बोर्ड ने छिपाई जानकारी, आयुक्त ने कहा देना होगी ,भर्ती नियमों को दरकिनार कर दी थीं तीन नियुक्तियां। विवादों के सफर में मप्र वक्फ बोर्ड फिर एक कोताही कर डाली है। इस बार सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के नियमों की गलत व्याख्या कर आवेदक को जानकारी देने से इंकार कर दिया गया। मामला अपील में पहुंचा तो आयुक्त अल्पसंख्यक कल्याण एवं पिछड़ा वर्ग ने बोर्ड को ताकीद की है कि नियमों को गलत तरीके से पेश कर जानकारी छिपाई नहीं जा सकती। आयुक्त ने मप्र वक्फ को निर्देशित कर जानकारी मुहैया कराने के लिए कहा है।

सूत्रों के मुताबिक मप्र वक्फ बोर्ड में कुछ समय पहले की गई तीन लिपिकों की नियुक्तियों को लेकर आवेदक ने जानकारी मांगी थी। उन्होंने इन नियुक्तियों के लिए भर्ती नियम, इसके लिए प्रकाशित किए गए विज्ञापन, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार से संबंधित दस्तावेजों की प्रतिलिपि चाही थी। आवेदक ने इन भर्तियों के लिए अनुमोदन और निर्देशों के बारे में भी जानकारी चाही थी। साथ ही उक्त पदों के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता और इनको दिए जाने वाले वेतन की जानकारी भी वक्फ बोर्ड से मांगी थी।

बोर्ड ने बचा लिया दामन
जानकारी के मुताबिक सूचना का अधिकार नियम के तहत किए गए इस आवेदन पर मप्र वक्फ बोर्ड ने आवेदक को चिट्ठी भेजते हुए जानकारी देने से मना कर दिया। बोर्ड ने अधिनियम की धारा 11(1) के हवाले से कहा है कि मांगी गई जानकारी तृतीय पक्ष से संबंधित है। इन कर्मचारियों का पक्ष जानने पर उन्होंने निवेदन किया है कि उनकी निजी और व्यक्तिगत जानकारी किसी को न दी जाए।

आयुक्त ने कहा ऐसा कोई नियम नहीं

आवेदक द्वारा मामले की अपील आयुक्त, अल्पसंख्यक कल्याण को की गई थी। जिस पर आयुक्त एमके अग्रवाल ने 23 दिसंबर को बोर्ड को आदेशित किया है कि अपीलार्थी द्वारा चाही गई जानकारी की प्रमाणित प्रतिलिपि 7 दिनों के अंदर उपलब्ध कराई जाए। आयुक्त ने बोर्ड द्वारा आरटीआई के जवाब में भेजे गए पत्र और उसमें उल्लेखित की गर्इं धाराओं के प्रावधानों से भी असहमति जताई है।

हो यह रहा है

सूत्रों का कहना है कि मप्र वक्फ बोर्ड में कई वर्षों से भर्ती नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। यहां जरूरत के मुताबिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए औकाफ-ए-आम्मा को आधार बनाया जाता है। इस संस्था में पिछले दरवाजे से की गई नियुक्ति को बाद में बोर्ड में मर्ज कर लिया जाता है। जिससे यहां कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए किसी तरह के सरकारी नियमों का पालन ही नहीं हो पाता। बताया जाता है कि कुछ समय पहले बोर्ड ने कुछ रिक्त पदों के लिए विज्ञत्ति प्रकाशित की थी। इसके लिए परीक्षा और साक्षात्कार की तैयारी गई थी, लेकिन इससे पहले ही तात्कालीन बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो गया। जिसके बाद यहां लागू हुई प्रशासनिक व्यवस्था के दौरान इन परीक्षा को निरस्त कर दिया गया। बदले में तीन कर्मचारियों की नियुक्ति गुपचुप तरीके से कर ली गई, जिसको लेकर उन आवेदकों में रोष व्याप्त है, जिन्होंने विज्ञप्ति के आधार पर आवेदन किया था।

खान अशु

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