कहां है अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी? कहां है अमेठी के प्रभारी मंत्री? कहां है योगी जी का कमिश्नरी राज? बीजेपी अपने कर्मों का ठीकरा कांग्रेस पर न फोड़े। कांग्रेस कार्यकर्ता पर बेबुनियाद आरोप लगा रही है लखनऊ पुलिस।

क्या बीजेपी ये भूल गई है कि वो भी कभी विपक्ष में थी। पीड़ित की आवाज सुनना हर राजनीतिक दल का धर्म है।

फरियादी महिला महीनों से थाना-पुलिस-प्रशासन के चक्कर काट रही थी। बीजेपी सांसद के दफ्तर चक्कर काट रही थी। उसकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही थी। वह कांग्रेस दफ्तर भी आई थी। हमारे कार्यकर्ताओं ने उसे मदद का आश्वासन दिया था। अमेठी के एसपी को भी फोन किया था।

आज बीजेपी की सरकार है तो क्या इसका ये मतलब है कि किसी से कोई भी बयान करवाकर विपक्ष के लोगों को फंसायेगी?

पिछले कई महीनों से अमेठी की दोनों बहनों समेत पूरा परिवार सरकार व पुलिस से गुहार लगा रहा था लेकिन उनकी शिकायत पर कोई एक्शन नहीं हुआ।

दबंग थाने पर जाकर, पीड़ितों के घर पर जाकर लगातार परेशान कर रहे थे और अमेठी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

पीड़ित परिवार ने मीडिया के जरिए भी गुहार लगाई और कोई एक्शन नहीं लिया गया।

कल जब विधानसभा के सामने दुखद घटना घटी तब पुलिस की संज्ञान में आया और एक्शन न लेने के कारण सम्बन्धित थाने के दरोगा को सस्पेंड भी किया गया।

आज यूपी सरकार का प्रशासन अपनी गलती और नाकामी छिपाने के लिए अपनी नाकामी का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ रही है।

आज यूपी के लगभग हर थाने का यही हाल है। दबंगों पर कोई कार्रवाई नहीं होती और फिर बड़ी घटना के बाद सरकार जागती है। कानपुर कांड में भी हमने यही देखा।

आज ही भाजपा ने पुलिस अधिकारी सुबोध सिंह के हत्यारे को अपना पदाधिकारी बना दिया। कल ही बुंदेलखंड में सरकार के मंत्री पर अपहरण और मारपीट के आरोप लगे हैं। कल ही भाजपा विधायक पर लखनऊ में एक युवक को पीटने और एनकाउंटर की धमकी के आरोप लगे हैं।

भाजपा के सरंक्षण में पूरे प्रदेश में अपराधी थानों पर कब्जा जमा चुके हैं।

बिना पीड़ित पक्ष का बयान लिए हुए यूपी सरकार द्वारा कांग्रेस के लोगों का नाम लेना सरकार की बौखलाहट और नाकामी को दिखाता है।

योगी सरकार में अपराधियों की पैठ थानों, सचिवालय में बन चुकी है और फरियादी परेशान हैं।

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