rjdराजनीतिक और कानूनी झटके झेल रहे राजद ने जदयू और भाजपा के खिलाफ पलटवार की तैयारी तेज कर दी है. कहिए तो आपके द्वार विधायक कार्यक्रम से इसकी शुरुआत कर दी गई है. जीएसटी के खिलाफ पूरे प्रदेश में राजद ने आंदोलन की तैयारी की है. आठ नवंबर को हर जिला मुख्यालय पर धरना दिया जाएगा और पूछा जाएगा कि जीएसटी से गरीब जनता को क्या फायदा हुआ है, इसे सरकार बताए. कानून और व्यवस्था के मामले पर भी नीतीश सरकार को घेरने की तैयारी है और इसे लेकर एक व्यापक आंदोलन छेड़ने की कवायद जारी है. राजद सरकार से यह पूछेगा कि अगर जंगलराज लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के शासनकाल में था, तो जो अब जो हो रहा है वह क्या है? लालू प्रसाद जल्द ही एक बार फिर गांधी मैदान में बड़ी रैली करने का भी प्लान बना रहे हैं.

लालू दोहरी जंग लड़ रहे हैं

दरअसल पलटवार की रणनीति लालू प्रसाद ने बहुत ही सोच समझ कर बनाई है. अपने और अपने परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से लालू प्रसाद खासे परेशान हैं. इनकी परेशानी भले ही उनके चेहरे से न झलकती हो पर सच्चाई यह है कि इस मामले ने लालू और उनके परिवार को पूरी तरह उलझा कर रख दिया है. कभी रांची तो कभी दिल्ली, कभी आईटी तो कभी ईडी की पूछताछ. इन पूछताछों से राजद के कैडरों पर भी बुरा असर पड़ रहा है. उन्हें लग रहा है कि अगर जेल जाने की नौबत आ गई तो फिर पार्टी को आगे लेकर कौन जाएगा? संकट यह है कि इस बार घेरे में केवल लालू प्रसाद ही नहीं हैं, बल्कि उनका सारा परिवार है. जानकार बताते हैं कि लालू प्रसाद हर बचे हुए वक्त का उपयोग कर लेना चाहते हैं. संगठन का चुनाव तेजी पर है और बहुत संभावना है कि आलोक मेहता को इस बार प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी जाए. लालू प्रसाद को इसमें बहुत फायदा नजर आ रहा है. आलोक मेहता तेजस्वी के खास हैं और पार्टी के अगुआ रणनीतिकार माने जाते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि कुशवाहा वोटों को अपनी ओर समेटने में आलोक मेहता राजद के लिए काफी कारगर हो सकते हैं. लालू प्रसाद आलोक मेहता जैसे युवा के कंधे पर पार्टी की जिम्मेदारी देकर युवाओं को संदेश भी देना चाहते हैं. राजद के सूत्र बताते हैं कि लालू प्रसाद नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार दोनों को निशाने पर लेकर राजद का जनाधार बढ़ाने की कोशिश में हैं. लालू अपनी हर सभा में नरेंद्र मोदी को जीएसटी और बिहार के साथ हो रहे सौतेलेपन के मुद्दे पर घेर रहे हैं, वहीं नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार और कानून व व्यवस्था के मुद्दे पर खरी खोटी सुना रहे हैं. लालू जानते हैं कि उनकी लड़ाई आसान नहीं है वह दोहरी जंग लड़ रहे हैं.

उनके दोनों विरोधी दमदार हैं और वे कानूनी जाल में उलझे हैं, इसलिए लालूू प्रसाद के लिए यह समय कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह दो-दो बजे रात तक सोशल मीडिया पर सक्रिय रहकर अपने विरोधियों को घेरने का काम कर रहे हैं. लालू प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी के एक कार्यक्रम में खुद इस बात का खुलासा किया कि वे देर रात तक सोशल मीडिया में सक्रिय रहकर अपने विरोधियों के खिलाफ तथ्य जुुटाने में लगे रहते हैं. श्री कृष्ण बाबू के जयंती समारोह में कांग्रेस ने लालू प्रसाद को अपना मुख्य अतिथि बनाया था. यह भी एक रणनीति के तहत ही हुआ. दरअसल एनडीए खेेमा चाहता है कि लालू और कांग्रेस के बीच दूरी बना दी जाए. हो सके तो कांग्रेस को तोड़ भी दिया जाए. पिछले दिनों पटना से लेकर दिल्ली तक इसकी कोशिश होती रही जिसमें बलि का बकरा अशोक चौधरी को बना दिया गया. एनडीए खासकर भाजपा के रणनीतिकार चाहते हैं कि कांग्रेस अलग होकर चुनाव लड़े ताकि मुस्लिम वोटों का धु्रवीकरण न होने पाए. लालू प्रसाद इस चाल को अच्छी तरह समझते हैं, इसलिए उन्होंने बतौर अतिथि कांग्रेस के कार्यक्रम में जाना स्वीकार कर लिया. लालू कहीं से नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस और राजद के बीच कुछ दूरी दिखाई दे, इसलिए उन्होंने उस कार्यक्रम में साफ-साफ कहा कि धर्मनिरपेक्ष  ताकतों को एकजुट रखने के लिए वे कुर्बानी देते आए हैं और आगे भी देते रहेंगे. इसी प्लान के तहत लालू नीतीश कुमार से कहीं ज्यादा नरेंद्र मोदी को भला बुरा कहते फिर रहे हैं. लालूू के अलावा पार्टी के अन्य नेता भी केंद्र सरकार को लगातार घेर रहे हैं.

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी कहते हैं कि पहली बार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बैकफुट पर है. इस दफा सरकार पर निशाना लगाने वालों में सिर्फ विरोधी नहीं, बल्कि भाजपा के अपने लोग भी हैं. देश वित्तीय संकट की स्थिति में है. सब मान रहे हैं कि जिस प्रकार बगैर सोचे-समझे नोटबंदी लागू की गई, उसने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है. रही-सही कसर आनन-फानन में लागू किए गए जीएसटी के मौजूदा स्वरूप ने पूरा कर दिया है. श्री तिवारी ने आरोप लगाया कि सबसे चिंताजनक हालत रोजगार की है. कई क्षेत्रों में उद्योग बंद हुए हैं. बड़े पैमाने पर छंटनी हो रही है. आजादी के बाद पहली मर्तबा रोजगार बढ़ने के बदले घटने लगे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि देश में निवेश नहीं हो रहा है, फिर विदेशी निवेश का सवाल कहां है? सरकार सिर्फ हवाबाजी से काम चला रही है, लेकिन हवाबाजी द्वारा हर बार जनता की आंख में धूल नहीं झोंका जा सकता है.

राजद के नेता बार-बार यह मुद्दा उठा रहे हैं कि केंद्र सरकार बिहार के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. बाढ़ राहत का पैसा भी अभी तक नहीं दिया गया. विशेष पैकेज पर तो केवल सूबे की जनता को ठगा जा रहा है. राजद प्रवक्ता निरंजन कुमार पप्पू कहते हैं कि अब तो हद हो गई है. नीतीश कुमार हाथ जोड़कर प्रधानमंत्री से मांग रहे हैं और प्रधानमंत्री हैं कि कुछ देने को तैयार नहीं हैं. श्री पप्पू का कहना है कि बिहार की जनता नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार दोनों को पहचान गई है और आने वाले चुनावों मेें एनडीए को सबक सिखाएगी. श्री पप्पू का कहना है कि आपके द्वार विधायक कार्यक्रम में जिस तरह की भीड़ जुट रही है, उससे साफ है कि लोगों का राजद के प्रति झुकाव काफी बढ़ा है. बिहार की जनता का एक ही नेता है और वह है लालू प्रसाद. सामाजिक न्याय की लालू प्रसाद की लड़ाई को उनके दोनों बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी आगे बढ़ा रहे हैं.

राजद ने भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब भ्रष्टाचार के आरोपों से ही देने की रणनीति बनाई है. यही वजह है कि सृजन घोटाले को राजद प्रमुखता से हर मंच पर उठा रहा है. पार्टी मानती है कि सृजन के छींटे नीतीश कुमार और सुशील मोदी पर पड़ने तय हैं, इसलिए हर मंच से सृजन के मामले को उछाला जा रहा है. राजद इस मामले को कानूनी ढंग से भी आगे बढ़ाना चाहती है. इसके लिए संबंधित लोगों की पूरी मदद की जा रही है. जमीन पर और अदालत में दोनों ही मंच पर सृजन की गूंज नीतीश कुमार और सुशील मोदी को परेशान कर सकती है.

कुशवाहा और मांझी को साथ लाने की कोशिश

राजद ने एनडीए को भी कमजोर करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को अपने पाले में लाने की कोशिश जारी है. राजद के कुछ बड़े नेताओं को इस काम में लगाया गया है. राजद की योजना बसपा और सपा को भी साथ लाने की है. लालू प्रसाद की सोच है कि नीतीश कुमार के जाने के बाद महागठबंधन केवल कहने को महागठबंधन न रह जाए, बल्कि सही मायनों में इसका दायरा काफी व्यापक हो, इसलिए दोहरी कार्ययोजना बनाई गई है. पहला एनडीए के कुछ सहयोगियों को साथ लाया जाए और दूसरा एनडीए से बाहर के दलों को धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक फोल्ड पर किया जाए. लालू प्रसाद आगामी चुनावों में किसी भी हाल में वोटों का बंटवारा नहीं चाहते हैं, इसलिए उन्होंने इस मामले में काफी लचीला रवैया अपना रखा है. लालू प्रसाद को लगता है कि बिहार में लोकसभा के साथ ही विधानसभा के भी चुनाव हो सकते हैं, इसलिए वे जल्दी में हैं और चाहते हैं कि अनुकूल समय में ही महागठबंधन को भी पूरी तहर व्यवस्थित कर दिया जाए. जीतन राम मांझी को लेकर ज्यादा दिक्कत नहीं है पर उपेंद्र कुशवाहा को लेकर पेंच फंस रहा है. उपेंद्र कुशवाहा के लोग मुख्यमंत्री से कम में कोई बात करना ही नहीं चाहते हैं और राजद इसके लिए तैयार नहीं है. राजद के सूत्र बताते हैं कि देर सवेर उपेंद्र कुशवाहा को मना लिया जाएगा. पार्टी मानती है कि एनडीए में लोकसभा टिकट के बंटवारे में घमासान होना तय है और उस समय यह काम ज्यादा आसान हो जाएगा. लालू के अलावा अब तेजस्वी और तेजप्रताप भी पार्टी और अपने पर लगाए गए आरोपों का खुल कर जवाब दे रहे हैं. ताजा उदाहरण छठ पर सुशील मोदी के टिव्‌ट का दे सकते हैं.

भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी का  ज्ञान पहले सुनिए. वो फरमाते हैं, करोड़ों रुपए के माल, मिट्टी और जमीन घोटाले में फंसने पर जिनके बेटों ने तंत्र-मन्त्र और वास्तुदोष निवारण के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाये, उनकी माताश्री राबड़ी देवी अब संकट से मुक्ति के लिए छठ करने की दुविधा में हैं. यह ऑफिशियल टि्‌वट की भाषा बेहद अपमानजनक और उकसानेवाली है. सुशील मोदी जैसे वरिष्ठ नेता से कम से कम ये उम्मीद तो बिहार को नहीं ही रही होगी. महापर्व पर एक एक शब्द सोच समझकर बोला जाता है, यह किसी जाति या दल से सम्बद्ध नहीं है. इस महापर्व से करोड़ों बिहारियों की श्रद्धा जुड़ी है. भाजपा के भी कई नेताओं ने इस भाषा को अशालीन बताया. इस आपत्तिजनक टि्‌वट के जवाब में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी ने टि्‌वट किया कि छठ मैया पर आपकी टिप्पणी आपके छिछोरापन, छठ मैया के प्रति आपकी घोर घृणा, अपमान और ओछी मानसिकता का परिचायक है. तेजस्वी ने फिर भी शालीनता बरती, लेकिन उनके दल के कई अन्य विधायक कहां चुप बैठने वाले थे! उनलोगों ने सुशील मोदी की पत्नी श्रीमती जेसी जॉर्ज पर ऐसे-ऐसे ट्विट किये कि छठ मैया तक कराह उठीं होगी. यहां तक कहा गया कि जेसी जॉर्ज और उनकी मां जी को अगल-बगल खड़ा कर देख लो कि कौन कितनी धार्मिक हैं! मोदी को विधर्मी और छठ पर ज्यादा ज्ञान न देने की चेतावनी तक दी गयी.

साफ है कि राजद अब अपने पर हुए हर राजनीतिक हमले का जबाव देगा और कहीं से यह संदेश नहीं जाने देगा कि तमाम परेशानियों के बावजूद पार्टी बैकफुुट पर है. आक्रमण को ही हथियार बना 2019 और 2020 की  जंग जीतने का संदेश लालू प्रसाद ने राजद के अपने तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं को दे दिया है. आने वाले दिनों में इसकी पूरी तस्वीर साफ दिखने लगे तो आश्चर्य नहीं होगा.

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