कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी दो दिवसीय दौरे पर नौ अगस्त को शाम छह बजे श्रीनगर पहुंचेंगे। राहुल गांधी श्रीनगर में एमए रोड स्थित प्रदेश कांग्रेस के नए मुख्यालय का उद्घाटन करने के अलावा बैठक को संबोधित करेंगे। इसके अलावा खीर भवानी मंदिर और हजरतबल दरगाह भी जाएंगे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर के पुत्र की शादी में भी वह शामिल होंगे।
प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर का कहना है कि नौ अगस्त को राहुल गांधी श्रीनगर पहुंचेंगे। दस अगस्त को वह कांग्रेस के नए मुख्यालय भवन का उद्घाटन करेंगे और कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। खीर भवानी मंदिर व हजरतबल दरगाह में भी राहुल गांधी जाएंगे।
राहुल के दौरे को देखते हुए प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल समेत कश्मीर व जम्मू के प्रमुख नेता श्रीनगर पहुंच चुके हैं और तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। जम्मू से पूर्व मंत्री एवं उपाध्यक्ष रमण भल्ला, महिला इकाई की अध्यक्ष इंदु पवार, युवा इकाई के अध्यक्ष नीरज कुंदन श्रीनगर पहुंच चुके हैं। मुख्य प्रवक्ता रवींद्र शर्मा व अन्य कई नेता सोमवार दोपहर तक श्रीनगर पहुंचेंगे।
5 अगस्त 2019 को हटाया गया था आर्टिकल 370
गुलाम अहमद मीर ने बताया कि उन्होंने राज्य के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अलावा कई दूसरे नेताओं को भी न्यौता भेजा है। डिनर का आयोजन उन्होंने अपने बेटे की कुछ दिन पहले हुई शादी के मौके पर किया है। सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के संविधान में संशोधन कर आर्टिकल 370 हटाया था।
आर्टिकल 370 के बारे में सब कुछ
- जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 को पूरी तरह से नहीं हटाया गया है। यह तीन भागों में बंटा हुआ है। यहां 370 (1) बाकायदा कायम है। सिर्फ 370 (2) और (3) को हटाया गया है। आर्टिकल 370 (1) के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की सरकार से सलाह पर राष्ट्रपति, संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को जम्मू-कश्मीर पर लागू कर सकते हैं।
- 17 अक्टूबर 1949 को आर्टिकल 370 भारतीय संविधान का हिस्सा बना। इसे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में जोड़ा गया था। यह जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्ता वाले राज्य का दर्जा देता था। आर्टिकल 370 की रूपरेखा 1947 में शेख अब्दुल्ला ने तैयार की थी। अब्दुल्ला को तब के PM जवाहरलाल नेहरू और महाराजा हरि सिंह ने राज्य का PM नियुक्त किया था।
- 370 के तहत संसद को जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन अन्य कानूनों को लागू कराने के लिए केंद्र राज्य की सहमति पर निर्भर था। 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर पर संविधान का आर्टिकल 356 लागू नहीं होता था। इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिन्ह भी था।
- भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे। यहां के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती थी। एक नागरिकता जम्मू-कश्मीर की और दूसरी भारत की होती थी। 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा लिया गया। केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही अधिसूचना जारी की। इस दौरान राज्य कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था।