बिहार में शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार  जितना दावा कर लें लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि सूबे के 25 लाख परिवार के सामने भुखमरी की स्तिथि है. शराबबंदी के पहले नीतीश कुमार को गन्ना किसानों और चीनी मिलों में काम करने वालों से बात करनी चाहिए थी, कि मिल से निकलने वाले सिरा का खपत कहां होगा. बिहार में सिरा पर प्रतिबंध लगा दिया गया. मिल से निकलने वाले सिरा को रखने को लेकर मिल के पास जगह नहीं हैं. बिहार में मिल चलाने वाले मालिकों ने इस वर्ष मिल नहीं चलाने का अल्टीमेटम सरकार को दे दिया है.

बिहार के 11 चीनी मिल में 22 लाख 54 हजार 675 क्वींटल सिरा (मोलासय) के उठाव नहीं होने से मिल मालिकों ने सत्र 18-19 में पेराई नहीं करने की बात कर बिहार के 20 लाख गन्ना किसानों के परिवारों के नींद उड़ा दी हैं. उतर बिहार को गन्नाचल के रूप में जाना जाता हैं. गन्ने की खेती ही गंडक किसानों की आर्थिक स्थिति मज़बूत करती हैं. गन्ने की खेती में लगे 20 लाख परिवार इस वर्ष 2 लाख 70 हेक्टेयर में खेती की हैं जिससे इस वर्ष उतर बिहार में बाढ़ की तबाही से राहत मिली हैं. लगभग 90 लाख टन गन्ने का उत्पादन होने की उम्मीद किसानों को हैं.  किसानों को उम्मीद है कि उपज के मुताबिक 28 सौ करोड़ के गन्ना का उत्पादन होगा.

अगर बिहार के 11 चीनी मिल इस वर्ष नहीं चली तो आखिर किसानों द्वारा 90 लाख टन गन्ना होगा क्या? इस सवाल को लेकर किसान आखिर कहां जाए. ऐसे में  बिहार के किसानों में भुखमरी की स्थिति आ जाएगी. वहीं सरकार कृषि रोड़ मैप के जरिये किसानों को दोहरी आमदनी के लिए कई योजनाएं चलाने की बात कह रही हैं. लेकिन मिल मालिकों से लेकर बिहार शुगर मिल्स एसोसिएसन ने मुख्यमंत्री से लेकर सरकार के उत्पाद, मद्य निषेध विभाग के आयुक्त को 23 फरवरी 18, 1 मार्च 18, 08 मई 18, 15 मई 18, 5 जून 18, 15 जून 18 को पत्र लिखकर मिल के टैंक में जमा 22 लाख 54 हजार 675 किवंटल सिरा के उठाव के लिए पत्र लिखा. लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई.

25 जुलाई को सरकार के 5 विभाग के अधिकारियों ने हवाई सर्वे कर सिरा के अद्ययत की जानकारी ली. बिहार शुगर मिल्स एसोसिएसन और मिल मालिकों ने गन्ना विभाग के प्रधानसचिव के साथ बैठक कर अपनी समस्या रखी थी. जिसके आलोक में सरकार ने 25 जुलाई को गन्ना विभाग के प्रधानसचिव के साथ उत्पाद विभाग, उद्योग विभाग सहित संबंधित अधिकारियों ने हेलीकॉप्टर से उतर बिहार के गन्ना मिल में रखे सिरा के भंडारण का स्थल जांच किया.

स्थल जांच के बाद उन अधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट सरकार को दी. लेकिन एक माह 3 दिन बीत जाने के बाद सरकार ने सिरा उठाव के दिशा में कोई कारवाई नहीं की. इसके बाद बिहार शुगर मिल्स एसोसिएशन सचिव नरेश भट्ट ने 21 अगस्त को उत्पाद विभाग के सचिव को कड़ा पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने लिखा कि खेद के साथ कहना पड़ रहा हैं कि हवाई सर्वे के एक माह बाद भी विभाग ने सिरा भण्डारण की समस्या के निदान के लिए कोई ठोस कारवाई नहीं की.

पेराई सत्र को लेकर मिलों की साफ-सफाई नहीं होते देख किसान भी समझ चुके हैं इस वर्ष उनके इलाके के चीनी मिल नहीं चलेंगे. जिसको लेकर किसान और उनके परिवार के लोग परेशान हैं.

किसानों का हैं अपना दर्द

गोपालगंज दियारा के बरईपट्टी गांव के मिथलेश राय  पिछले 50 वर्षों से 20 एकड़ में गन्ने की खेती करते हैं. इस वर्ष भी उन्होंने गन्ने की खेती की हैं. उनसे चौथी दुनिया की टीम ने बात की कि इस वर्ष भारत शुगर मिल सिरा के नहीं उठाव होने के कारण नहीं चलेगा. उन्होंने बताया कि  गन्ना नगदी फसल हैं. इससे किसानों के साथ साथ उनके परिवार के लोगों की भी स्थिति अच्छी रहती हैं. बच्चे के पढ़ाई से लेकर शादी विवाह में किसानों को आर्थिक सहायता मिलती हैं.

सरकार के यह निर्णय किसान के हित में नहीं हैं. सिउरी गांव के सुरेन्द्र पाण्डेय कहते हैं इस वर्ष बाढ़ नहीं आने के कारण गन्ना की खेती अच्छी हैं. 10 एकड़ में गन्ने की खेती किया हैं. उनके घर के पांच सदस्य ने गन्ना बुआई से लेकर निकौनी तक की हैं. 60 हज़ार रूपये लगाकर गन्ने की खेती की गई हैं. इस वर्ष अच्छी आमदनी की उम्मीद हैं. उनके दो लड़के और एक लड़की बीटेक कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गन्ना से मिले पैसे से वे पढ़ाई कर रहे हैं. वे कहते हैं कि सिधवलिया मिल के अधिकारी बता रहे हैं कि अगर अक्टूबर तक सिरा का उठाव नहीं हुआ तो इस वर्ष मिल नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि अगर मिल बंद हो जाएगी तो इस क्षेत्र के 40 हज़ार किसानों के गन्ना आखिर क्या होगा.

मंझरिया गांव के अम्मिका चौधरी इस वर्ष 5 एकड़ में गन्ना लगाए हैं. वे बताते हैं कि अगर इस वर्ष मिल बंद हो जाएगी तो किसानों के पास आत्म हत्या के आलावे कोई दूसरा उपाय नहीं हैं. वह बताते हैं कि गन्ने की खेती पर दस परिवार निर्भर हैं. अगर मिल बंद हो जाएगी तो परिवार के सामने भुखमरी आ जायेगी. भड़कुईया गांव के रामबहादूर सिंह ने 18 एकड़ में गन्ने की खेती की हैं. उनका भी कहना हैं सरकार शराब बंदी कर महज नाटक कर रही हैं. मिल से निकले सिरा को लेने की व्यवस्था कर देती तो आज मिल बंद नहीं होती और किसानों का गन्ना सड़ने  के कगार पर नहीं पहुंचता.

मिर्जापुर गांव के विजय सिंह 10एकड़, बैखवां खास गांव के रूपनारायण यादव 5 एकड़, बढ़ेया गांव के नागेन्द्र सिंह 5 एकड़, अरना गांव के अजय सिंह 8 एकड़, राजोपट्टी गांव के राजन सिंह 7 एकड़ में गन्ने की खेती की हैं. सभी किसानों का एक ही रोना हैं कि सरकार किसान के हित में काम करने की बात कहती हैं. लेकिन गोपालगंज के लगभग 2 लाख किसानों के निवाले छीन रही हैं. अगर गोपालगंज के तीन चीनी मिल बंद हो जाएगी तो किसान आखिर अपने गन्ना को कहां ले जायेंगे. इसका जबाव सरकार को देना पड़ेगा.

बिहार शुगर मिल्स एसोसिएसन के सचिव नरेश भट्ट ने कहा पिछले पेराई सत्र के दौरान से 23 फरवरी 18 से लेकर 15 अगस्त 18 तक लगातार सरकार को पत्र लिखकर सिरा उठाव के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की जाती रही. कई बार विभाग के प्रधानसचिव से लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की गई. लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं हुआ और आज मिल मालिक मिल को बंद करने पर विवश हैं. उन्होंने कहा कि उत्पाद विभाग की

उदासीनता के कारण आज मिल बंद होने के कगार पर आ गई हैं. पांच विभाग के आलाधिकारीयों ने 25 जुलाई को हेलिकॉप्टर से जायज़ा लिया,फिर भी कोई कारवाई नहीं हुई. सरकार को स्थानीय स्तर पर इसकी व्यवस्था करनी चाहिए. जिससे सिरा की खपत हो सकें. उन्होंने बताया कि वर्तमान में गोपालगंज के राजोपट्टी स्थित सोनासती आसवनी फैक्ट्री को छोड़कर सभी फैक्ट्री 16 सितंबर तक बंद हैं. इस परिस्थिति में सोनासती में सिरा का खपत कम है और वे चीनी मिल के 3 करोड़ 50 लाख का सिरा का बकाया हैं. इस स्तिथि में चीनी मिल मालिकों को मिल चलाने में परेशानी हो रही हैं.

गन्ना मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज़ अहमद ने कहा कि बिहार में शराब बंदी को लेकर मुख्यमंत्री संवेदनशील है. चीनी मिलों में सिरा के भंडारण को लेकर गृह सचिव आमिर सुबहानी के नेतृत्व में पांच अधिकारी को 25 जुलाई को मुख्यमंत्री ने स्थल जांच करने को लेकर भेजा था. वे लोग मोतिहारी और बेतिया के चीनी मिलों में जाकर देखा.  मंत्री ने दबे जबान से कहा कि सिरा का विभाग मेरे पास नहीं हैं. वह मद्य निषेध उत्पाद मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव के पास हैं. उनके स्तर से ही कारवाई होनी हैं, लेकिन गन्ना मंत्री होने के नाते मेरा भी दायित्व बनता हैं कि मिल जल्दी कैसे चालू होगा. उन्होंने बताया कि मेरे प्रखंड मैनाटाड में भी एक हजार एकड़ में किसान गन्ना की खेती किए हैं. इस बार गन्ना का पैदावार अच्छा होगा. मिल चालू होने के पहले सिरा का उठाव कर लिया जायेगा.

इस वर्ष नहीं चलेगा मिल

गोपालगंज के विष्णु शुगर मिल के प्रबंधक पीएस पणीकर ने बताया कि सिरा के उठाव नहीं होने से मिल के दो टैंकर भरा हुआ हैं. इस वर्ष मिल से निकाले सिरा कंहा रखा जायेगा. यह सरकार बताए.

भारत सुगर मिल के महाप्रबंधक बलंबत ग्रेवाल और प्रबंधक शशि केडिया ने कहा कि मिल से सिरा का उठाव की व्यवस्था सरकार नहीं करती हैं तो इस वर्ष मिल नहीं चलेगा. सिरा के उठाव को लेकर फरवरी 18 से ही सीएम साहेब से लेकर विभाग को पत्र के ज़रिये जानकारी दी जाती रही है. जब पहले से ही सिरा टैक से भरा हुआ हैं तो इस वर्ष के पेराई से निकलने वाले सिरा कहां रखे जाएगें. इस स्थिति को देखते हुए इस वर्ष मिल नहीं चलाने की स्थिति बन गई हैं.

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