फेक न्यूज को लेकर सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए गाइडलाइन को प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से वापस लेने को कहा गया है. स्मृति ईरानी के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी की गई इस गाइडलाइन में फुक न्यूज देने या इसका प्रचार करने वालों पर कार्रवाई की बात कही गई थी. इसके अनुसार, पहली बार फेक न्यूज देने पर छह महीने के लिए, दूसरी बार एक साल के लिए और तीसरी बार फेक न्यूज देने पर हमेशा के लिए अधिमान्यता रद्द करने की बात कही गई थी.

इस गाइडलाइन का विरोध हो रहा था. पत्रकारों के अलावा राजनीतिक दल और नेता भी इसके खिलाफ आवाज उठा रहे थे. इस पर कांग्रेस ने भी सवाल उठाए थे. कांग्रेस की सीनियर लीडर शीला दीक्षित ने कहा था कि फेक न्यूज की परिभाषा क्या है? लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडिया पर बंदिशों लोकतंत्र की हत्या के समान हैं. आज हम सिर्फ ऐसी खबरें देखते हैं जो सरकार के पक्ष में होती हैं. भारत मीडिया की आजादी में भरोसा रखता है और आगे भी यही होना चाहिए.

विरोध और हो-हल्ला के बाद अब प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से इस फैसले को वापस लेने को कहा गया है. पीएमओ ने कहा है कि इससे जुड़े मुद्दों पर प्रेस काउंसिल और न्यूज एंड ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) जैसी संस्थाएं ही विचार करें.

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