भोपाल। बढ़ते बीमारी के हालात, कम पड़ते संसाधन… कहीं ऑक्सीजन की कमी का रोना तो कहीं इंजेक्शन न मिल पाने की फरियाद। संक्रमण और महामारी से बचने के लिए अपनाए जा रहे तरह-तरह के जतन के बीच अब लोगों ने ईश्वर-अल्लाह की तरफ रुख किया है। महामृत्युजंय जाप से लेकर आयत-ए-करीमा तक के सहारे लोग अपनी गल्तियों की माफी मांगते हुए परमात्मा से सुरक्षा की गुहार लगाने लगे हैं। सामूहिक प्रार्थना-दुआ को दरकिनार कर लोगों ने इसके लिए व्यक्तिगत तौर से विशेष इंतजाम कर ईश्वर को राजी करने की तरफ कदम बढ़ा लिए हैं।

मौत से नजर चुराकर आ जाने वाले मंत्र महामृत्युजंय जाप की तरफ लोगों की आस्थाएं और गहरी हो गई हैं। लोगों को लगने लगा है कि जब दुनियावी इलाज कारगार साबित न हो सके तो एक ही ईश्वरीय शक्ति है, जो हर मुश्किल से बाहर निकालने की ताकत रखती है। पं. पंकज शर्मा कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों में महामृत्युजंय जाप कराने वालों की तादाद बढ़ी है। वे कहते हैं कि राशि और उम्र के लिहाज से तय की जाने वाले मंत्र विधि के लिए इस बात का ख्याल भी रखा जा रहा है कि इस बीच कोविड गाइडलाइन दरकिनार न हो। वे बताते हैं कि 5 से 8 दिन की अवधि से लेकर आवश्यकतानुसार जाप किया जा रहा है। वे कहते हैं कि लोगों की आस्थाएं हनुमान चालीसा और देवी कवच के वाचन की तरफ भी बढ़ी हैं। पं. शर्मा का मानना है कि जब दुनिया के सारे द्वार बंद हो जाते हैं तो एक ही रास्ता बचता है, जो ईश्वर की तरफ जाता है और वही इन सब मुश्किलों से लोगों को पार लगाएगा।

ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली कहते हैं कि हर मुश्किल से निजात पाने के लिए इंसान को अस्तगफार और तौबा कसरत से करना चाहिए। इसके अलावा आयत-ए-करीमा में इतनी ताकत है कि वह हर बीमारी, महामारी, आंधी, तूफान और मुश्किल हालात से बचा सकता है। कोरोना महामारी से बचने और इसके कहर से बाहर निकलने के लिए लोगों ने आयत-ए-करीमा का विर्द शुरू किया है। काजी अनस का कहना है कि कोरोना से बचने के लिए सभी धर्मों के लोगों को अपने-अपने तरीकों से प्रार्थना और दुआ करना चाहिए। वे कहते हैं कि नमाजों की पाबंदी और इसके लिए अपनाए जाने वाले तरीके भी बीमारी से बचने का रास्ता बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि नमाज से पहले किए जाने वाले वुजू के दौरान अपनाई जाने वाली मजमजा (गरारा) और इस्निकशाक (नाक साफ) करने की प्रक्रिया कोविड प्रोटेक्ट के लिए मुफीद हैं, इनका पालन कर बीमारी से बचना आसान हो सकता है।

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नवरात्रि से लेकर रमजान तक की फिक्र
इधर मंगलवार से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि और इसके साथ ही शुरू हो रहे रमजान माह को लेकर धार्मिक अनुयायियों में बैचेनी का माहौल पनपने लगा है। धार्मिक आस्थाओं के बड़े केन्द्र दोनों त्यौहारों के लिए मंदिर और मस्जिद आबाद होने के दौर में धार्मिक स्थलों का बंद होना लोगों को खल रहा है। हालांकि त्यौहारों के चलते धर्मालयों में बढऩे वाली भीड़ से बचाव के लिए सरकार द्वारा उठाया गया कदम उचित माना जा रहा है, लेकिन लगातार दो साल से आस्थाओं की कुर्बानी दे रहे धार्मिक लोगों को बने हुए हालात कष्ट पहुंचा रहे हैं।

खान अशु

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