प्रयागराज में हुई धर्मसंसद में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा उठाया गया है, आपको बता दें कि धर्मसंसद इस प्रस्ताव पर चर्चा की गयी है कि इस मुद्दे को ठीक वैसे ही उठाया जाएगा जैसे राम मंदिर का मुद्दा उठाया जा रहा है. इस धर्म संसद के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन मोहन भागवत ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि करोड़ों हिन्दुओं की भावनाओं से खेला जा रहा हैं.

धर्म संसद में बोलते हुए भागवत ने कहा कि राजनैतिक दाल वोट की राजनीति कर रहे हैं और जबरदस्ती महिलाओं को लाकर पीछे के दरवाज़े से मंदिर के अंदर प्रवेश करवाया जा रहा है. अगर कोई महिला मंदिर में प्रवेश करना चाहती है तो उसे प्रवेश करने देना चाहिए और अगर कोई उसे रोकता है तो उसे सुरक्षा भी देनी चाहिए। लेकिन जबरदस्ती किसी महिला को मंदिर में प्रवेश करवाना हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करना है.

आपको बता दें कि भागवत ने आगे बोलते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले में हिन्दुओं की भावनाओं का ज़रा भी ख्याल नहीं रखा गया है जिसकी वजह से कहिन्दु लगातार इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भगवान अयप्पा के चार मंदिर हैं, सिर्फ एक ही ब्रह्मचर्य रूप में है. महिला का प्रवेश न करना वहां की परंपरा है.

धर्म संसद में मोहन भागवत ने कहा कि सबरीमाला सिर्फ मलयालम भाषी के भगवान नहीं हैं. पूरा हिंदू समाज उनके साथ है. सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं की आस्था का ध्यान नहीं रखा. षड्यंत्र के तहत समाज को बांटा जा रहा है कपट युद्ध लड़ा जा रहा है. वोटो की राजनीति हो रही है, महाराष्ट्र का आंदोलन गवाह है. राजनीति करने वाले समझ लें कि आंबेडकर के अनुयायी हम भी हैं. हिंदुओं को चेतना होगा.

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