लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के पक्ष में प्रचार करने का ईनाम सरकार द्वारा योगगुरु बाबा रामदेव को जेड सुरक्षा के रूप में दिया जाना इन दिनों देवभूमि में चर्चा का विषय बना हुआ है. केंद्र सरकार ने बाबा को सुरक्षा देने की वजह अंडरवर्ल्ड और आतंकवादियों से उनकी जान को ख़तरा होना बताया है. यह अनोखा मामला है कि रामदेव को सुरक्षा मुहैया कराने से पहले गृह मंत्रालय की ओर से यह आकलन ही नहीं किया गया कि उन्हें सुरक्षा की कितनी ज़रूरत है. गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि आम तौर पर किसी भी व्यक्ति को सुरक्षा देने से पहले उस पर ख़तरे की पूरी समीक्षा की जाती है. यह आकलन किया जाता है कि उसकी जान को किससे और किस तरह का ख़तरा है. रामदेव के मामले में ऐसा नहीं किया गया. बाबा को सुरक्षा देने के मामले में केंद्र सरकार ने राज्य की हरीश सरकार के मानकों को अपने फैसले का आधार बनाया.
रामदेव को उत्तराखंड की सीमा के भीतर पूर्व से ही राज्य की हरीश सरकार के फैसले के अनुरूप जेड श्रेणी की सुरक्षा मिलती रही है. मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यकाल में कांग्रेस और बाबा के बीच छत्तीस के आंकड़े का संबंध बन गया था, जिसकी वजह जगजाहिर है. केंद्र में सत्ता का मुखिया बदलते ही राजनीति के सुजान हरीश रावत ने बाबा को उनके मन-मुताबिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ उन्हें अपने पक्ष में करने का दांव खेला और बाबा उनके दांव में फंस भी गए. क्षणे रुष्टा-क्षणे तुष्टा स्वभाव के बाबा ने कांग्रेस के प्रति नरम रुख कर लिया और अनेक मुद्दों पर हरीश रावत सरकार की मुक्त कंठ सराहना भी करने लगे. बाबा ने साफ़ कहा कि संत किसी एक दल का नहीं होता. बाबा के बदलते रुख ने केंद्र सरकार के माथे पर पसीना उकेर दिया. भगवा ताकतों के क़रीबी माने जाने वाले बाबा कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके सरकारी आवास पर मिले थे. बाबा की प्रधानमंत्री से क्या बातें हुईं, यह पूरी तरह से गुप्त ही रखा गया. प्रधानमंत्री सचिवालय ने बाबा के प्रधानमंत्री से मिलने की फोटो जारी की. राजनीति के जानकार तभी मानने लगे थे कि मोदी ने हरीश रावत के नहले पर दहला दे मारा. इसका परिणाम एक पखवाड़े बाद सामने आ गया.
रामदेव को उत्तराखंड की सीमा के भीतर पूर्व से ही राज्य की हरीश सरकार के फैसले के अनुरूप जेड श्रेणी की सुरक्षा मिलती रही है. मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यकाल में कांग्रेस और बाबा के बीच छत्तीस के आंकड़े का संबंध बन गया था, जिसकी वजह जगजाहिर है. केंद्र में सत्ता का मुखिया बदलते ही राजनीति के सुजान हरीश रावत ने बाबा को उनके मन-मुताबिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ उन्हें अपने पक्ष में करने का दांव खेला और बाबा उनके दांव में फंस भी गए.
हरिद्वार स्थित पतंजलि योग पीठ के संस्थापक रामदेव को अर्द्धसैनिक बल के कमांडो प्रदान किए जाएंगे. 40 सुरक्षाकर्मी हर वक्त उनकी सुरक्षा में रहेंगे. रामदेव विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाने की मांग कर रहे हैं. बाबा को मिल रही धमकियों के मद्देनज़र हरिद्वार में बाबा रामदेव, उनके आवास संत कुटीर एवं कार्यस्थल के इर्द-गिर्द निजी सुरक्षाकर्मियों का घेरा बढ़ा दिया गया है. बाबा के क़रीबी बालकृष्ण ने बताया कि देश की खुफिया एवं सुरक्षा एजेंसियों ने स्वामी जी की जान पर ख़तरे को देखते हुए जेड श्रेणी की सुरक्षा देने संबंधी सूचना केंद्र सरकार की ओर से दी है. बाबा को सरकार द्वारा जेड श्रेणी की सुरक्षा देने को लेकर जितने मुंह, उतनी बातें हो रही हैं. एक बात यह भी उभर कर आ रही है कि हरीश के बाबा से बढ़ते क़रीबी रिश्तों की घबराहट में प्रधानमंत्री ने स्वयं संज्ञान लेते हुए उन्हें अपने पाले में रखने के लिए यह बड़ा दांव खेला है. देवभूमि में राजनीति के जानकार मानते हैं कि बाबा काला धन के मुद्दे पर चुप्पी साधे रहें, इसीलिए यह पूरा व्यूह रचा गया है.
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी अपना रंग बदल दिया.
योगगुरु को मोदी सरकार द्वारा जेड सुरक्षा दिए जाने पर उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जो संत है, दुनिया के मोह-माया से परे है, उसे किससे और क्या ख़तरा हो सकता है. यह जनता की गाढ़ी कमाई का खुला अपव्यय है, जिसे देने से पहले सरकार को गहन चिंतन करना चाहिए था. जबकि सच्चाई यह है कि योगगुरु रामदेव को गोमुख यात्रा पर कड़ी सुरक्षा के मध्य वन क़ानून को धता बताकर सबसे पहले हरीश सरकार ने भेजा था. बाद में बाबा को उनके शिष्यों के साथ केदार नाथ यात्रा सरकारी खर्चे पर हरीश ने ही कराई. बाबा के लिए सुरक्षाकर्मियों की बड़ी फौज भी हरीश ने तैनात की थी. बाबा के पाला बदलते ही हरीश का रंग बदलना देखकर लोग हैरत में हैं. हरीश सरकार की सराहना करने वाले बाबा अब मोदी जी के पाले में पूरी तरह से खड़े दिख रहे हैं और यही बात सूबे के मुख्यमंत्री को पच नहीं रही है.