समुद्र की गहराइयों में आपका भविष्य
अगर नीले समुद्र की गहराइयों से आपको प्यार है, उसमें रहने वाली रंग-बिरंगी मछलियों व जीव-जंतुओं का जीवन आपको आकर्षित करता है और आप इसका हिस्सा भी बनना चाहते हैं तो फिशरीज साइंस यानी मत्स्य पालन विज्ञान आप के लिए करियर बनाने का एक अच्छा विकल्प है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मछली के निर्यात में भारत का विश्व में सातवां स्थान है. हमारे देश की 80 लाख से भी अधिक जनसंख्या किसी न किसी रूप में मत्स्य उद्योग से जुड़ी है. यही उनके जीवनयापन का ज़रिया है. केवल भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में फिशरीज साइंस के छात्रों की मांग लगातार बढ़ रही है.
पुराने समय में मछुआरे केवल समुद्र से मछलियां पकड़कर इन्हें बाज़ार में बेच दिया करते थे, पर इस तरह से मछलियों के व्यापार से समय के साथ ही उनकी और अन्य समुद्री जीवों की जनसंख्या लगातार घटने लगी है. इसको देखते हुए मछलियों को पकड़ने और बेचने के साथ ही अब इनके बचाव और उनकी आबादी बढ़ाने की भी आवश्यकता समझ आने लगी है. फिशरीज साइंस एक ऐसा विषय है जिसके तहत छात्रों को मछलियों के पालन-पोषण, प्रजनन, सुरक्षा और विभिन्न प्रजातियों को बचाए रखने की शिक्षा दी जाती है. केवल मछलियां ही नहीं, फिशरीज साइंस के तहत छात्रों को पानी में रहने वाले अन्य जीवों के बारे में भी पढ़ाया जाता है. चूंकि व्यापक जल प्रदूषण हो रहा है, इसलिए छात्रों को यह ख़ास तौर से सिखाया जाता है कि किस प्रकार मछलियों और अन्य जीवों को हर तरह के पानी में सुरक्षित रखा जा सकता है. कोर्स के दौरान रिसर्च, डेवलपमेंट और फिशरीज डेवलपमेंट प्लान, मैनेजमेंट स्किल आदि की भी जानकारी दी जाती है. यदि आप फिशरीज साइंस को करियर के रूप में चुनने जा रहे हैं, तो जल और जलजीवन से जुड़ी चीजों में रुचि होना आवश्यक है. इसके साथ यह भी ज़रूरी है कि सी-सिकनेस जैसी बीमारी न हो, यानी समुद्र से किसी तरह की कोई एलर्जी या भय न हो. फिशरीज साइंस रिसर्च का क्षेत्र है इसलिए आपकी सोच शोध आधारित भी होनी चाहिए.
शैक्षिक योग्यता और चयन प्रक्रिया
देश के दस राज्यों से जु़ड़ी तक़रीबन 8000 किलोमीटर लंबी तटरेखा का विस्तार फिशरीज की पढ़ाई के लिए बिल्कुल उपयुक्तजगह है. इस कोर्स में ओसीयनोग्राफी, इकोलॉजी, बायोलॉजी, इकोनोमिक्स और मैनेजमेंट जैसे व्यावहारिक विषयों की पढ़ाई होती है. इकोलॉजिकल बैलेंस को बनाए रखने के मद्देनज़र वातावरण पर मछली पकड़ने के असर और उसके परिणामों के बारे में भी पढ़ाया जाता है. फिशरीज साइंस के तहत अंडर-ग्रैजुएट कोर्स में दाख़िला लेने के लिए 12वीं कक्षा में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी विषय होना अनिवार्य है. फिशरीज साइंस में मास्टर्स करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च द्वारा प्रति वर्ष आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होना होता है. इस प्रवेश परीक्षा की मेरिट लिस्ट के आधार पर ही देश के विभिन्न संस्थानों में दाख़िला मिलता है. दो वर्षीय इनलैंड फिशरीज एंड मैनेजमेंट में दाख़िला लेने के लिए फिशरीज साइंस में दो वर्ष का ग्रेजुएट होना आवश्यक है.
संभावनाएं
कोर्स पूरा करने के बाद एक प्रोफेशनलिस्ट के लिए फिशरीज सेक्टर में ढेरों सभावनाएं हैं. इस कोर्स में बैचलर डिग्री प्राप्त करके पब्लिक सेक्टर जैसे डिपार्टमेंट ऑफ फिशरीज व नेशनलाइज्ड बैंकों में बेहतरीन अवसर पा सकते हैं. इसके अलावा इस स्तर की पढ़ाई से राज्य के कृषि विभाग, सरकारी एजेंसियों और सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीटयूट जैसे संस्थानों में भी नौकरी पा सकते हैं. सरकारी सेक्टर में फिशरीज ग्रेजुएट राज्य स्तरीय कृषि विभाग में असिस्टेंट फिशरीज डेवलपमेंट ऑफिसर, डिस्ट्रिक फिशरीज डेवलपमेंट ऑफिसर और फिशरीज एक्सटेंशन ऑफिसर बन सकते हैं. केंद्र सरकार के कृषि विभाग में मरीन प्रोडक्टस एक्सपोर्ट डेवलपमेंट ऑथोरिटी, फिशरीज सर्वे ऑफ इंडिया, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑसीयोनोग्राफी (एनआइओ) जैसे विभागों में काम कर सकते हैं. इसके अलावा फिशरीज ग्रेजुएट प्राइवेट और नेशनलाइज्ड बैंकों के कृषि विभाग में लोन डिपार्टमेंट में फील्ड बैंक ऑफिसर और मैनेजर के तौर पर भी काम कर सकते हैं. निजी क्षेत्र में एक्वाकल्चर फार्म्स, हैचरीज और प्रोसेसिंग प्लांट्स में नौकरी पा सकते हैं. यदि आपकी रुचि रिसर्च में है तो मत्स्य विभागों के सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं और विभागों में आप रिसर्च असिस्टेंट, फिशरीज डेवलपमेंट ऑफिसर, बायोकेमिस्ट, बायोलोजिस्ट और तकनीशियन के पद पर काम कर सकते हैं. कोर्स के बाद आप प्राइवेट फिशिंग कंपनियों में भी विभिन्न पदों पर काम कर सकते हैं, लेकिन यदि आप कोर्स के बाद नौकरी न करना चाहें तो बैंक से लोन लेकर स्वयं का बिजनेस भी शुरू कर सकते हैंै. इसके अंतर्गत आप व्यावसायिक मछली पालन, सीड प्रोडक्शन और ऑरनामेंटल डिशेज या मछली पालकर निर्यात कर सकते हैं. बैचलर डिग्री के बाद आप मास्टर्स कोर्स पूरा करके विभिन्न सरकारी व ग़ैर सरकारी संस्थानों में प्रोफेसर व वैज्ञानिक के पद पर कार्य कर सकते हैंै. इसके साथ ही देश के प्रतिष्ठित संस्थान एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट रीक्रूटमेंट बोर्ड में भी इंटरव्यू और प्रतियोगिता परीक्षाओं के ज़रिए जाकर अपना भविष्य संवार सकते हैं. विदेशों में लगातार मत्स्योद्योग की बढ़ रही मांग के चलते विदेशी कंपनियों में नौकरी करने के सुनहरे अवसर भी इस कोर्स के अंतर्गत मौज़ूद हैं. अमेरिका जैसे विकसित देशों में फिशरीज कोर्स करके जाने के बाद कंपनियों में मरीन-फिशरीज़ इंटरव्यूयर, इंवायरमेंटल प्रोजेक्ट मैनेजर, इंफोरमेशन टेक्नॉलॉजी स्पेशलिस्ट, इको-टॉक्सीलॉजिस्ट व एक्वेटिक इकोलॉजिस्ट व अन्य बेहतरीन अवसर हैं.
संस्थान
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर कैंपस, मुज़फ़़्फरपुर, बिहार.
कॉलेज ऑफ फिशरीज साइंस- वेरावल (गुजरात), ढोली (बिहार), मैंगलोर (कर्नाटक), रत्नागिरी (महाराष्ट्र), त्रिपुरा (मणिपुर), मुथुकुर (आंध्र प्रदेश), पंतनगर (उत्तराखंड), राहा (असम), पननगड़ (केरल), बरहामपुर (उड़ीसा)
पश्चिम बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज साइंस, कोलकाता
फिशरीज कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीटयूट, थुथुकुड्डी, तमिलनाडु
अनुमानित वेतन
इस कोर्स को पूरा करने के बाद किसी भी निजी फिशरीज कंपनी में 8 से 15 हज़ार रुपये प्रतिमाह तक की शुरुआती तनख्वाह आप आसानी से पा सकते हैं. कार्यदक्षता एवं अनुभव के साथ ही आपकी तनख्वाह 25 से 40 हज़ार तक पहुंच सकती है.
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