magadh-universityबिहार का सबसे बड़ा मगध विश्वविद्यालय दो वर्षों से वित्तीय अनियमितताओं और गड़बड़ी के कारण चर्चा में है. वर्तमान कुलपति समेत कई पूर्व कुलपतियों पर पुलिस व निगरानी विभाग में कई मामले दर्ज हैं. फिलहाल निगरानी विभाग जनवरी 2012 में मगध विश्वविद्यालय में बहाल किए गए 12 प्राचार्यों के मामले की जांच में जुटा है. 17 जून 2016 को निगरानी विभाग की टीम ने मगध विश्वविद्यालय जाकर इस मामले से संबंधित विभिन्न दस्तावेजों को जब्त किया. इस मामले में पूर्व कुलपति अरुण कुमार आरोपी हैं. वे बिहार टॉपर घोटाले के आरोपी लालकेश्वर प्रसाद और उनकी पत्नी प्रो. उषा सिंह के संबंधी हैं. प्राचार्य नियुक्ति घोटाले में प्रो. उषा सिंह को भी गलत तरीके से प्राचार्य के पद पर नियुक्त करने का आरोप अरुण कुमार पर है. पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो वित्तीय वर्ष 2012-13 में मगध विश्वविद्यालय में 15 प्राचार्यों की नियुक्ति की जांच कर रही है.

निगरानी विभाग ने विभिन्न दस्तावेजों की मांग करते हुए मगध विश्वविद्यालय पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. 17 जून 2016 को निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के डीएसपी अरुण शुक्ल के नेतृत्व में तीन सदस्यों की टीम ने मगध विश्वविद्यालय मुख्यालय स्थित कुलसचिव के कार्यालय में पहुंचकर प्राचार्य घोटाले से संबंधित विभिन्न दस्तावेजों की मांग की. टीम ने मगध विश्वविद्यालय से इस बहाली से संबंधित नोटिफिकेशन, 16 जनवरी 2013 से नियुक्त 12 व तीन अन्य प्राचार्यों का वर्तमान पदस्थापना, पद सहित प्रत्येक का विवरण, नियुक्त प्राचार्य पद और वेतन का लाभ ले रहे हैं के संबंध में जानकारी व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज मांगे हैं. इसके अलावा उनके पदस्थापन के संबंध में जानकारी, 12 अप्रैल 2012 को संपन्न मगध विश्वविद्यालय सिंडिकेट व एकेडमिक काउंसिल की बैठक की कार्यवाही पुस्तिका, वर्ष 2009 में हाईकोर्ट द्वारा तत्कालीन प्राचार्य बहाली के रद्द किए जाने के संबंध में दिए गए न्यायादेश की कॉपी, 12 व तीन प्राचार्य बहाली के संबंध में प्रिंट मीडिया व विश्वविद्यालय के आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए नोटिफिकेशन के प्रमाण मांगे हैं. निगरानी की टीम ने मगध विश्वविद्यालय से जनवरी 2013 से मई 2013 तक का विश्वविद्यालय का लेटर डिस्पैच रजिस्टर, 18 फरवरी 2013 को हुई बैठक की एजेंडा की कॉपी और प्रोसीडिंग्स की अभिप्रमाणित कॉपी ली. टीम ने 2012-13 के पहले मगध विश्वविद्यालय में प्राचार्य की बहाली से संबंधित कागजात भी लिए. निगरानी की टीम ने 8 अप्रैल 1988, 21 अपै्रल 1994 तथा 2 मार्च 2012 में हुई प्राचार्य बहाली की जानकारी ली.

2012-13 में मगध विश्वविद्यालय में तत्कालीन कुलपति अरुण कुमार ने 15 प्राचार्यों की बहाली की थी. इस बहाली के दौरान मगध विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए चयन समिति का गठन किया गया था. इस नियुक्ति में तीन अतिरिक्त का चयन किया गया था. इस बहाली में गड़बड़ी और गलत तरीके से प्राचार्यों की नियुक्ति का मामला सामने आने के बाद राजभवन ने बीबी लाल के नेतृत्व में एक जांच कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि की थी. इसके बाद अप्रैल 2015 में पटना हाईकोर्ट ने प्राचार्यों की नियुक्ति की जांच का आदेश निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को दिया था. बीबी लाल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि प्राचार्य बहाली के लिए गलत तरीके से चयन समिति का गठन किया गया. इसके अलावा आवेदन के लिए नियमानुसार 45 दिनों का समय नहीं दिया गया, आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया, साक्षात्कार में मनमाने तरीके से अंक दिए गए, मेघा सूची में गड़बड़ी की गई, मेघा में शून्य अंक दिये गए समेत कई अनियमितताओं का जिक्र जांच कमेटी ने किया.

निगरानी के इस मामले में मगध विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति अरुण कुमार, तत्कालीन कुलसचिव डीके यादव, डिप्टी रजिस्ट्रार फैहीमुद्दीन, चयन समिति के सदस्य और गया कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य श्रीकांत शर्मा, राजभवन के प्रतिनिधि बालेश्वर पासवान, कुमारेश प्रसाद सिंह, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, शशि प्रताप शाही, प्रवीन कुमार, उपेन्द्र प्रसाद, दिनेश प्रसाद सिंह, ब्रजेश कुमार रॉय, उषा सिन्हा, पूनम, रेखा कुमारी, शिला सिंह, इन्द्रजीत रॉय, कृष्णनन्दन यादव, अरुण रजक, वेदप्रकाश चतुर्वेदी, दलवीर सिंह तथा सुधीर कुमार मिश्रा आरोपी हैं. इसके अलावा मगध विश्वविद्यालय के मुख्यालय में मीटिंग सेक्शन के इंचार्ज व वर्तमान में गया कॉलेज के प्राचार्य शमशुल इस्लाम और मगध विश्वविद्यालय मुख्यालय में सहायक यूएन सहाय को भी अभियुक्त बनाया गया है. इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने मगध विश्वविद्यालय में प्राचार्यों की नियुक्ति रद्द करते हुए अंतिम फैसला सुरक्षित रखा है. इसके साथ ही निगरानी को जांच का आदेश दिया गया था. इस बहाली में 12 प्राचार्यों के अलावा तीन अतिरिक्त प्राचार्यों में ब्रजेश रॉय, कृष्णनन्दन यादव तथा उषा सिन्हा का नाम शामिल है. बाद में उषा सिन्हा को पटना स्थित गंगादेवी महिला कॉलेज का प्राचार्य बना दिया गया था. उषा सिन्हा बिहार टॉपर घोटाले के मास्टरमाइंड बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष रहे लालकेश्वर प्रसाद की पत्नी हैं. फिलहाल दोनों पति-पत्नी बिहार टॉपर घोटाले के मामले में जेल में बंद हैं. उषा सिन्हा को तमाम नियमों को ताख पर रख प्रमोशन देते हुए प्राचार्य बनाया गया था. वे जदयू की विद्यायक भी रह चुकी हैं और सत्ताधारी दल में दोनों पति-पत्नी की मजबूत पकड़ थी. निगरानी विभाग की जांच से मगध विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं जांच के दायरे में उनका नाम भी न आ जाए.

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