरह लोगों को मार डाला गया है वह यही टर्म इस्तेमाल किया करते हैं !
एक दिन हम लोग एक बहुत पुराना महादेव मंदिर है श्रीनगर शहर के बीच में वहां पर श्रीनगर शहर मे रह रहे पंडितों के साथ बैठकर काफी देर तक बात-चित की और वह भी काफी दबाव में दिख रहे थे ! इसलिए कुछ खास बात नहीं हो पाई उसी कडी मे कुछ पंडितों के घरों में भी गये थे और वह भी दबाव में दिख रहे थे ! आखिर दिन उरी के भूकंप ग्रस्त लोगों को कुछ मदद लेकर गये थे और वह बाटनी थी तो बारामूला से होते हुए ऊरी गये थे और मदद के सामान के बाँटने के बाद मुझे बोलने के लिए कहा गया तो मैंने कहा कि आप आसमानी और सुलतानी दोनों संकटोकी दोहरी मार झेल रहे हैं !

इसलिए मुझे आप लोग जो भी कुछ सहन कर रहे उसके प्रति सहानुभूति है तो जो भी कोई सी आई डी कवर कर रहा था उसने उरी के पुलिस स्टेशन में तुरंत रिपोर्ट कर दिया था ! और हम लोग दोपहर का खाना खाने के लिए एक भूकम्प के कारण टूटे मकान के अहाते में बैठेही थे तो एक पुलिस का जवान आकर बोला कि आप में डाॅ सुरेश खैरनार कौन है ? तो मैंने कहा कि मैं हूँ तो वह बोला कि आप और आपके साथीयोको ऊरी के थानेदार साहब ने तलब किया है ! तो हम खाना खाने के बाद सभी पुलिस स्टेशन में गये तो थानेदार ने कहा कि आप तो जल-जले (भूकंप) ग्रस्त लोगों को कुछ मदद लेकर गये थे ! और आपने तो पोलिटिकल बात कही है ! कि आसमानी और सुलतानीदोनों संकटोकी दोहरी मार झेल रहे हैं वगैरा वगैरा !

तो मैंने कहा कि इसमें गलत क्या है ? जो यहाँ पर हो रहा है और वह कहना अगर पोलिटिक्स है तो फिर आप हमें गिरफ्तार कर लीजिये तो वह एकदम गिडगीडाने लगा कि नहीं साहब आप तो बहुत बडी हस्ती नजर आ रहे हैं ! मै एक दो साल पहले से इस स्टेशन में सड रहा हूँ मेहरबानी करके मुझे यहाँ से कहीं और तबादला करा दीजिये लेकिन मैंने कहा कि आप गलत फहमी के शिकार हो हम महाराष्ट्र से आये हुए हैं और हमारे आपके कश्मीर के किसी नेता या अफसर से वास्ता नहीं है ! मैंने जैसे ही अफसर बोला तो वह कहने लगा कि आप बार्डर के इतने नजदीक आये हो तो अमान सेतू जो झेलम नदी पर बना है आप वहां तक हो आना चाहिए और वह इजाजत आपके महाराष्ट्र के अफसर दे सकता है सो उसने उस अफसर को फोन किया और बोला कि आप के प्रदेश के मेहमान है !

और फोन मेरे हाथ में दे दिया तो उधर की आवाज कोई ब्रिगेडियर अय्यर बोल रहे थे तो लेकिन वह मराठा रेजिमेंट के थे ! तो उन्होंने सिर्फ मुझे पुछा कि आपके साथ कितने लोग है और गाडीया कौनसे मेक की है तो मैंने बतानेके बाद उन्होंने कहा कि पुलिस स्टेशन इंचार्ज को फोन दो तो उन्होंने कहा कि इनके साथ पुलिस एस्कार्ट भी भेजो ! इसतरह हमने सोचा भी नहीं था कि मुजफ्फरबाद के करीब हमें जाने के लिए भी मिलेगा ! वहां पहुंच कर देखा सभी यंग संत्री मराठा रेजिमेंट के थे और उनकी छाती पर महेश गायकवाड़, रमेश पाटील तख्ती पर नाम देखते ही मैंने मराठी में बोलना शुरू किया ! तो वह हैरान होकर पूछते हैं कि क्या आपको मराठी आती है ? तो मैंने कहा कि थोड़ी-थोड़ी सीखी है ! क्योंकी मेरा हुलिया हमेशा की तरह दाढी सरपर हिमाचली टोपी !

और वह कहने लगा कि आप बार्डर के उस तरफ नहीं जाना चाहते ? क्योंकि आप गाडीसे उतरे तबसे आपको पाकिस्तान के जवान झुक-झुककर सलाम किये जा रहे हैं ! और आपको बुला रहे हैं ! तो मैने कहा कि क्या मैं जा सकता ? तो वह बोला कि हम लोग तो हमेशा गपशप और खानेपीने, चायचुई एकसाथ पिते रहते हैं ! इस बिरेबान जगह पर और कोई मनोरंजन है नहीं हम आपसी प्रेम और लगाव से अपने सुख-दुःख की बात शेयर करते रहते हैं ! दिल्ली-इस्लामाबाद के नेताओ की अपनी राजनीति है हमे उससे क्या लेना-देना दोनों मजबूरियों के मारे अपने घर हजारों किलोमीटर की दूरी पर बच्चोको छोड़ यहाँ रह रहे हैं !

फिर मै झेलम नदीपर बने हुए पुल पर जिसे अमान सेतू कहाँ जाता है ! वहाँ नदी का पात्र बहुत ही छोटा है और निचे खाईं काफी बडी थी ! तो उधर से कंधेपर बंदूक रखकर मेरे से छसात इंच ज्यादा उँचा पाकिस्तान की सेना का जवान आकर बीच ब्रिज पर मुझे झुककर सलाम करता हुआ साथ में पाकिस्तानी साईड मे लेजाकर कहीं से खुर्चि उठा कर मुझे बहुत ही सम्मान के साथ बैठाया ! और चाय पीने के लिए पूछने लगा ! मैंने कहा कि आप सामने देख रहे हैं मेरे साथ और भी लोग उधर खडे हैं और हमें अंधेरे के पहले आपका यह इलाका क्रास करना है ! तो दो मिनट गुफ्तगू करके मुझे वापस जाने दीजिए तो उसने कहा कि मै पंजाब पाकिस्तान का हूँ और इस्लामाबाद के हूकूम की वजह यह ड्यूटी कर रहा हूँ !
जब यहाँ कोई भी नहीं होता है तो हम दोनों इसी पुलिया पर बैठे एक साथ खाना खाते हैं ! और रात-रात भर अपने खुद के घर के दुख-दर्द और सुख-दुःख का आदान-प्रदान करते रहते हैं !

असली बात यही है कि मनुष्य एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा समय आँखे तान कर नहीं रह सकता है ! प्रेम और भाईचारे की बात ही महत्वपूर्ण है और भारत-पाकिस्तानके आपसी सहयोग की कोशिश हम लोग 1994 से दोनों तरफ से पाकिस्तान-भारत पीपुल्स फोरम फाॅर डेमोक्रसी अॅण्ड पीस नाम से आज 25 साल से भी ज्यादा समय से कोशिश कर रहे हैं और यह बात दोनो तरफ के नागरिकोंकी पहल से जारी है ! कश्मीर छोडने के आखिरी दिन श्रीनगर शहर के बाहर काफी बडा गुरुद्वारा है वहां पर सिखों से बात करने के बाद पता चला कि वह बहुत ही कंफरटेबल है और वह अपनी गतिविधियों पूर्ववत कर रहे हैं ! और उन्होंने हमें लंगर में लेजाकर खाना खाने के बाद ही सरोपा देकर हमें बिदाई दी !
जम्मू में हमारे रेल को चार-पाँच घंटे के बाद चलना था !

तो याद आया कि हुरियत कान्फ्रेंस के प्रति निधि योने संभव हुआ तो जम्मू में कश्मीर टाइम्स के संपादक प्रबोध जमवाल जी को भी मिलने का आग्रह किया था ! तो गाडी के देर से चलने का देखकर प्रबोध जमवाल जी को फोन किया तो वह बोले कि स्टेशन के बाहर काफी ऑटो रिक्शा वाले खडे होंगे तो आप एक रिक्षा पर आ जाए हमारे गाडीसे वापस स्टेशन समय पर छोड़ देंगे ! तो मै और डॉ जाॅन चेल्लादुराई दोनो चले गए थे ! और एक तरह से हमारे कश्मीर की समस्या पर बहुत ही बेहतरीन और तटस्थ भाव से प्रबोध जमवाल जी ने अपने सब काम छोड़कर हमें जम्मू कश्मीर और लद्दाख, तथा विभिन्न क्षेत्रों से लेकर फैक्ट फिगर के साथ बहुत ही बेहतरीन तरह से जानकारी दी ! और उस मुलाकात के बाद वह मेरे बहुत अच्छे-खासे मित्र भी बन गये हैं ! और अब रेग्युलर कम्युनिकेशंन जारी है !

कश्मीरी पंडितों के पुनुन कश्मीर और हुरियत कान्फ्रेंस के निमंत्रण पर हम लोग पहले जम्मू, उधमपुर के पंडितों के शरणार्थी शिविरों में और उसके पस्चात वैली में गये वहां हुरियत के मुख्यालय में पाँच छ घंटे मिरवाईज उमर फारूख से लेकर सज्जाद लोन और सलीम गिलानी, युसुफ नक्कास, जफर भट्ट फिर एडवोकेट परवेज़ इमरोज़ जो मिसिंग परसंन्स स्क्वैड के अध्यक्ष और कश्मीरी मिलिटन्सि शुरू होने के बाद पहले शहीद बद्रू की बेवा डॉ शमीमा बद्रू को और अन्य मारे गए लोगों के कब्रिस्तान जो श्रीनगर शहर के बीच में है और अंतिम गंतव्य उरी के भूकंप ग्रस्त लोगों को कुछ मदद लेकर गये थे वह देकर लौटने के रास्ते में जम्मू मे कश्मीर टाइम्स के संपादक प्रबोध जमवाल जी को भी मिले थे ! यह नागपुर के मित्रों को रिपोर्ट करने की फोटो है !

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