पीके.सिन्हा ने अजित सेठ से कैबिनेट सचिव का पदभार संभाल लिया है. देश की शीर्ष बाबू के रूप में सेठ के कार्यकाल की जैसी प्रशंसा हुई कुछ वैसे ही कार्यकास की इच्छा सिन्हा भी कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेठ के चार साल के विस्तारित कार्यकाल के अंत में उनकी जबरदत्स प्रशंसा की है. मोदी ने तीन ट्वीट करके सेठ की तारीफ की है और उन्हें भविष्य के जीवन के लिए शुभकामनायें दी हैं. जब मोदी पिछले साल मई में सत्ता में आए थे तो कोई भी यह उम्मीद नहीं कर रहा था कि कि सेठ अपने पद पर बने रहेंगे. उन्हें दो बार छह-छह महीने का सेवा विस्तार मिला. इससे पता चला कि मोदी न सिर्फ उनके साथ काम करने के इच्छुक थे, बल्कि उन्हें अपने आसपास भी रखना चाहते थे. सेठ के उत्तराधिकारी के रूप में सिन्हा निश्चित रूप से चाह रहे होंगे कि सेठ का कुछ जादू उनके भी काम आ जाये.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का मुखिया कौन
पिछले कुछ सप्ताह में मोदी सरकार ने केवी चौधरी को केंद्रीय सतर्कता आयुक्तऔर विजय शर्मा को मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्तकिया. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के महानिदेशक का रिक्तपद भी अब एस क्रिस्टोफर की नियुक्तिके साथ भर गया है. लेकिन, आश्चर्य की बात है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), अध्यक्ष आरपी सिंह के पिछले महीने जाने के बाद से पूर्णकालिक मुखिया की तलाश कर रहा है. यह पद अभी भी रिक्त है. सिंह के उत्तराधिकारी के चयन की प्रक्रिया जनवरी में शुरू हुई और फरवरी में इसके लिए आवेदन प्राप्त हुए थे. अध्यक्ष पद की दौड़ में सूचना एवं प्रसारण सचिव बिमल जुल्का, संस्कृति सचिव रविंदर सिंह और कई पूर्व सचिव शामिल हैं. सरकार ने अभी तक इस पर कोई स्पष्ट राय नहीं बनाई है. सड़क परिवहन सचिव विजय छिब्बर को एनएचएआई के अध्यक्ष का अस्थायी प्रभार दिया है.
नो एक्शन!
पांच वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ राज्य लोकायुक्त और राज्य आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की सख्त कार्रवाई की सिफारिश को कर्नाटक सरकार ने ठुकरा दिया है. राज्य मंत्रिमंडल ने बाबुओं के खिलाफ पुख्ता सबूतों की कमी का हवाला देते हुए अनुरोध को ठुकरा दिया है. बाबुओं में राज्य प्रशासनिक सेवा (केएएस) अधिकारी शशिधर बागली, एसएस सोमनल और सिदप्पा हुलोली, आईएफएस शेखर और आईएएस अधिकारी और कर्नाटक लोक सेवा आयोग के पूर्व सचिव के आर सुंदर शामिल हैं. कर्नाटक एडमिनिसट्रेटिव सर्विस(केएएस) के तीन बाबुओं पर उनके संबंधित क्षेत्रों में अवैध रेत खनन को बढ़ावा देने का आरोप लगा था, जबकि सुंदर पर अधिकारियों की भर्ती में अनियमितता बरतने के आरोप लगे थे.