लोकसभा चुनाव को अब कुछ समय ही बाकी है लेकिन उससे पहले ही भाजपा की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं. आपको बता दें कि एनडीए के सहयोगी दलों और बीजेपी के रिश्तों में एक बार फिर से खटास की खबर आई है. दरअसल भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के गठबंधन के टूटने की चर्चाएं जोरों पर हैं. दरअसल अकाली दल ने गुरुद्वारा मामले में दखलअंदाजी को लेकर अल्टीमेटम दिया है और कहा कि बीजेपी ने अगर तख्त, गुरुद्वारा मामले में दखलंदाजी बंद नहीं की तो गठबंधन हमारे लिए मायने नहीं रखेगा.

दरअसल शिरोमणि अकाली दल के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि अगर गुरुद्वारे मामले में भाजपा हस्तक्षेप करती रहेगी तो गठबंधन हमारे लिए जरूरी नहीं है. हम भाजपा की ईंट से ईंट बजा देंगे। सीसरा ने आगे कहा है कि गुरुद्वारे किसी भी सिख के लिए सबसे जरूरी है. बीजेपी ने पहले पटना साहिब पर कब्जा करने की कोशिश की, जिसको सुखबीर बादल ने अमित शाह से बात करके सॉर्ट आउट करवाया. अब नांदेड के तख्त हजूर साहब में इन्होंने पहले अपने एमएलए को उसका प्रधान बनवा दिया और अब एक्ट को ही बदलने जा रहे हैं कि हमेशा के लिए वहां पर प्रधान कौन होगा वहां की सरकार तय करेगी.

सिरसा ने बीजेपी पर आरोप लगाया है बीजेपी सरकार इलेक्शन की बजाय बैक डोर के माध्यम से सिलेक्शन से अपना प्रधान थोपना चाहती है. हमारे लिए अलायंस मायने नहीं रखता. गुरुद्वारे का प्रधान कौन बनेगा यह हक सिखों का है, सरकार का नहीं. अगर किसी ने इस हक को लेने की कोशिश की तो हम सरकार की ईंट से ईट बजा देंगे. जब कोई नहीं था तब हम बीजेपी के साथ थे, आज जब सब हैं तो बीजेपी को हमारी जरूरत नहीं.

आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दाल काफी लंबे समय से भाजपा के सहयोगी दलों में शुमार है और अगर अकाली दल का गठबंधन टूटता है तो इसका खामियाज़ा आने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा को भुगतना पद सकता है ऐसे में भाजपा के पास बात मानने के अलावा और कोई चारा दिखाया नहीं पड़ रहा है ऐसे में आने वाला समय ही बताएगा कि इस मामले में भाजपा क्या फैसला लेती है.

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