एससी एसटी अधिनियम संशोधन कानून 2018 पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है जिससे केंद्र सरकार का रास्ता साफ़ होता दिखाई दे रहा है. दरअसल इस क़ानून पर पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत गिरफ्तारी नर्म रवैया अपनाते हुए तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. इस रोक के बाद देश में दलितों का गुस्सा फुट पड़ा था और दलित संगठनों ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का जमकर विरोध किया था.

इस मामले में अब अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी. दरअसल दलित संगठनों के आक्रोश को देखते हुए अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर पुराने प्रावधानों को फिर से लागू कर दिया है मतलब अगर एससीएसटी मामले में कोई मामला दर्ज होता है तो उसमें व्यक्ति की तुरंत गिरफ्तारी होगी। बीच में इन प्रावधानों पर रोक लगा दी गयी थी लेकिन अब एक बार फिर से एससी एसटी एक्ट में पुराने नियमों को लागू कर दिया गया.

आपको बता दें कि इस मामले में एक बार गिरफ्तारी होने के बाद अग्रिम जमानत नहीं मिलती थी. सिर्फ हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकती थी. सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होती थी. एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होती थी.

लेकिन, 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है. जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है, उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से हो सकेगी. हालांकि, कोर्ट ने यह साफ किया गया है कि गिरफ्तारी की इजाजत लेने के लिए उसकी वजहों को रिकॉर्ड पर रखना होगा.

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