कॉमरेड प्रोफेसर नुसरत बानो रूही जी को नहीं रहे पांच साल हो गए । आज भी रूही जी की कमी महसूस होती है ।उनकी याद भी प्रेरक और ऊर्जा दायक है ।
रूही जी का अवदान कम्युनिस्ट आंदोलन को गरिमा प्रदान करता है । वे श्रेष्ठतम मानवीय मूल्यों की प्रतीक हैं । एक आदर्श कम्युनिस्ट ,शिक्षाविद ,लेखिका , सम्पादक ,महिला नेत्री ,धर्म निरपेक्ष मूल्यों ,विश्व शांति और प्रगतिशील आंदोलन की प्रखर नेत्री के रूप में रूही जी का अवदान अविस्मरणीय है ।
रूही जी ने कट्टर पंथ और धर्मांधता का कड़ा प्रतिरोध अपना जीवन जोखिम में डालकर भी किया ।उन्होंने सही अर्थों में अभिव्यक्ति के खतरे उठाए ।
रूही जी के प्रेरक अवदान को लाल सलाम ।

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