नई दिल्ली : यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के चयन के बाद इस पर भी बात चली कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उत्तराखंड और खास कर गढ़वाली पसंद हैं. उल्लेखनीय है कि देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ-साथ देश के थलसेना अध्यक्ष जनरल विपिन सिंह रावत, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख अनिल धस्माना, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कांग्रेस से भाजपा में आए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी गढ़वाल के ही हैं. और अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मूल रूप से गढ़वाल के हैं.

5 जून 1972 को उत्तराखंड (तब यूपी) के पौड़ी जनपद स्थित यमकेश्‍वर ब्‍लॉक के पंचूर गांव में जन्मे अजय सिंह 22 साल की उम्र में संन्यासी बन गए और उनका संन्यासी नाम आदित्यनाथ पड़ा. गोरक्षपीठ के पीठाधीश महंत अवैद्यनाथ ने अपने प्रिय शिष्य योगी आदित्यनाथ को 15 फरवरी 1994 को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था और योगी का दीक्षाभिषेक हुआ था. महंत अवैद्यनाथ रामजन्मभूमि आंदोलन के प्रणेता थे. उनके दिवंगत होने के बाद योगी आदित्यनाथ गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश बने. विज्ञान के स्नातक योगी आदित्यनाथ छात्र जीवन में भी और संन्यासी होने के बाद भी विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे. छुआछूत के खिलाफ उन्होंने व्यापक आंदोलन चलाया.

सबसे कम उम्र के सांसद

योगी ने 1998 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और 26 वर्ष की उम्र में ही सांसद बने.योगी ने अपने संसदीय क्षेत्र के तकरीबन 1500 ग्रामसभाओं का हर साल दौरा किया. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी योगी लोकसभा का चुनाव जीते. अब मुख्यमंत्री बनने के बाद वे सांसद पद से इस्तीफा देंगे और विधायक का चुनाव लड़ेंगे.

लेखक भी हैं योगी

1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दू महासंघ का अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित कर योगी काफी सुर्खियों में आए थे. सनातन धर्म और संस्कृति पर योगी ने कई किताबें भी लिखी हैं. इनमें ‘यौगिक षटकर्म’, ‘हठयोग: स्वरूप एवं साधना’, ‘राजयोग: स्वरूप एवं साधना’,‘हिन्दू राष्ट्र नेपाल’ जैसी पुस्तकें प्रमुख हैं. गोरक्षपीठ से प्रकाशित कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी योगी करते रहे हैं.

 

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