मणिपुर मई की तीन तारीख से जातीय हिंसा के कारण चर्चा में है ! और सत्तारूढ़ पार्टी वहां की स्थिति को देखने समझने वाले, तथा जांच करने वाले लोगों के उपरही हिंसा फैलाने जैसे गैरजिम्मेदार आरोप मढकर अपने खुद के नाकामयाबीयो को छुपाना चाहती है !


चैन्नई के हिंदू ग्रुप की अंग्रेजी पत्रिका ‘फ्रंटलाईन’ का 14 जुलाई का अंक फ्रंट पेजपर ही बोल्ड टाईप में लिखा है ! कि “STATE DIVIDED All fingers point to Chief Minister Biren Singh and the Centre for deeds they have done or left undone that have driven a wedge deep in the heart of Manipur” और मुखपृष्ठ पर एक मध्यमवयीन महिला माथेपर लाल बिंदी और पिली साडी लपेट कर बैठी हुई, और हाथों में एक तख्ति है ! जिसपर अंग्रेजी में लिखा है कि “WHY PM IS STILL SILENT ?”


मणिपुर की वर्तमान स्थिति को निमित्त हुआ है वहां के उच्च न्यायालय का फैसला ! जिसमें 53% प्रतिशत मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजातियों में समावेश करने के खिलाफ अॉल ट्राईबल्स युनियनने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा निकाला था ! और उस समय से मेईतेई विरुद्ध कुकी समुदाय के बीच में हिंसा की शुरुआत हुई ! और मणिपुर की सरकारने एक तरह से इस संघर्ष में मुकदर्शक की भूमिका निभाने का काम किया है ! और उसके बावजूद मुख्यमंत्री बिरेनसिंह भाजपा के बदस्तूर बने हुए हैं !
हालांकि मणिपुर पहले से ही संवेदनशील क्षेत्र में आता है ! इसलिए वहां पर सेना तथा अर्धसैनिक बल तैनात है ! और इसके खिलाफ मणिपुर की महिलाओं ने कुछ सालों पहले विवस्र होकर सेनाओं के मुख्यालयों पर ‘रेप अस’ लिखें हुए बॅनर अपने शरिर के सामने लटकाकर प्रदर्शन किया है ! जो संपूर्ण विश्व में प्रसारित हुआ है ! हालांकि हमारे देश के सभी हिमालय पर्वत की गोद में बने हुए क्षेत्रों में कम-अधिक – प्रमाण में कश्मीर से लेकर संपूर्ण उत्तर – पूर्व के राज्यों में स्थिति काफी हद तक एक जैसी बनाने के लिए, विशेष रूप से सरकारों की ओर से की जाने वाली कार्यवाही मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं !

जयप्रकाश नारायण ने रविंद्र उपाध्याय नामके अपने सहयोगी साथी को विशेष रूप से उत्तर – पूर्व के सवालों को लेकर काम करने के लिए नियुक्त किया था ! और जयप्रकाश नारायण खुद भी नागा समस्या से लेकर कश्मीर तक संजीदगी से सरोकार रखते थे ! और उन्होंने नागा नेता पिजो से लेकर कश्मीर के नेता शेख अब्दुल्ला के साथ समय – समय पर वार्तालाप करने की कोशिश की है ! आज उस तरह का कोई भी व्यक्ति या संस्था प्रयास करते हुए दिखाई नही देता है ! और इसी स्थिति का फायदा संघ ने उठाया है !
मै अस्सी के दशक में कलकत्ता मॅडम खैरनार की नौकरी की वजह से रहने के लिए गया था ! और वहां ज्यादा जानपहचान नही थी ! तो हमारे पुलगाव के मित्र जो विवेकानंद केंद्र में कभी काम कर चुके थे, तो उन्होंने कलकत्ता के विवेकानंद केंद्र का पता दिया था ! बिधान सरणी के विवेकानंद केंद्र में जाकर उस समय वहां के लोगों के साथ परिचय हुआ ! फिर यह सिलसिला चलता रहा ! क्योंकि विवेकानंद केंद्र के संस्थापकों में से श्री. एकनाथ रानडे महाराष्ट्रियन तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मी और सचिव बालकृष्ण और 99 % महाराष्ट्रियन ब्राम्हण तरुण और तरुणी महाराष्ट्र से कलकत्ता आकर फिर उत्तरपूर्व राज्यों में जाने का सिलसिला मेरे आंखों के सामने देखा हूँ ! क्योंकि ज्यादातर लोग कलकत्ता में आनेके बाद हमारे घर अवश्य आते थे ! और तब बातचीत में वह कहते थे कि “उत्तर-पूर्व राज्यों में अंग्रेजों के समय से ख्रिस्ती धर्म प्रचारकोने समस्त उत्तर – पूर्व प्रदेशों में काफी धर्म परिवर्तन का काम किया है ! और एकनाथ रानडे को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विवेकानंद केंद्र के नाम से उन्हें रोकने के लिए, और हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष रूप से जिम्मेदारी सौंपी गई है !” और ज्यादातर युवा उच्चविद्याविभूषित और महाराष्ट्रियन ब्राम्हण होते थे !
यह मेरे चालीस साल पुराने अनुभवों के आधार पर मै अब अनुमान कर रहा हूँ ! कि संघ के पचास साल पहले की कोशिश का परिणामस्वरूप आज समस्त उत्तर – पूर्व क्षेत्र में पहचान की राजनीति, उग्रहिंदूत्वादि प्रचार- प्रसार करने के कारण, त्रिपुरा में पचास साल पहले से सीपीएम की सरकार की जगह भाजपा की सरकार एकदम नहीं, पचास साल पहले की कोशिश का फल है ! वैसे ही नागालैंड, मिझोरम, अरुणाचल, मेघालय, और आसाम में भी भाजपा की सरकारों का बनना संघ की पचास साल पहले की कोशिश से, अस्मिता की राजनीति से आसाम से लेकर पूरे उत्तर – पूर्व प्रदेशों में आज जबरदस्त ध्रुवीकरण की राजनीति का प्रस्फुटन मणिपुर में हो रहा है ! और अन्य उत्तर – पूर्व के प्रदेशों में भी पहचान की राजनीति से ध्रुवीकरण हो चुका है ! नागरिक संशोधन बिल को लाने की एक वजह उत्तर – पूर्व में धर्मांतरित लोगों में से क्रिस्चियन, मुस्लिम और आदिवासियों को सबक सिखाने का उद्देश्य है ! ( वैसे तो पूरे देश में ही भाजपा इस कानून को लागू करने की इच्छा रखता है ! वह बात महत्वपूर्ण है ! )
संघ का तथाकथित “एक राष्ट्र, एक धर्म, एक भाषा, एक निशाण, और एक विधान,” इस घोषणा के तहत, सभी आदिवासीयो से लेकर इस देश के सभी समुदायों को एक रंग में रंगने की कोशिश की वजह से ! भारत जैसे बहुलतावादी देश में सिर्फ मणिपुर ही नहीं संपूर्ण देश में ही पहचान की राजनीति से मणिपुर के जैसे स्थिति वहां प्रकट रूप से चल रही है ! तो अप्रकट रुप से देश के अन्य हिस्सों में भी आनेवाले दिनों में समस्या अंदर ही अंदर पनप रही है !


आज दो महीने से भी अधिक समय मणिपुर की समस्या को शुरू हुई है ! लेकिन देश के प्रधानमंत्री ने इस विषय पर अभितक मुंह नही खोला है ! और वहां की सरकार जो मणिपुर की स्थिति सम्हालने में नाकामयाब रहने के बावजूद ! उसे बनी रहने देना जो बंगाल, बिहार तथा अन्य गैर भाजपा सरकारों को वहाँ की कानून और व्यवस्था की स्थिति को लेकर हायतोबा मचाते हुए, और मुख्यतः राज्यपाल लोग बहुत ही हस्तक्षेप करने के उदाहरण आए दिन देखने में आ रहे हैं ! तमिलनाडु के राज्यपाल ने बगैर मंत्रीमंडल के सिफारिश के बीना खुद ही एक मंत्री को बर्खास्त कर दिया ! जो हमारे संसदीय नियमों के विपरित है ! बंगाल में इसके पहले और अभि के राज्यपाल आए दिन कितने हस्तक्षेप करते हैं ? और महाराष्ट्र से लेकर सभी गैर भाजपा सरकारों के कामों में कितना हस्तक्षेप करते हैं ?


वहीं बात सुरक्षा रक्षक बलो की, तथा अन्य एजेंसियों की, आंई बी, सीबीआई जिनका काम देश की कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है ! लेकिन वह सिर्फ सत्ताधारी दल का मातृ संघठन आर. एस. एस. के जैसे ही भाजपा के इशारे पर ही काम कर रहे हैं ! यह हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए विशेष रूप से खतरनाक है !


भाजपा की फितरत है बाँटो और राज करो ! फिर मंदिर की बात हो या गोवध बंदी, या समान नागरी कानून, लवजेहाद, हिजाब, तथाकथित धर्मांतर विरोधी कानून और अब नागरिकता वाले कानून का इस्तेमाल करने की कोशिश यह सब इस देश में हजारों सालों से रह रहे लोगों में अलगाववादी तत्वों को फैलाने का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के समय से तय की गई भूमिका के तहत जारी है ! जिसमें लोगों के रोजमर्रा के सवाल फिर महंगाई हो या बेरोजगारी तथा किसानों – मजदूरों के कानूनों को बदलने की कवायद पूंजीपतियों के हितों की रक्षा करने के लिए विशेष रूप किए गए हैं !
90 साल पहले जर्मनी में ऐसा ही मंजर चलाया गया था ! जो अब भारत में भारतीय जनता पार्टी और मुख्यतः उसके मातृसंस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जो शतप्रतिशत फासीस्ट विचारों का भारतीय संस्करण वर्तमान में भारत में जगह – जगह कहा धर्म के आधार पर तो कहाँ भाषाओं तथा आदिवासी – गैरआदिवासियो जो वर्तमान समय में मणिपुर में मेईतेई के विरोध में कुकी के बीच में जारी है ! पचास हजार से अधिक लोगों को अपने घरों से पलायन करना पडा है ! सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई है और हजारों घर जलाकर राख हो गए हैं ! जिसमें वर्तमान मुख्यमंत्री के पुश्तैनी मकान का भी समावेश है ! संघ और उसकी राजनीतिक ईकाई भाजपा सिर्फ लिपापोती करते हुए नजर आ रहे हैं ! अगर इस तरह की हरकतों को रोकने का काम नहीं हुआ तो संपूर्ण देश में गृहयुद्ध हो सकता है ! काश आज कोई जयप्रकाश या रविंद्र उपाध्याय जैसे जिवट के लोग होते !
डॉ . सुरेश खैरनार 14 जुलै, 2023, नागपुर.

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