पाकिस्तान के अख़बारों में मोदी के इस निमंत्रण की काफ़ी सराहना हुई. कराची से प्रकाशित अख़बार जंग ने लिखा कि मोदी का निमंत्रण स्वीकार करके नवाज़ शरीफ़ ने जोख़िम तो लिया है, लेकिन अगर वह भारत के साथ विवादों को हल करने में सफल हो गए तो, उन्हें पाकिस्तान का ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया का नायक समझा जाएगा. 
IMG_0444प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ का जिस प्रकार भव्य स्वागत किया गया, उसकी सराहना दुनिया के कई देशों ने किया. पाकिस्तान समेत ब्रिटिश और अमेरिकी अख़बारों ने भी इसकी प्रशंसा की. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से सार्क राष्ट्रों के अन्य प्रतिनिधियों को इस समारोह में शामिल होने का निमंत्रण महज़ एक औपचारिकता थी. कहीं भारतीय विपक्षी दल नए प्रधानमंत्री पर यह आपत्ति न जता सकें कि उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को क्यों विशेष रूप से बुलाया है. वैसे देखा जाए तो मोदी का वास्तविक उद्देश्य अपने पाकिस्तानी समकक्ष को ही बुलाना था. उपरोक्त विचार पाकिस्तान के उर्दू अख़बार रोज़नामा एक्सप्रेस के हैं.
पाकिस्तान के अख़बारों में मोदी के इस निमंत्रण की काफ़ी सराहना हुई. कराची से प्रकाशित अख़बार जंग ने लिखा कि मोदी का निमंत्रण स्वीकार करके नवाज़ शरीफ़ ने जोख़िम तो लिया है, लेकिन अगर वह भारत के साथ विवादों को हल करने में सफल हो गए तो, उन्हें पाकिस्तान का ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया का नायक समझा जाएगा.
जंग के संपादक जावेद रशीद के मुताबिक़, भारत के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज़ शरीफ़ की मुलाक़ात से भारत एवं पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार आएगा और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध भी मज़बूत होंगे. इसी अख़बार के एक कॉलम अमन की आशा में प्रोफेसर राज कुंवर कहते हैं कि पाकिस्तान और भारत की लगभग डेढ़ अरब आबादी आशा करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों देशों के बीच रिश्तों को मज़बूत करेंगे. यह अख़बार नवाज़ और मोदी मुलाक़ात को नई दिशा का सफ़र बताते हुए लिखता है कि नरेंद्र मोदी के साथ भावुक बातों के आदान-प्रदान, नवाज़ शरीफ़ द्वारा दिल्ली की जामा मस्जिद के दौरे और वार्तालाप में सब कुछ अच्छा-अच्छा नज़र आ रहा है और जैसा कि नवाज़ शरीफ़ ने एक शेर के द्वारा पूरी बात कह दी कि पैवस्ता रहे शजर से उम्मीद-ए-बहार रख.
पाकिस्तान के एक और उर्दू अख़बार नवा-ए-वक़्त में पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव शमशाद अहमद ख़ान और आईएसआई के पूर्व महानिदेशक जहांगीर अशरफ क़ाज़ी ने ज़रूर नवाज़ शरीफ़ के भारत दौरे का विरोध किया है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री का यह जल्दबाज़ी में लिया गया फैसला है. इसी अख़बार के ज़रिए जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान के अमीर सिराज उल हक़ और जमाअतुत दावा के अमीर हाफ़िज़ मोहम्मद सईद ने भी इस दौरे का विरोध किया है. उनके अनुसार, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के दौरे से कश्मीर मुद्दे को नुक़सान पहुंचेगा.
पाकिस्तान के अधिकतर उर्दू और अंग्रेजी अख़बारों ने भाजपा प्रवक्ता और मौजूदा सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के उस बयान को सराहा, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार वाजपेयी के मार्गदर्शन पर चलेगी. ग़ौरतलब है कि वाजपेयी ने कहा था कि हम दोस्तों को चुन सकते हैं, लेकिन पड़ोसियों का चयन नहीं कर सकते, क्योंकि पड़ोसी तब्दील नहीं हो सकते.

पाकिस्तान के अख़बारों में यह भी बार-बार लिखा जा रहा है कि 1947 के बाद नवाज़ शरीफ़ पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री हैं, जो भारत के किसी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत कर रहे हैं. निश्‍चित रूप से यह सराहनीय है. पाकिस्तान के राजनयिक और सियासी जानकार इस मुलाक़ात से अधिक उम्मीद नहीं कर रहे हैं. हालांकि वह मानते हैं कि इस मुलाक़ात से रिश्तों में जमी ब़र्फ ज़रूर पिघलेगी और बातचीत का टूटा हुआ सिलसिला फिर से बहाल होगा.

पाकिस्तान के अख़बारों में यह भी बार-बार लिखा जा रहा है कि 1947 के बाद नवाज़ शरीफ़ पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री हैं, जो भारत के किसी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत कर रहे हैं. निश्‍चित रूप से यह सराहनीय है. पाकिस्तान के राजनयिक और सियासी जानकार इस मुलाक़ात से अधिक उम्मीद नहीं कर रहे हैं. हालांकि वह मानते हैं कि इस मुलाक़ात से रिश्तों में जमी ब़र्फ ज़रूर पिघलेगी और बातचीत का टूटा हुआ सिलसिला फिर से बहाल होगा.
लाहौर और कराची में जमात-ए-इस्लामी की सरपरस्ती में निकलने वाला अख़बार जसारत एकमात्र अख़बार है, जो नवाज़ शरीफ़ और मोदी की मुलाक़ात को आलोचनात्मक दृष्टि से देख रहा है. नवाज़ शरीफ़ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि पाकिस्तान की आकर्षक मंडी भारत का इंतज़ार कर रही है. इसी के हवाले से जसारत के संपादक का सवाल है कि भारत अगर पाकिस्तानी मंडियों पर छा गया तो, स्थानीय व्यापारियों का क्या होगा?
अंग्रेजी अख़बार डॉन में भी नवाज़ शरीफ़ के भारत जाने का स्वागत किया गया है. अख़बार के संपादक कहते हैं कि नवाज़ शरीफ़ ने भी भारत में बहुत सी अच्छी और सकारात्मक बातें कहीं हैं. नरेंद्र मोदी क्या वाकई पाकिस्तान से संबंध बेहतर बनाना चाहते हैं, यह पता करने में अभी समय लगेगा लेकिन नए प्रधानमंत्री का पाकिस्तान को आमंत्रित करना सुखद ज़रूर है.
पाकिस्तान के ही एक और अंग्रेज़ी अख़बार दी नेशन के संपादकीय का शीर्षक है पाकिस्तान लव्स मोदी जो कि सकारात्मक है. पाकिस्तान के पांच शहरों से प्रकाशित होने वाले अंग्रेजी अख़बार पाकिस्तान ऑब्जर्वर ने अपने संपादकीय में लिखा है कि नरेंद्र मोदी का नवाज़ शरीफ़ को निमंत्रण देना पूरे विश्‍व समुदाय में पसंद किया जा रहा है और आशा की जा रही है कि दोनों देशों के विदेश सचिवों की आगामी मुलाक़ात भी सुखद होगी, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि मुंबई आतंकी घटना की गूंज दिल्ली में फिर सुनाई दी है.
एक कहावत है कि अंधा क्या चाहे दो आंखें. भारत और पाकिस्तान का उदाहरण बिल्कुल ऐसा ही है, जहां की अवाम अमन, भाईचारा और सद्भाव से रहना चाहती हैं. ऐसे में जब कोई भी अमन की पहल होती है तो, यह सभी को अच्छी लगती है. राजनीतिज्ञ तो अपने अवसरवाद में लगे रहते हैं. असल दिल तो उनके धड़कते हैं, जिनके रिश्तेदार दोनों देशों में रहते हैं और कड़े वीजा नियमों के कारण एक-दूसरे का चेहरा तक नहीं देख पाते हैं.

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