भारत में पेगासस जासूसी कांड को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर है। कथित रूप से फोन टैप कराने को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल संसद से लेकर सड़क तक केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इसी बीच जासूसी मामले की रिपोर्ट में कुछ और नाम सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि उद्योगपति अनिल अंबानी का भी फोन हैक किया गया है। इसके अलावा सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा के भी फोन टैप किए जाने की आशंका जताई जा रही है। इस लिस्ट में कुछ और नाम है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिस फोन नंबरों का अनिल अंबानी और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एडीएजी) के एक अन्य अधिकारी ने इस्तेमाल किया, वे नवंबर उस सूची में शामिल है, जिसका विश्लेषण पेगासस परियोजना समूह के मीडिया भागीदारों ने किया था।  हालांकि, रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि नहीं की गई है कि अनिल अंबानी वर्तमान में उस फोन नंबर का उपयोग कर रहे हैं या नहीं। इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।

राफेल के अधिकारियों के फोन भी शामिल
रिपोर्ट के अनुसार भारत में दसॉ एविएशन (राफेल विमान बनाने वाली कंपनी) के प्रतिनिधि वेंकट राव पोसिना, साब इंडिया के प्रमुख इंद्रजीत सियाल और बोइंग इंडिया के प्रमुख प्रत्यूष कुमार के नंबर भी 2018 और 2019 में विभिन्न अवधि में लीक आंकड़े में शामिल हैं। इसके साथ ही फ्रांस की कंपनी एनर्जी EDF के प्रमुख हरमनजीत नेगी का फोन भी लीक आंकड़े में शामिल है। बता दें कि फ्रांस से राफेल डील को लेकर विपक्ष के नेता केंद्र सरकार पर अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के आरोप लगाते रहे हैं।

दलाई लामा के सलाहकार व एनएससीएन नेता भी हो सकते हैं पेगासस के शिकार
वहीं तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के सलाहकारों और नगालिम राष्ट्रीय समाजवादी परिषद (एनएससीएन) के कई नेताओं के नाम शामिल हैं। इसके अलावा दुबई की राजकुमारी शेख लतीफा के कई करीबियों की जासूसी की भी संभावना जताई गई है। गार्जियन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एनएसओ समूह के निशाने पर भारत में निर्वासित सरकारों के अध्यक्ष, एक दूसरे आध्यात्मिक बौद्धिक नेता के स्टाफ लोबसांग सांगे और ग्यालवांग करमापा का भी नाम आया है।

50, 000 से ज्यादा सेलफोन हैक
पेरिस स्थित एक संस्था ‘फॉरबिडन स्टोरीज एवं मानवाधिकार समूह ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा हासिल की गई और 16 समाचार संगठनों के साथ साझा की गई 50,000 से अधिक सेलफोन नंबरों की सूची से पत्रकारों ने 50 देशों में 1,000 से अधिक ऐसे व्यक्तियों की पहचान की है, जिन्हें एनएसओ के ग्राहकों ने संभावित निगरानी के लिए कथित तौर पर चुना था।

सरकार की नाकामियों को उजागर करने वालों पर टार्गेट
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पेगासस के क्लाइंट्स ने ऐसे पत्रकारों की जासूसी कराई, जो सरकार की नाकामियों को उजागर करते रहे हैं या जो उसके फैसलों की आलोचना करते रहे हैं। एशिया से लेकर अमेरिका तक में कई देशों ने पेगासस के जरिए पत्रकारों की जासूसी की या उन्हें निगरानी सूची में रखा। रिपोर्ट में दुनिया के कुछ देशों के नाम भी दिए गए हैं, जहां पत्रकारों पर सरकार की नजरें हैं। लिस्ट में टॉप पर अजरबैजान है, जहां 48 पत्रकार सरकारी निगरानी सूची में थे। भारत में यह आंकड़ा 40 का है।

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