सूत्रों ने बताया कि प्रदेश भाजपा द्वारा संगठन मजबूत करने के मकसद से जो कार्यक्रम पहले से निर्धारित हैं, उन पर वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श के बाद ही उन्हें हरी झंडी दी जाएगी. अमित शाह ने जाजू से कहा है कि भविष्य में पार्टी द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रमों पर पैनी नज़र रखी जाए. शाह ने कहा कि हर कार्यक्रम की समीक्षा भी होनी चाहिए, ताकि आगामी कार्यक्रमों में आवश्यकता के मुताबिक नए एजेंडे शामिल किए जा सकें.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश के नए प्रभारी श्याम जाजू को पार्टी को सशक्त बनाने के खास टिप्स दिए हैं. जाजू जल्द ही आम कार्यकर्ताओं को खास एहसास दिलाते हुए उत्तराखंड का दौरा करेंगे. उपचुनाव में राज्य की जनता ने मोदी मैजिक को नकारते हुए जिस तरह कांग्रेस को एकमुश्त तीन सीटें जिताकर हरीश सरकार को निर्भयता प्रदान की, उसने राजनीति के माहिर खिलाड़ी अमित शाह को सोचने के लिए मजबूर कर दिया. उत्तराखंड की जनता का मिजाज समझते हुए मोदी को शाह से देवभूमि के संदर्भ में मंत्रणा करनी पड़ी, जिसमें गुटबाजी करके पार्टी को बर्बादी की राह पर धकेलने, मठाधीशी करने वाले नेताओं को किनारे लगाते हुए आम कार्यकर्ताओं को केंद्र में रखकर मिशन 2017 की रणनीति बनाने का फैसला लिया गया.
नए प्रभारी से पूरे राज्य में जनता की भावना के अनुरूप नए सिरे से संगठन का ढांचा खड़ा करने के लिए कहा गया है. लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के आह्वान पर कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ कर राज्य की पांचों सीटें भाजपा के हवाले करने वाली जनता ने जिस तरह गुटों में बंटे नेताओं को उनका असली चेहरा दिखाया, उससे भाजपा के दिग्गज रणनीतिकार हैरान हैं. उत्तराखंड में अधिकांश नेता गणेश परिक्रमा करके बड़े नेता बन गए थे. किसी को राजनाथ का वरदहस्त प्राप्त था, तो किसी को सुषमा-गडकरी का. निशंक जैसे नेता ने योग गुरु बाबा रामदेव के सहारे अपनी गोटी लाल की. इन नेताओं में पार्टी-जनता के प्रति वफादारी कम, अपने राजनीतिक आकाओं के प्रति वफादारी ज़्यादा थी. कई मठाधीश नेता अपने मुख्य नेता जनरल खंडूडी को हराकर भी अपनी बादशाहत कायम रखने का खेल खेलते रहे, जिसका परिणाम रहा कि राज्य गठन के चौदह वर्षों के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी एक भी काम ऐसा नहीं कर सकी, जिस पर जनता उसकी पीठ थपथपा सके.
सूबे के भाजपाई दिग्गजों के कलह की हांडी इस कदर चौराहे पर फूटी कि जनता ने चाहते हुए भी भाजपा को अपनी पहली पसंद नहीं बनाया. नए मुखिया शाह चाहते हैं कि मजबूत नींव रखकर नए सिरे से पार्टी का संगठन खड़ा किया जाए. उनकी यह मंशा भांपते हुए प्रदेश भाजपा की इच्छा है कि श्याम जाजू अल्मोड़ा में आयोजित होने वाले सांसदों-विधायकों के विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हों. प्रदेश प्रभारी की ओर से इस बारे में अभी कोई आधिकारिक मंजूरी नहीं मिली है. उम्मीद लगाई जा रही है कि जाजू जल्द ही प्रदेश का दौरा करेंगे. जाजू कोई भी क़दम जल्दबाजी में नहीं उठाना चाहते और न किसी स्थानीय नेता की सलाह पर चलना चाहते हैं. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जाजू को सलाह दी है कि वह सबसे पहले प्रदेश के सभी जनपदों का दौरा करें और पूरी कमान अपने हाथ में लें, ताकि ज़मीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया जा सके. इसके साथ ही वह कार्यकर्ताओं की समस्याएं गंभीरता से सुनें और उन्हें तुरंत हल करने की कोशिश करें.
सूत्रों ने बताया कि प्रदेश भाजपा द्वारा संगठन मजबूत करने के मकसद से जो कार्यक्रम पहले से निर्धारित हैं, उन पर वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श के बाद ही उन्हें हरी झंडी दी जाएगी. अमित शाह ने जाजू से कहा है कि भविष्य में पार्टी द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रमों पर पैनी नज़र रखी जाए. शाह ने कहा कि हर कार्यक्रम की समीक्षा भी होनी चाहिए, ताकि आगामी कार्यक्रमों में आवश्यकता के मुताबिक नए एजेंडे शामिल किए जा सकें. शाह ने जाजू को विशेष रूप से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच तेजी के साथ बढ़ रही गुटबाजी पर भी नज़र रखने की सलाह दी है. शाह ने उनसे कहा कि वह पार्टी को नुक़सान पहुंचाने वाले तत्वों से सावधान रहें. माना जा रहा है कि शाह की गाइड लाइन के मुताबिक प्रदेश भाजपा के नए प्रभारी राज्य में पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे, ताकि मिशन 2017 में कामयाबी मिल सके. शाह ने अपने उत्तराखंड दौरे की शुरुआत योगपीठ से भले की, लेकिन अब उनकी मंशा है कि कोई भी पार्टी का आका बनने की जुर्रत न करे. इसीलिए शाह ने बाबा को मोदी के स्वभाव के बारे में स्पष्ट बता दिया है कि जब मोदी राजनाथ सिंह जैसे दिग्गज के पुत्र पंकज के पर कतर सकते हैं, तो दीगर लोगों की मठाधीशी वह भला कैसे बर्दाश्त करेंगे.
यही वजह है कि बाबा ने हरीश के सहारे कांग्रेस का हाथ थामने के खेल की शुरुआत कर दी है. बाबा रामदेव को लगा था कि उनके द्वारा हरीश रावत की खुलेआम सराहना करने से भाजपा में बेचैनी बढ़ेगी, लेकिन भाजपा के कान पर जूं न रेंगने से उन्हें निराशा हाथ लगी. कांग्रेस मुक्त भारत के संकल्प के साथ शाह के विशेष दूत जाजू देवभूमि के जन-जन में जाकर मोदी की मंशा पूरी करेंगे. जाजू द्वारा किसी खेमे के नेताओं को घास न डालना शाह-मोदी की मंशा का साफ़ संकेत माना जा रहा है. मोदी ने आम चुनाव के पूर्व कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं सांसद सतपाल महाराज को भाजपा में शामिल किया था, जिसे लेकर पार्टी नेताओं की आपसी कलह ने इस कदर पानी फेरा कि मात्र एक सीट से पिछड़ने के कारण भाजपा अव्वल नहीं बन पाई. कांग्रेस को इसी का लाभ मिला और वह आज भी सत्ता पर काबिज है. जाजू स्वयं एक आम कार्यकर्ता से नेता बने हैं. शायद इसीलिए उनमें नेतागिरी की बू नहीं दिखती. बहरहाल, भाजपा हाईकमान की उम्मीदें साकार करने के लिए जाजू को कांटों भरे रास्ते से गुजरना होगा. जाजू को क़रीब से जानने वाले नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को पूरा भरोसा है कि वह अपने मकसद में कामयाब होंगे और पार्टी प्रमुख शाह की कसौटी पर खरे उतरेंगे.
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