साथियों आजसे एक सप्ताह बाद गुजरात दंगों के इक्कीस साल पूरे होने वाले हैं ! ( 27 फरवरी 2002 ) और जिस दंगे की राजनीति करने के कारण ही ! वर्तमान सत्ताधारी दल का शासन, आज भारत जैसे बहुधर्मिय देश के उपर होना ! देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक है !


इसलिए मैंने तय किया है ! “कि इस महिने के अंत तक ! रोज एक कहानी गुजरात दंगों के भीतर वर्तमान प्रधानमंत्री के सामने हुई है ! और वर्तमान प्रधानमंत्री ने आर. बी. श्रीकुमार जैसे जांबाज अफसर का सम्मान करना तो दूर की बात है ! उल्टा उन्हें और तिस्ता सेटलवाड को जेल में डालने की कृती के निषेध के रूप में ! उसे रोज देना है ! क्या आप लोगों को मेरा निर्णय ठीक लगता है या नहीं ? खुलकर बोलिए !

नरोदा पटिया की कहानी गुजरात के पूर्व पुलिस प्रमुख श्री. आर. बी. श्रीकुमार के जुबानी !
श्री. आर. बी. श्रीकुमार जैसे जांबाज अफसरों के कारण ही ! आज भी हमारे देश के प्रशासन की विश्वसनीयता बनीं हुईं हैं ! “पडदेके पिछे का गुजरात”का मराठी अनुवाद उन्होंने 21 सितंबर 2021 को मुझे समिक्षा लिखने के लिए विशेष रूप से एक छोटा सा पत्र लिखकर भेजा है ! 210 पन्नौकी किताब लिखकर ! उन्होंने 27 फरवरी 2002 के गोधरा कांड से लेकर ! गुजरात के दंगों में प्रशासन की ओर से क्या – क्या कोताही बरतने के कारणों को उजागर करने का प्रयास किया है ! इस दंगे में दो हजार से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पडी है ! खुद आर. बी. श्रीकुमार उस समय गुजरात इंटेलिजेंस पुलिस के डी आई जी के पद पर कार्यरत थे ! और उन्होंने अपनी तरफ से नानावटी कमिशन से लेकर ! सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एस आईटी को भी गुजरात के दंगों के दौरान प्रशासन के तरफसे क्या – क्या गलतीया हुई ! और उस कारण दंगे को फैलाने में मदद हुई है ! यह जानकारी एफिडेविट कर के लिखित रूप से सौपने के बावजूद ! गुजरात दंगों के जांच के लिए गठित राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किए गए कमिशन जिसके प्रमुख जस्टिस जी. टी. नानावटी थे ! और उसी तरह सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा गठित एस आईटी के प्रमुख डॉ. आर. के. राघवन (पूर्व सीबीआय प्रमुख) के बारे में खुद आर बी श्रीकुमार लिख रहे हैं ! “कि दोनों जांच करने वाले जांच का दिखावा कर रहे थे !

और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे थे !” अब उनके द्वारा किए गए क्लिनचट कितनी गंदगी से लबालब भरी हुई है ! उसके लिए सिर्फ एक नरोदा पटिया के हादसे की कहानी उदाहरण के लिए दे रहा हूँ !
” 28 फरवरी को जब मैं, अपने कार्यालय में था ! उस समय मुझे खुर्शीद अहमद जो सहजपूर गोगा के एस आर पी के बटालियन कमांडर पदपर थे ! यह इलाका नरोदा पटिया के करीब है ! (1997 आई पी एस बैच के अफसर) का फोन आया ! कि पहले ही 96 मुस्लिम समुदाय के लोगों को मार डाला था ! और अब 500 मुस्लिम परिवारों को सतत धमकीया मिल रही है ! तो वह एस आर पी कैम्प के भीतर पनाह मांग रहे हैं ! और खुर्शीद अहमद फोन पर मुझसे इजाजत मांग रहे थे ! “कि उन्हें एस आर पी कैम्प के भीतर आश्रय दू !” मैंने तुरंत फोन पर, और अलग से लिखित रूप से फॅक्स संदेश देकर ! खुर्शीद अहमद को आदेश दिया “कि एस आर पी कैम्प के खाली बरॅक, जो दंगे की रोकथाम के लिए जवान बाहर तैनात होने के कारण ! खाली थे ! तो मैंने तत्कालीन व्यवस्था करने का आदेश दिया ! ” खुर्शीद अहमद और उनके मातहत सेकंड इन कमांड डी एसपी कुरैशी दोनों मुस्लिम समुदाय के होने के कारण ! मुस्लिम समुदाय के लोगों को बटालियन मुख्यालय में आश्रय देने के लिये धोका मोल लेना नही चाहते थे ! इसलिए मैंने लिखित आदेश में लिखा था! ” कि आप लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी ! मैं लिखित आदेश दे रहा हूँ ! ” की जो भी लोग सुरक्षा के लिए! एस आर पी कैम्प के अंदर मांग कर रहे हैं! उन्हें अंदर लेकर सुरक्षा देने की व्यवस्था की जाए ! लेकिन मुझे बाद में पता चला कि ! उन्हें आश्रय नही देने के कारण ! नरोदा पटिया की जधन्य घटना हुई ! और शेकडो लोगो को अपनी जान गंवानी पडी !

पिछले विधानसभा चुनाव में इसी नरोदा पटिया की घटना के जिम्मेदार व्यक्तियों में से एक की बेटी को उसी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने टिकट दिया है ! और उसके चुनाव प्रचार की सभा में भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने नरोदा के घटना के बारे में ही नहीं पुरे गुजरात के दंगों के समर्थन में भाषण देते हुए कहा ! ” कि चिरशांती के लिए गुजरात का दंगा आवश्यक था ! ” अगर भारत की कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई आदमी की ! इस तरह की टिप्पणी है ! तो हमारे बहुलतावादी देश की कानून व्यवस्था की स्थिति कैसी है ? इस बारे में शंकाओं से मन भर गया है !
मैंने बाद में जाँच में पाया ! “कि खुर्शीद अहमद और कुरैशी दोनों अफसरों को उपर से आदेश आया था ! कि किसी भी हाल में मुस्लिम समुदाय को एस आर पी के कैम्प के भीतर आश्रय देना नहीं ! मैं खुद वरिष्ठ अफसर रहने के बावजूद ? खुर्शीद अहमद और कुरैशी ने मेरे आदेश का पालन नहीं किया ! इसका मतलब मुझसे भी कोई और बड़ी हस्ती ने उन्हें धमकाने का काम किया है ! और आस्चर्य की बात ! इस जधन्य घटना की कोई जांच-पड़ताल नही की गई ! उल्टा खुर्शीद अहमद को जिसे पुलिस की भाषा में मलाईदार पोस्ट कहा जाता है ! ऐसे सुरत शहर के पुलिस उपायुक्त के पद पर स्थानांतरित किया ! और खुर्शीद अहमद की पत्नी समीना हुसैन को सुरेंद्रनगर की कलक्टर के पद पर नियुक्ति कर के ! दोनों को मलाईदार पदो पर बैठाने की कृती को क्या कहेंगे ? ( 1997 बैच की आय ए एस ! ) मैंने आजसे पंद्रह साल पहले अकोला के दंगों के जाच के समय स्थानीय पुलिस स्टेशन के मुख्य अफसर जो मुस्लिम समुदाय से था ! और बुरी तरह से मुसलमानों को लेकर बातचीत कर रहा था ! आखिर में मुझसे रहा नहीं गया ! और मैंने उसे बहुत खुब सुनाया ! अन्यथा उसे लगा कि हमारे सामने मुस्लिम समुदाय को दोषी करार देने से हमें खुशी होगी !


संपूर्ण तंत्र में, अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को अपने ड्यूटी का निर्वाह करना कितना मुश्किल होता है ! यह मै समझ सकता हूँ ! लेकिन किस किमत पर ? गुजरात दंगों के सब से जधन्य कांड में शेकडो लोगों की जान की किमत पर ! कलक्टर कमिश्नर के पदों की क्या किमत हो सकती है ? नरेंद्र मोदीजी लाख देश भर में दावा करते हैं ! “कि हमारे गुजरात में सब से अधिक मुस्लिम समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरी में स्थान है !” लेकिन उनके साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है ? यह खुर्शीद अहमद और उनकी पत्नी के तथाकथित पदोन्नति को देखते हुए बहुत ग्लानी पैदा हो रही है ! और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कौन सी स्थिति में काम करने की मजबूरी है ! इसका सबसे बड़ा उदाहरण और दूसरा क्या हो सकता है ?
जिस देश में दो नंबर के पद पर बने हुए ! उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी साहब ने किसी एक कार्यक्रम में ! मुस्लिम समुदाय के लोगों की असुरक्षित मानसिकता का जिक्र किया ! तो इसी प्रधानमंत्री ने और उनके बगल बच्चों ने ! उन्हें कितना भला – बुरा कहा है ? यह बात पूरी दुनिया जानती है !


बायोलोजीकल एक्सिडेंट से, किसी विशेष समुदाय में जन्म होने वाले ! पृथ्वी के किसी भी कोने के आदमी या औरतों को ! अपनी जन्मना जाती – संप्रदाय का अभिमान होने का कोई औचित्य नहीं है ! और भारत में पैदा हुए हिंदुओं को ! इतना इतराने की कोई जरूरत नहीं है ! वह सदियों से बहुसंख्यक है ! और आगे भी सदीयो तक बहुसंख्यक ही रहने वाले हैं ! कुल मिलाकर एक हजार वर्ष से अधिक समय, पराये धर्मावलंबियों का राज रहने के बावजूद ! इस देश के, हिंदु धर्म के लोगों की जनसंख्या नही ! औरंगजेब के पचास साल की सल्तनत में कम हुई है ! और न ही किसी पोर्तुगाली या इंग्लिश, डच, फ्रेंच के पादरियों के कारण कम नहीं हुई है ! और हुआ भी है ! तो हमारे धर्म की उचनिचता के कारण ही हुई है ! यह स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है ! “कि भारत में इस्लाम और ख्रिश्चन धर्म का आगमन हमारे धर्म की जातीव्यवस्था के कारण हुआ है ! और इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारे संविधान के निर्माता डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी की ! एतिहासिक येवला की सभा में ! की आज से 84 साल पहले की घोषणा !” की मै हिंदु धर्म में पैदा जरुर हुआ हूँ ! लेकिन मरने के पहले इस जातियतावादी – विषमता मुलक धर्म में नहीं मरुंगा !” की घोषणा के बाद बीस साल पस्चात ! नागपुर के दिक्षाभूमी के मैदान में ! अपने लाखों अनुयायियों के साथ 14 अक्तुबर 1956 के दिन ! हिंदु धर्म का त्याग कर के ! बौध्द धर्म का स्विकार किया ! और वह सिलसिला आज भी ! हर साल अक्तुबर महिने में ! दशहरे के दिन ! दिक्षाभूमी पर, लाखों की संख्या में ! दलित और पिछड़ी जातियों के लोग ! इकट्ठे होकर, सामुहिक रुप से बौध्द धर्म का स्विकार करते हैं ! और आस्चर्य की बात संघ का मुख्यालय इसी नागपुर में है ! और वह भी अपने संघ के स्थापना दिवस के रूप में वही दिन मनाते हैं ! लेकिन हमारे देश के पिछड़े और दलितों को हिंदू धर्म त्यागने का कारणों को जानबूझकर अनदेखी कर के ! कौन सा हिंदुओं का संघठन बनाने जा रहे हो ? चंद उच्च जाति के तथाकथित हिंदूओ का ? डॉक्टर राममनोहर लोहिया ने अपने हिंदू बनाम हिंदू नाम के निबंध में कट्टरपंथी हिंदू और उदारपंथी हिंदूओ के भीतर पांच हजार वर्ष पुरानी लड़ाई का विस्तृत विवरण दिया है !


आज की तारीख में बीजेपी या संघ के अगल-बगल में ! कोई भी मुस्लिम समुदाय का आदमी या औरत सिर्फ और सिर्फ अपनी असुरक्षित मानसिकता के कारण मौजूद हैं ! अन्यथा उग्र हिंदूत्ववादी संघ और उसकी राजनीतिक ईकाई बीजेपी में मुस्लिम समुदाय के लोगों के होने की कोई और वजह नहीं है ! नरोदा पटिया के एस आर पी के बटालियन के कमांडर खुर्शीद अहमद और उनकी कलक्टर बीवी का उदाहरण भारत के मुसलमानों के असुरक्षित मानसिकता का क्लासिकल उदाहरण के रूप में लिया जाना चाहिए !
डॉ सुरेश खैरनार 20 फरवरी, 2023, नागपुर

 

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