सुना है कि कश्मीर के सभी हिंदु मंदिरों को नष्ट कर दिया गया है ! हम चार जून से आठ जून तक पांच दिन से कश्मीर में 370 हटानेके बाद ,दिसंबर 2019 में जाने की कोशिश की थी ! लेकिन तथाकथित कानून व्यवस्था के नाम पर दिल्ली एअरपोर्ट से ही वापस कर दिया था !
इस इस बार की यात्रा जानबूझकर जम्मू तक रेल से ,और जम्मू से कश्मीर रोड से की है ! इसमें कुल मिलाकर चार दिन यात्रा में ही समाप्त हो गये ! और हमारी पहली यात्रा है ! जो जम्मू -कश्मीर सिर्फ चार दिन रहे ! ( मैं कश्मीर में 19 74 से आ जा रहा हूँ !) लेकिन चारों दिन शिक्षक, किसानों, मजदूरों तथा विद्दार्थी,मजदूरों के नेता(पंडित संपत प्रकाश उम्र 86 ),वकील, सोशल-पोलिटिकल एक्टीविस्ट(सैयद किरमानी शेख अब्दुल्ला के साथीयो में से एक उम्र 85 ! ), पत्रकार(ऋषि परवेज़), और बिझनेसवाले, कश्मीर में बचे हुए पंडित और उसी कौम में पैदा हुए पंडित संपत प्रकाश जो हिंद मजदूर सभाके नेता भी हैं ! और कश्मीर के मुद्दे पर बहुत ही व्यवहारिक और तटस्थता से सोचने वाले लोगों में से एक है ! मेरी और उनके बातचीत की अॉडिओ – विडियो रेकॉर्डिंग भी है ! जो मैंने स्वतंत्र रूप से पंडित संपत प्रकाश के जुबानी कश्मीर की कहानी नाम से अलग से लिंक तैयार करने के बाद देने का निर्णय लिया है ! संपत प्रकाश जैसे पंडित बहुत ही कम है !


जो अन्य लोगों के साथ बातचीत की उसमें सबसे पहले उन्होंने हमारे जजमान स्थानीय मुस्लिम मित्रों के बारे मे हैरानी जताई ! और उनके साथ हमारे खाने – पीने के बारे में तो और भी ज्यादा आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा ” कि हम तो मुसलमानों को म्लेंछ (अछूत समझते हैं !) उनके हाथ का बना भोजन कभी भी नहीं खाते हैं ! और न ही मुस्लिम होटलों में कभी पैर रखते हैं ! अगर यह सही है, तो फिर पांच हजार साल हो या पांच मिनट हिंदु – मुस्लिम समुदाय के भीतर एकता, स्नेह, भाईचारा कैसे तैयार होगा ? और यही छुआछूत के कारण भारत में इस्लाम धर्म को और ख्रिश्चन धर्म, तथा 1956 डॉ बाबा साहब अंबेडकरजी और उनके साथ लाखों की संख्या में उनके अनुयायियों ने, बौद्ध धर्म अपनाने के उदाहरण सिर्फ 66 साल पहले होने के बावजूद ! हिंदु धर्म के कुछ कट्टरपंथी लोग आज भी म्लेंछ, अस्पृश्यता, छुआछूत जैसी घृणास्पद परंपरा हिंदु धर्म के अंतर्गत मौजूद हैं !
और आज भारत का सबसे बड़ा संगठन ! आर एस एस इस समस्या को लेकर सौ साल के इतिहास में एक बार भी कोई बात नहीं करना चाहता ! उल्टा जो जहाँ पर पैदा हुआ वह अपने – अपनी जगह खुष रहे ! और समरस होकर रहे !! इसीलिए उन्होंने समरसता मंच की स्थापना की है !


और कश्मीर फाईल्स सिनेमा भी 370 को हटाने के साथ मनुस्मृति को लागू करने की मांग की है ! भारत के प्रधानमंत्री उस फिल्म का प्रचार प्रसार करने के लिए विशेष रूप से कोशिश कर रहे हैं !(जो खुद बायोलॉजिकल अक्सिंडेंटसे गैरब्राम्हण जाती में पैदा हुए हैं ! और वह आज भी उसे अपने चुनाव प्रचार में खुब प्रचारित किया करते हैं !)
क्या कश्मीरी पंडित कश्मीर में वापस लौटने के लिए इस तरह की हरकतों से कोई मदद होगी ? या हर कश्मीरी पंडित के लिए बारह महीनों चौबीसों घण्टे सुरक्षा गार्ड के तैनाती कर के उन्हें अपने घर में ले जायेंगे ?
आज कश्मीर कि आबादी नब्बे प्रतिशत मुस्लिम है ! और पंडितों को वापस कश्मीर में ले जाने की बात वर्तमान सरकार कर रही है ! मैं तो 1990 से यह बात कह रहा हूँ ! लेकिन सुरक्षा बलों के भरोसे नहीं स्थानीय मुसलमानों का दिल जीत कर ! और कश्मीरी मुसलमानों की बहुत बड़ी आबादी, आज भी कश्मीरी हिन्दुओं के चले जाने का दर्द जता रहीं हैं ! और वह आज भी उन सभी मंदिरों का ध्यान रखना तथा उनके सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने का काम कर रहे हैं !


कश्मीर फाईल्स सिनेमा के बाद प्रथम बार कश्मीर में आयें थे ! तिन दिन लगातार इन सभी बातों के क्या परिणाम हुए हैं ? यही देखने के लिए हमारी बंगाल की मित्र मनिषा बॅनर्जी(बंगाला सास्कृतिक मंच की सचिव) भी साथ मे थीं !
उदाहरण के लिए, यह जो कुछ फोटो है, इनमें हुश्रु नाम की जगह पर पुराने शिवंमंदिर तथा खान सराय नाम के जगह पर चार सौ साल पहले के गुरुद्वारा ! आज भी पचास से अधिक मकान सिखों के मौजूद हैं ! और खेती तथा व्यापार करते हैं ! और एक भी बार पलायन नही किये हैं ! इस पहेली की गुत्थी के उपर मैं तीनों दिनों से सोच रहा हूँ ! और बादीपोरा नाम के गांव में एक मंदिर के है ! ( जिला बडगाव ) और जिला बांदिपोरा !


1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद लगातार श्री लाल कृष्ण अडवाणीजी ने कहा था ! कि कश्मीर के साडेचार सौ हिंदु मंदिरों को नष्ट कर दिया गया है ! यह सिर्फ एक झलक के रूप में कश्मीर से पहली जमीनी हकीकत से परिचित करने के क्रम में, वर्तमान कश्मीर की स्तिथी संपूर्ण विश्व को देने की शुरुआत की है ! इसके बाद क्रमशः । हम आप सभी साथियों को कश्मीर के जनमानस तथा वहां की वर्तमान हालात की वास्तविकता बताने की कोशिश करने जा रहें हैं ! और संभव हो तो आप सभी साथियों के सहयोग से कश्मीर के वर्तमान स्थिति पर जहां संभव हो तो बोलने के लिए भी आना चाहते हैं ! आप सभी साथियों को विनम्र प्रार्थना है कि अगर संभव हो तो आप सभी इस विषयपर सभा, गोष्ठियों का आयोजन करें क्यो कि बीजेपी आने वाले 2024 का लोकसभा चुनाव में कश्मीर और देश के अन्य क्षेत्रों में रह रहे, अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाकर चुनाव जीतने की कोशिश करेंगे ! आज बनारस कल मथुरा और उसके बाद देश के हर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों अस्तित्व को लेकर एक गृहयुद्ध के तरफ अग्रसर होना यही बीजेपी की नियत दिखाई दे रही है ! कश्मीर उसी युद्धाभ्यास का क्षेत्र बन गया है ! लेकिन हमारे देश के सिमावर्ती इलाके फिर कश्मीर हो या उत्तरपूर्व, पंजाब, राजस्थान और कुछ हदतक गुजरात का भी समावेश होता है ! पिछले तीस सालों से अधिक समय से संघ और उसके अन्य इकाइयों की चल रही हरकतों से देश की एकता – अखंडता और आपसी भाईचारे के साथ लगातार खिलवाड जारी है ! और यह जबतक बंद नहीं होता तब तक देश में अमन – चैन, शांति कभी भी कायम नहीं हो सकती !
डॉ सुरेश खैरनार, 9 जून 2022,

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