पुलवामा हमले के बाद से ही मोदी सरकार का सर्जिकल स्ट्राइक जारी है। अब नरेंद्र मोदी सरकार ने अलगाववादी नेता यासीन मालिक के जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को आतंक विरोधी कानून के तहत बैन कर दिया है। केंद्र का यह फैसला अलगाववादियों पर बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।

जेकेएलएफ पर आतंकी गतिविधियों को समर्थन करने का आरोप लगता रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस सिलसिले में पिछले कई दिनों से जम्मू कश्मीर में छापेमारी कर रही थी। इस कड़ी में ईडी ने यासीन मलिक के कई ठिकानों पर भी छापेमारी की थी।

इससे पहले 28 फरवरी को केंद्र की मोदी सरकार ने जमात-ए-इस्लामी (जेईआइ) पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। इसके तहत गृह मंत्रालय की कार्रवाई में जेईआइ के प्रमुख हामिद फैयाज सहित 350 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार लगातार घाटी में मौजूद अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसती जा रही है।

इसी के तहत केंद्र सरकार के निर्देश पर अलगाववादी संगठनों और उनके नेताओं पर कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्तियां भी जब्त कर लीं या सील कर दीं। बता दें कि बीते जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पुलवामा हमले के 8 दिन बाद 22 फरवरी को यासीन मलिक को गिरफ्तार किया था।

गृह मंत्रालय के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 22 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा और सरकारी सुविधाएं वापस ले ली गई थी। साथ ही घाटी के 155 नेताओं को दी गई सुरक्षा में बदलाव किया था। इस सूची में भी यासीन मलिक का नाम शामिल था। हालांकि, उस दौरान यासीन मलिक ने कहा था कि सरकार ने उसे कोई सुरक्षा दी ही नहीं थी।

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