भोपाल। तेजी से कम होते उर्दू शिक्षकों की वजह से स्कूल से लेकर कॉलेजों तक में इस भाषा की शिक्षा प्रभावित हो रही है। कम होते संसाधन के चलते कई निजी स्कूल और कॉलेजों में उर्दू भाषा की पढ़ाई बंद हो चुकी है तो बाकी में भी ये व्यवस्था बंद होने की कगार पर है। मप्र सरकार द्वारा नए सृजित किए गए पदों में भी इसको शामिल नहीं किया गया है।
बज्म ए जिया संस्था द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखी चिट्ठी में इस बात पर चिंता जताई गई है। संस्था अध्यक्ष फरमान उल्लाह ने लिखा है कि उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के महाविद्यालयों के लिए करीब 450 शैक्षणिक पद सृजित किए हैं। इनमें शामिल सहायक प्राध्यापकों के करीब 370 में उर्दू विषय के लिए स्वीकृति नहीं दी गई है। फरमान ने कहा कि इस स्थिति का असर ये होगा कि प्रदेश के करीब 169 शासकीय कॉलेज में उर्दू भाषा की शिक्षा मुश्किल में पड़ जाएगी और आगे चलकर ये खत्म होने की स्थिति में आ सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अधिकांश निजी महाविद्यालयों में उर्दू शिक्षा पर तालाबंदी हो चुकी है लेकिन सरकारी कॉलेजों को इस स्थिति को आने से रोकना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि प्रदेश के सरकारी कॉलेजों के लिए स्वीकृत किए गए प्राध्यापक पदों में उर्दू भाषा के पद भी शामिल किए जाएं तो यह भाषा को सहेजने में एक अहम कदम साबित होगा। बज्म ए जिया ने इस मामले में बात करने के राज्यपाल से भी समय मांगा है।

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