sasasआगामी सात फरवरी को दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में कुल 923 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए हैं, जिनमें सबसे ज़्यादा यानी 23 उम्मीदवार नई दिल्ली और सबसे कम यानी छह उम्मीदवार अंबेडकर नगर क्षेत्र से है. इनमें तीन बड़ी पार्टियों भाजपा, आप और कांग्रेस के उम्मीदवार शामिल हैं तथा असल मुक़ाबले इन्हीं तीनों पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच अलग-अलग होंगे. भाजपा ने सात, आप ने छह और कांग्रेस ने पांच महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. इसी तरह भाजपा ने शिरोमणि अकाली दल को छोड़कर अपने 66 टिकटों में मात्र एक, आप ने 70 में पांच और कांग्रेस ने छह टिकट मुसलमानों को दिए हैं. ़ ज्ञात रहे कि 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चार और जनता दल यूनाइटेड का एक यानी पांच मुस्लिम उम्मीदवार ही सफल हुए थे. पिछली बार मटिया महल से निर्वाचित जदयू उम्मीदवार शोएब इकबाल इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.

सत्तर सीटों में से दस सीटें ऐसी हैं, जिन पर पूरे देश की निगाहें केंद्रित हैं. इनमें एक सीट नई दिल्ली की है, जहां आप के संयोजक एवं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल का मुकाबला कांग्रेस की पूर्व मंत्री किरण वालिया और भाजपा उम्मीदवार एवं दिल्ली विश्‍वविद्यालय की पूर्व छात्रनेता नुपूर शर्मा से है. यह वही सीट है, जहां पिछली बार केजरीवाल ने कांग्रेस उम्मीदवार और तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को हराया था. इस बार केजरीवाल को अपनी सीट बचाने के अलावा बहुत कुछ साबित करना है, क्योंकि आम आदमी पार्टी 2014 के संसदीय चुनाव में दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. दूसरी सीट कृष्णा नगर की है, जो भाजपा का गढ़ रही है. यहां भाजपा ने हाल में शामिल हुईं किरण बेदी को टिकट दिया है. बेदी का मुकाबला आप के एसके बग्गा और कांग्रेस के वंशीलाल से है. यहां से किरण बेदी की आसान जीत की उम्मीद है. 2013 के चुनाव में यहां से वर्तमान केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन जीते थे.
तीसरी सीट है पटपड़गंज, जहां आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसौदिया का मुकाबला भाजपा उम्मीदवार एवं पूर्व विधायक (लक्ष्मी नगर) विनोद कुमार बिन्नी और कांग्रेस के अनिल कुमार से है. यहां सिसौदिया को बिन्नी से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है. ग़ौरतलब है कि बिन्नी ने पिछला चुनाव आप के टिकट पर लड़ा था. चौथी सीट मंगोलपुरी है, जहां आप उम्मीदवार एवं पूर्व मंत्री राखी बिड़ला का मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार एवं पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान और भाजपा के सुरजीत से है. पांचवीं सीट है जनकपुरी. यहां भाजपा के वरिष्ठ नेता जगदीश मुखी का मुकाबला आप के राजेश ॠषि और कांग्रेस के सुरेश कुमार से है. यहां स्थिति इस लिहाज से दिलचस्प है कि सुरेश कुमार जगदीश मुखी के दामाद हैं. पिछली बार मुखी ने राजेश ॠषि को हराया था. छठवीं सीट मालवीय नगर है, जहां आप के विवादस्पद नेता सोमनाथ भारती का मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व स्पीकर योगानंद शास्त्री से है. यहां भाजपा ने नंदनी शर्मा को टिकट दिया है.
सातवीं सीट है द्वारका. यहां पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री के पौत्र आदर्श शास्त्री आप के उम्मीदवार हैं. वह कांग्रेस के महाबल मिश्रा और भाजपा के प्रद्युम्न राजपूत से टक्कर ले रहे हैं.

सत्तर सीटों में से दस सीटें ऐसी हैं, जिन पर पूरे देश की निगाहें केंद्रित हैं. इनमें एक सीट नई दिल्ली की है, जहां आप के संयोजक एवं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल का मुकाबला कांग्रेस की पूर्व मंत्री किरण वालिया और भाजपा उम्मीदवार एवं दिल्ली विश्‍वविद्यालय की पूर्व छात्रनेता नुपूर शर्मा से है. यह वही सीट है, जहां पिछली बार केजरीवाल ने कांग्रेस उम्मीदवार और तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को हराया था.

यहां भी दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा का अपने साथी अनिल शास्त्री के बेटे से मुकाबला है. आठवीं सीट पटेल नगर की है, जहां कांग्रेस छोड़कर भाजपा में हाल में शामिल हुईं पूर्व मंत्री कृष्णा तीरथ आप के हजारी लाल चौहान और कांग्रेस के राजेश लिलोथिया से मुकाबला कर रही हैं. नौवीं सीट है सदर बाज़ार, जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन आप के सोमदत्त और भाजपा के प्रवीण जैन से दो-दो हाथ करेंगे. दसवीं सीट ग्रेटर कैलाश है. यहां आप उम्मीदवार एवं पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज का मुकाबला भाजपा के राकेश गुलिया और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी एवं कांग्रेस उम्मीदवार शर्मिष्ठा मुखर्जी से है. शर्मिष्ठा के आने से इस सीट को काफी महत्व मिल गया है. पिछली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में पांच मुस्लिम उम्मीदवारों को कामयाबी मिली थी, जिनमें चार कांग्रेस से थे और एक जदयू से. अब जदयू से निर्वाचित हुए शोएब इकबाल के कांग्रेस में चले जाने से स्थिति बदल गई है. लेकिन, सीलमपुर के चौधरी मतीन अहमद और ओखला के आसिफ मोहम्मद खां को छोड़कर शेष तीनों पूर्व मुस्लिम विधायकों को कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है. अगर सीलमपुर की बात करें, तो यहां 65 प्रतिशत मुस्लिम वोट हैं और चौधरी मतीन अहमद काफी लोकप्रिय भी हैं. वह 1993 से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. घनी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र ओखला के आसिफ मोहम्मद खां भी मुसलमानों की समस्याओं, विशेषकर मुसलमानों की गिरफ्तारी के दौरान सरगर्म रहने के कारण पसंद किए जाते हैं. बीती 21 जनवरी को भी बरेलवी विचारधारा के विद्वान एवं कादरी मस्जिद के इमाम मौलाना यासीन अख्तर मिसबाही की गिरफ्तारी के बाद हुए विरोध प्रदर्शन और उनकी रिहाई में आसिफ की मुख्य भूमिका रही. वह यहां आप उम्मीदवार अमानतुल्लाह खां और भाजपा उम्मीदवार ब्रह्म सिंह बिधूड़ी से टक्कर ले रहे हैं. अगर यहां मुस्लिम वोट आसिफ मुहम्मद खां और अमानतुल्लाह खां के बीच अधिक विभाजित होता है, तो भाजपा को फ़ायदा हो सकता है और बिधूड़ी जीत भी सकते हैं.
65 प्रतिशत वोट वाले मटिया महल विधानसभा क्षेत्र के शोएब इकबाल लोकप्रिय तो हैं, मगर बार-बार पार्टी बदलने के कारण बदनाम भी हो गए हैं. पहले राजद, फिर जदयू और अब कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे शोएब इकबाल की लड़ाई आप के आसिफ अहमद खां और भाजपा के एकमात्र उम्मीदवार शकील अंजुम देहलवी से है. बल्लीमारान से पांच बार विधायक रहे पूर्व मंत्री हारून यूसुफ से लोगों को सख्त शिकायत है कि क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया और कभी दिखाई नहीं पड़े. यूसुफ का मुकाबला इमरान हुसैन से है, जो इस क्षेत्र के युवा पार्षद हैं और युवाओं के बीच लोकप्रिय भी. मुस्तफाबाद के पूर्व विधायक हसन अहमद पिछली बार भाजपा के जगदीश प्रधान से बहुत मुश्किल से जीते थे. कहा जा रहा है कि अगर यहां वोटों का धु्रवीकरण हो गया, तो इस बार प्रधान यहां से निकल
सकते हैं. प

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