पंजाब चुनाव करीब आते हैं राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हो गईं हैं. साथ एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. कल आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के कई सदस्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए. इन नेताओं में अकाली दल के नेता बलबीर सिंधू और पूर्व सांसद गुरचरण सिंह ग़ालिब के पुत्र सोनी ग़ालिब और आप सदस्य और ओलिंपियन सुरेंदर सिंह सोढ़ी शामिल हैं.
गौरतलब है कि इनसे पहले 4 नवम्बर को भी अकाली दल के पूर्व सांसद वीरेंदर सिंह बाजवा और आम आदमी पार्टी के नेता हरविंदर पाल सिंह अपने अन्य समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हुए थे. बाजवा अकाली दल के पोलिटिकल समिति के सदस्य थे जबकि हरविंदर पाल सिंह श्री हरगोविंदपूर से आप के कन्वेनर थे.
आम आदमी पार्टी की राज्य में जबरदस्त मौजूदगी से डरी कांग्रेस के लिए यह एक बहुत बड़ी कामयाबी साबित हो सकती है. आगामी विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती भाजपा-अकाली दल गठबंधन की ओर से नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी की ओर से हैं. क्योंकि चुनाव पूर्व आंकलन आम आदमी पार्टी को फिलहाल आगे दिखा रहे हैं. ऐसे में यदि कांग्रेस राज्य में अपनी विपक्ष की हैसियत खो देती है तो यह उसके लिए एक बड़ा नुकसान होगा.
बहरहाल, इन नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस के खेमे में थोडा उत्साह ज़रूर पैदा होगा. लेकिन ये चुनावी नतीजों पर कितना असर डालेगा, यह आने वाला समय ही बताएगा.
वहीँ दूसरी तरह राज्य की राजनीती में अपनी मौजूदगी दर्ज करने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी का दावा है कि कांग्रेस पार्टी के 11 कौंसिलर उसके संपर्क में हैं और वे पार्टी में शामिल हो सकते हैं. ज़ाहिर है यह दावा ही है और जब तक कांग्रेस के 11 नेता आम आदमी पार्टी में शामिल नहीं हो जाते तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन यदि यह दावा सही है तो जहाँ यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा वहीँ एक बार फिर यह साबित हो जाएगा कि राज्य में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता में इजाफा हो रहा है. अमरिंदर सिंह ने अकाली दल और आम आदमी पार्टी छोड़ कर आये नेताओं का कांग्रेस में स्वागत करते हुए कहा कि लोग का आम आदमी पार्टी और अकाली दल दोनों से मोह भंग हो रहा है इसलिए वे इन पार्टियों को छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं.