विधानसभा चुनाव 2015 को लेकर सीतामढ़ी में राजनीतिक माहौल तैयार होने लगा है. लंबे अर्से से चुनावी समर में भाग्य आजमाने का सपना देखने वाले नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के बीच टिकट की दावेदारी को लेकर खिचड़ी पकनी शुरू हो गई है. जातिवाद के कारण वर्तमान में कोई भी पार्टी अपने बूते चुनावी वैतरणी पार कर पाने की स्थिति में नही है. किसी को जातीय वोटों का गुमान है, तो कोई पार्टी के समर्थन के बल पर ताल ठोंकने को तैयार है. चुनावी समर में अबकी बार पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी अपनी दावेदारी को लेकर गतिविधियां बढ़ा दी हैं. अब तक किसी भी दल की ओर से स्थानीय एवं जनहित के मसलों को चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाने का रास्ता नहीं निकाला गया. सभी जाति और पार्टी के चक्रव्यूह में उलझ कर चुनाव जीतने का सपना देख रहे हैं.

सीतामढ़ी ज़िले की कुल आठ विधानसभा सीटों में से चार सीटों क्रमश: सीतामढ़ी नगर, रीगा, बथनाहा और परिहार पर भाजपा का कब्जा है. इन सीटों पर अब जदयू-राजद गठबंधन की पैनी नज़र है. पिछले चुनाव में जदयू-भाजपा गठबंधन के बूते उक्त सीटें भाजपा के हाथ लगी थीं. अब नए चुनावी गठबंधन में जदयू ने राजद की बदौलत इन सीटों पर कब्जा करने का मंसूबा पाल रखा है. राजद गठबंधन जातिगत आंकड़े जुटाकर उन प्रत्याशियों को इन सीटों पर लड़ाना उचित समझेगा, जो भाजपा के झंडे के डंडे पर तीर अथवा लालटेन लहराने की कूव्वत रखता हो. सीतामढ़ी सीट पर वैश्य बिरादरी के सुनील कुमार पिंटू पिछले चार चुनावों से जीत दर्ज कराते आ रहे हैं. चर्चा है कि अबकी बार वैश्य बिरादरी के ही जदयू के भरत प्रसाद राजद-जदयू गठबंधन से दावेदारी कर रहे हैं. क्षेत्र के जातीय समीकरण पर नज़र रखने वालों का कहना है कि सीतामढ़ी सीट पर कोई ग़ैर भाजपाई वैश्य ही भाजपा के दबदबे को ठिकाने लगा सकता है.

रीगा विधानसभा सीट से वर्तमान में वैश्य बिरादरी के भाजपा विधायक मोती लाल प्रसाद प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अबकी बार उनकी चुनावी नौका डुबोने के लिए दो स्वजातीय महिलाएं चुनावी समर में आने को जी-जान से लगी हुई हैं. चर्चा है कि उनमें एक पूर्व लोजपा विधायक नगीना देवी हैं, तो दूसरी जदयू की किरण गुप्ता. नगीना देवी भाजपा-रालोसपा-लोजपा गठबंधन से, तो किरण जदयू-राजद गठबंधन से चुनावी समर में उतरने की तैयारी कर रही हैं. जदयू-राजद गठबंधन से नागेंद्र प्रसाद सिंह भी अपना भाग्य आजमा सकते हैं. बथनाहा सुरक्षित सीट से वर्तमान में भाजपा के दिनकर राम विधायक हैं. अबकी बार उनकी सीट पर पूर्व ज़िला पार्षद एवं जदयू नेत्री शोभा देवी और 1974 के आंदोलनकारी राजद नेता मंचित पासवान राजद-जदयू गठबंधन से चुनाव लड़ने का मन बनाए बैठे हैं. जबकि भाजपा से युवा नेता मनोज बैठा टकटकी लगाए हैं. परिहार विधानसभा सीट से भाजपा के राम नरेश प्रसाद यादव विधायक थे. उन्हें पिछले माह 11 अगस्त, 1998 को हुए सीतामढ़ी समाहरणालय गोलीकांड मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद दस साल के सश्रम कारावास की सजा मिली है. नतीजतन, उनकी विधायकी समाप्त हो गई है.

बताया जाता है कि अब उनके स्थान पर उनकी पत्नी गायत्री यादव जनता के बीच न्याय की गुहार लगाकर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं. जबकि राजद-जदयू गठबंधन से प्रदेश राजद अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे पुन: चुनावी समर में उतर सकते हैं. वहीं पूर्व के चुनाव में आजमाइश कर चुके महेंद्र सिंह यादव की पत्नी एवं पूर्व ज़िला पार्षद सरिता यादव बतौर निर्दलीय प्रत्याशी भाग्य आजमा सकती हैं. शेष तीन सीटों रून्नीसैदपुर, बेलसंड एवं बाजपट्टी पर जदयू की क्रमश: गुड्डी देवी, सुनीता सिंह चौहान एवं डॉ. रंजू गीता विधायक हैं. जबकि सुरसंड से शाहिद अली खान जदयू से हम पार्टी का सफर तय कर चुके हैं. चर्चा है कि रून्नीसैदपुर से राजद-जदयू गठबंधन से पूर्व राजद प्रत्याशी एवं मुखिया राम शत्रुघ्न राय, ज़िला पार्षद संजीत कुमार छोटू, नमोनाथ प्रसाद यादव समेत कई नेता दावेदारी कर रहे हैं. जबकि भाजपा गठबंधन से लोजपा के टिकट पर संतोष झा, आलोक कुमार उर्फ पिंटू चौधरी, त्रिलोकी नाथ झा उर्फ मोहन की दावेदारी की संभावना व्यक्त की जा रही है.

बेलसंड से वर्तमान में जदयू की सुनीता सिंह चौहान विधायक हैं. इस सीट पर भाजपा गठबंधन की पैनी नज़र है. संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगर सीट लोजपा के खाते में आई, तो असीम कुमार सिंह बबलू चुनावी अखाड़े में ताल ठोंक सकते हैं. बाजपट्टी से जदयू की डॉ. रंजू गीता विधायक हैं. उन्हें सीधी टक्कर देने के लिए भाजपा गठबंधन से लोजपा के सवीह अहमद के आने की चर्चा जोरों पर है. सीतामढ़ी विधानसभा क्षेत्र से अल्पसंख्यक बाहुल्य छह पंचायतों को काटकर बाजपट्टी में मिला दिया गया है. नतीजतन, बाजपट्टी सीट पर अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक साबित हो सकते हैं. चर्चा यह भी है कि अल्पसंख्यक समुदाय से कई अन्य लोग भी टिकट के लिए जोर-आजमाइश में लगे हैं. कुल आठ विधानसभा सीटों पर दावेदारी को लेकर राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन और भाजपा-रालोसपा-लोजपा गठबंधन के संभावित प्रत्याशियों द्वारा क़दमताल शुरू हो चुका है. फिलहाल बहुत सारे संभावित प्रत्याशी पार्टी-गठबंधन की खातिर अपना चेहरा सार्वजनिक करने से परहेज कर रहे हैं, लेकिन उनके मन में टिकट की लालसा अंगड़ाई ले रही है.

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