कश्मीर और पाकिस्तान का मसला
देश में इस समय सबसे चिंता का विषय कश्मीर है. जब कश्मीर में चुनाव हुए, तो भारतीय जनता पार्टी और संघ के वरिष्ठ लोगों का मानना था कि भारतीय जनता पार्टी को बाहर रहकर पीडीपी का समर्थन करना चाहिए. लेकिन अमित शाह और राम माधव इस राय के थे कि नहीं उन्हें सरकार में शामिल होना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी के संगठन के वरिष्ठ लोगों का कहना था कि ये कैसे हो सकता है कि कश्मीर का कोई हल निकले और उसका श्रेय भारतीय जनता पार्टी को मिले. पीडीपी ये कभी नहीं चाहेगी कि कश्मीर में किसी भी तरह के हल का श्रेय भारतीय जनता पार्टी को मिले.
इसीलिए कश्मीर में अब भारतीय जनता पार्टी इस गठबंधन से बाहर आना चाहती है. लगभग ये फैसला हो चुका था कि कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगेगा, तो महबूबा मुफ्ती ने आकर कुछ समय और मांगा और शायद उन्हें दो या तीन महीने दिए गए हैं कि अगर वो कश्मीर में शांति स्थापित नहीं कर पाईं, तो भारतीय जनता पार्टी इस गठबंधन से बाहर आ जाएगी. संघ के कुछ प्रमुख लोगों का कहना है, जो कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ हैं. उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी अगर सरकार से बाहर रहती, तो कश्मीर का हल निकलवाना उसके लिए पीडीपी की सरकार से आसान होता. लेकिन अब वो खुद सरकार में शामिल हैं, इसलिए वो हल नहीं निकल सकता, स्थिति खराब होगी. इसलिए अंततः भारतीय जनता पार्टी को इस गठबंधन से बाहर आना ही होगा.
सर्जिकल स्ट्राइक और इसके सिद्धांत को सरकार में कुछ मंत्री नरेंद्र मोदी की साख में असीमित बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण मानते हैं. उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से लाइन ऑफ कंट्रोल को अपने देश के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए घोषित करके क्रॉस किया, उसने उनकी साख बहुत बढ़ाई. इसी बड़े नेता ने मुझसे कहा कि जब कारगिल का युद्ध हुआ था, तो हमारे सैनिकों की शहादत में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी इसलिए भी हुई थी, क्योंकि हमने एयर पावर का इस्तेमाल नहीं किया था. उस समय अटल जी ने कहा था कि किसी भी कीमत पर हम एलओसी क्रॉस नहीं करेंगे.
अगर हम एयर पावर का इस्तेमाल करते, तो विमानों को एलओसी क्रॉस करना पड़ता. लेकिन इस बार नरेंद्र मोदी ने खुली घोषणा की कि देश के आत्मसम्मान और सुरक्षा के लिए अगर आवश्यकता पड़ी, तो हम एलओसी को भी क्रॉस करेंगे. सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि हमने एलओसी पार की और पाकिस्तान के सैनिकों को मारा. इसी बड़े नेता का ये विश्लेषण है कि कितने लोगों को मारा ये महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है ये घोषणा करना कि हमने एलओसी क्रॉस की और देश की सुरक्षा और आत्मसम्मान के लिए सर्जिकल स्ट्राइक किया.
जो लोग कहते हैं कि पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक होती थी, वो चोरी छुपे जाते थे. इस बार नरेंद्र मोदी ने घोषणा की और सर्जिकल स्ट्राइक की और ये जिम्मेदारी ली कि हमने लाइन ऑफ कंट्रोल पार की है. इनका कहना है कि अब तक इतिहास में दो ही देश ऐसे हैं, जिन्होंने घोषणा करके ये काम किया है. एक तो अमेरिका, जिसने अपनी सीमा से बहुत दूर दूसरे देशों में अपनी रक्षा के लिए हमले किए और दूसरा इजराइल, जो अपने देश की रक्षा के लिए हमला कर रहा है. दुनिया में तीसरा देश भारत बना, जिसने ये माना कि हमने एलओसी क्रॉस किया है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर नरेंद्र मोदी की इस राजनीतिक साहस की बहुत प्रशंसा हुई. क्योंकि अब तक किसी ने भी ये नहीं कहा था कि देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए मैंने लाइन ऑफ कंट्रोल पार की है और अगर आवश्यकता पड़ी, तो हम दोबारा पार करेंगे. इसे विश्व ने नरेंद्र मोदी के एक अप्रतिम राजनीतिक साहस की संज्ञा दी.
आगे का रास्ता…
नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल में, जमा के खाते में कम, घाटे वाले खाते में ज्यादा नंबर हैं. लेकिन उनकी कोई अहमियत इसलिए नहीं है, क्योंकि नरेंद्र मोदी ने राजनैतिक युद्ध में जो बढ़त हासिल की है, उस बढ़त ने हर गरीब के मन में नरेंद्र मोदी को अपने पक्ष का और अपने हितों का सबसे बड़ा रक्षक मान लिया है. नरेंद्र मोदी दक्षिण पंथ की विचारधारा पर आरूढ़ एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनकी भाषा समाजवादी और साम्यवादी है और उन्होंने साम्यवादी और समाजवादी या कहें वामपंथी समर्थक जनता को अपने साथ जोड़ लिया है. इसलिए उनका कोई भी वो वादा, जो पूरा नहीं हो पाया, लोगों के लिए चिंता का विषय नहीं है. ये विपक्ष के लिए चिंता का विषय हो सकता है, जो बिना रणनीति के या बिना तलवारबाजी की कला जाने तलवार चला रहा है.
नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र को एक नई परिभाषा भी दी है. नरेंद्र मोदी ने मीडिया को भी इतना प्रभावित किया है कि मीडिया भी पत्रकारिता की नई परिभाषा लिख रहा है. बिना प्रधानमंत्री कार्यालय के चाहे, बिना नरेंद्र मोदी के इशारा किए, आज टेलीविजन इंडस्ट्री में या प्रिंट इंडस्ट्री में कुछ नहीं हो सकता. ऐसे पत्रकारों की संख्या अचानक बढ़ गई है, जो बेमिसाल नरेंद्र मोदी, बाहुबली नरेंद्र मोदी, अन्नदाता नरेंद्र मोदी, भगवान का अवतार नरेंद्र मोदी जैसे विशेषणों से भारत की जनता को नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के उन पहलुओं का दर्शन करा रहे हैं, जो शायद स्वयं नरेेंद्र मोदी भी नहीं जानते. नरेंद्र मोदी का मीडिया के सर के ऊपर बैताल की तरह घुस जाना उनकी सबसे बड़ी सफलता है. हम थोड़े दिनों में देखेंगे पत्रकारिता की नई परिभाषा, पत्रकारिता के नए शब्द, पत्रकारिता की नई शैली, बेमिसाल नरेंद्र मोदी और तीन साल बेमिसाल जैसे लोग अब पत्रकारिता के सम्पूर्ण चरित्र को बदलने का दावा करते हैं. अच्छा है अगर हम इन संकेतों को पहचानें, देखें और इसका विश्लेषण करने की कोशिश करें कि इनका परिणाम भविष्य में क्या होगा.