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नई दिल्ली: मंगोलिया के शासक चंगेज़ ख़ान को उसकी क्रूरता और बहादुरी के लिए आज दुनियाभर में जाना जाता है. लेकिन इस क्रूर शासक की कोई भी निशानी आज किसी के पास भी मौजूद नहीं है. कहते हैं चंगेज़ खान और उसकी सेना जिस भी इलाके से होकर गुज़रती थी वहां पर मानो सैलाब सा आ जाता था. हर तफ़र बस तबाही का मंज़र होता था और उसकी सेना अपने पीछे कुछ भी नहीं छोड़ती थी.

लेकिन चंगेज़ खान की मौत की बाद आज तक इस बात का पता किसी को नहीं लग सका कि आखिर उसे मरने के बाद दफनाया कहाँ गया था. कहते हैं इसके पीछे चंगेज़ खान की वसीयत का हाथ था, ऐसा माना जाता है कि चंगेज़ खान नहीं चाहता था कि आगे आने वाली पीढ़ी को ये बात ना पता चल सके की आखिर चंगेज़ खान कौन था. इसीलिए उसने अपनी वसीयत में लिखा था कि उसके मरने के बाद किसी गुमनाम जगह पर दफनाया जाए. कहते हैं कि चंगेज़ खान की मौत के बाद उसकी कब्र के ऊपर एक हज़ार घोड़े दौड़ाए गये थे जिससे किसी को भी उसकी कब्र के बारे में पता ना लग सके.

मंगोलिया के रहने वाले चंगेज़ ख़ान की मौत के बाद आठ सदियां बीत चुकी हैं. इसे लेकर तमाम मिशन चलाए गए, लेकिन उसकी क़ब्र का पता नहीं चला. नेशनल जियोग्राफ़िक ने तो सैटेलाइट के ज़रिए उसकी क़ब्र तलाशने की कोशिश की थी. इसे वैली ऑफ़ ख़ान प्रोजेक्ट का नाम दिया गया था.

दिलचस्प बात है कि चंगेज़ ख़ान की क़ब्र तलाशने में विदेशी लोगों की ही दिलचस्पी थी. मंगोलिया के लोग चंगेज़ ख़ान की क़ब्र का पता लगाना नहीं चाहते. इसकी बड़ी वजह एक डर भी है. कहा जाता रहा है कि अगर चंगेज़ ख़ान की क़ब्र को खोदा गया तो दुनिया तबाह हो जाएगी.

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