अक्सर चुनावी मुद्दा बनने वाला DNA फिर चर्चा में है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गाजियाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान DNA को लेकर बयान दिया। संघ प्रमुख ने कहा कि सभी भारतीयों का DNA एक है, भले ही वे किसी भी धर्म के क्यों न हों।

उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम एकता की बातें भी भ्रामक हैं, क्योंकि ये दोनों अलग नहीं, बल्कि एक हैं। लोगों के बीच पूजा पद्धति के आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता है। उन्होंने मॉब लिंचिंग करने वालों के बारे में कहा कि ऐसे लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं।

भागवत ने कहा, ‘भय के इस चक्र में न फंसें कि भारत में इस्लाम खतरे में है।’ उन्होंने कहा कि देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं है। आरएसएस प्रमुख ने जोर देकर कहा कि एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों का गौरव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष का एकमात्र समाधान ‘संवाद’ है, न कि ‘विसंवाद।

भागवत ने कहा, ‘हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात भ्रामक है क्योंकि वे अलग नहीं, बल्कि एक हैं। सभी भारतीयों का डीएनए एक है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। ‘ उन्होंने कहा, ‘हम एक लोकतंत्र में हैं. यहां हिन्दुओं या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता। यहां केवल भारतीयों का वर्चस्व हो सकता है। ‘

सियासत में पहले कब हुआ DNA का जिक्र

  • 2015 में मुजफ्फरपुर में एक रैली में PM मोदी ने इशारों में नीतीश कुमार का जिक्र कर कहा था कि शायद उनके DNA में ही गड़बड़ है।
  • 2016 में मध्य प्रदेश के BJP विधायक रामेश्वर शर्मा ने राहुल गांधी के बारे में विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि राहुल आतंकवादी हैं। उनका DNA टेस्ट होना चाहिए।
  • पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने DNA की बात कर राहुल गांधी के बारे में कहा था कि मुस्लिम बाप और विदेशी ईसाई मां का बेटा ब्राह्मण कैसे हो सकता है?
Adv from Sponsors