11‘जमीनो गेल, बेटा भी मर गेलक’, पुलिस गोलीकांड में मारे गए 16 वर्षीय रंजन कुमार की मां अपना दर्द बयान करती है. वैसे झारखंड में यह कोई नई बात नहीं है, सरकार उद्यमियों को बुलाती है, एमओयू साइन किया जाता है, फिर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होती है. इसके बाद रैयतों एवं विस्थापितों का विरोध-प्रदर्शन, पुलिस गोलीकांड और फिर इस पर राजनीति शुरू. यह है झारखंड का इतिहास, इसके कारण एनएचपीसी को कोयलाकारो परियोजना बंद करनी पड़ी. यहां भी पुलिस ने विस्थापितों पर गोली चलाई थी, तब अरबों रुपए खर्च करने के बाद भी एनएचपीसी को अपना बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ा था. फिर इसकी पुनरावृत्ति हुई, दो माह में पुलिस ने दो औद्योगिक संस्थानों के विस्थापितों पर गोलियां चलाई, पहला रामगढ़ जिले के गोला में इनलैंड पावर प्रोजेक्ट के विस्थापितों पर, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और दूसरा एनटीपीसी के बड़कागांव परियोजना के विस्थापितों पर पुलिस ने जमकर गोलियां चलाईं, जिसमें आधा दर्जन से अधिक लोग मारे गए. 33 हजार करोड़ रुपए की एनटीपीसी परियोजना का शुरू से ही विरोध हो रहा है. चौदह साल बाद भी यहां सही ढंग से उत्पादन शुरू नहीं हो सका है.

बड़कागांव के आसपास की भूमि उपजाऊ है और इससे किसान चार-चार बार पैदावार लेते थे. यह उनकी आय का मुख्य स्रोत था, जो जमीन अधिग्रहण के बाद समाप्त हो जाएगा. असमान मुआवजे को लेकर रैयतों में आक्रोश था. मुआवजे के निर्धारण में देरी को लेकर भी जमीन मालिकों में आक्रोश था. इसी आक्रोश का परिणाम गोलीकांड के रूप में हुआ. लोगों में ऐसी चर्चा है कि स्थानीय कांग्रेस विधायक निर्मला देवी एवं उनके पति पूर्व मंत्री योगेन्द्र साव इस परियोजना पर अपना वर्चस्व कायम कर चहेतों को ठेका दिलाना चाहते थे. ग्रामीणों ने कांग्रेस विधायक निर्मला देवी के नेतृत्व में कफन सत्याग्रह शुरू किया. 15 सितंबर को यह आंदोलन शुरू हुआ था. पंद्रह दिन बाद पुलिस ने देर रात आंदोलन को समाप्त कराने की कोशिश की. पुलिस द्वारा निर्मला देवी को जबरन उठाकर ले जाने से ग्रामीण उग्र हो गए और पुलिस एवं एनटीपीसी अधिकारियों को निशाना बनाकर पथराव करने लगे. ग्रामीणों ने पुलिस जीप में भी आग लगा दी. इसके बाद पुलिस की जवाबी कार्रवाई में आधा दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए.

दरअसल एनटीपीसी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर काफी जद्दोजहद के बाद एक नया कानून बना था. इसके अनुसार जमीन लेने के लिए उस इलाके में रहने वालों की रजामंदी जरूरी है. इसमें उनका सही और पर्याप्त पुनर्वास जरूरी है, उचित मुआवजे की भी गारंटी है. ग्रामीण इसी को लागू करने की मांग कर रहे हैं, पर न तो सरकार इस ओर ध्यान दे रही है और न ही परियोजना के अधिकारी.

वैसे परियोजना के कार्यकारी निदेशक पीएम प्रसाद का कहना है कि एनटीपीसी बातचीत के लिए हमेशा तैयार है. स्थानीय विधायक को यह जानकारी दी गई थी कि बातचीत सकारात्मक माहौल में होनी चाहिए. मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में ग्रामीण जनप्रतिनिधि और परियोजना अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी. हमलोग उसी आधार पर मुआवजा देने का प्रस्ताव तैयार कर रहे थे. इसके बाद स्थानीय विधायक निर्मला देवी अपने समर्थकों के साथ सक्रिय हो गईं और कामकाज में बाधा डालने लगीं. ग्रामीणों को उकसाकर हिंसक झड़प कराया गया. उन्होंने कहा कि परियोजना के लिए इतनी जमीन नहीं चाहिए. हमें किसानों का 4 हजार एकड़ नहीं, चार सौ एकड़ चाहिए. इससे 250 परिवार ही प्रभावित हो रहे थे, लेकिन यह अफवाह फैलाई गई कि एनटीपीसी ग्रामीणों की पूरी जमीन ले लेगा.

मुख्यमंत्री ने इस घटना के बाद विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि विपक्ष राज्य में विकास नहीं चाहता है, जबकि सरकार झारखंड में औद्योगिक माहौल बनाकर राज्य को समृद्ध बनाना चाह रही है. मुख्यमंत्री ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि दोषियों को किसी भी हालात में बख्शा नहीं जाएगा.

दरअसल, एनटीपीसी द्वारा चतरा जिले के कर्णपुरा में पावर प्लांट लगाया जाना है. कोयले की आपूर्ति के लिए हजारीबाग जिले के बड़कागांव में केंद्र सरकार ने एनटीपीसी को कोयला खनन के लिए 33 वर्षों की लीज पर खनन पट्टा दिया. इस परियोजना के लिए आठ हजार एकड़ भूमि की आवश्यकता थी, जिसमें 2900 एकड़ वन भूमि एवं 1200 एकड़ सरकारी भूमि परियोजना को दी गई, शेष भूमि का अधिग्रहण ग्रामीणों से किया जाना था. इसके लिए एनटीपीसी ने 2006 में तीन लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा राशि निर्धारित की थी, लेकिन इस दर पर ग्रामीण जमीन देने को तैयार नहीं थे. इसके बाद हजारीबाग जिला प्रशासन ने जमीन मालिक, जनप्रतिनिधि और कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक के बाद मुआवजे की राशि बढ़ाकर बीस लाख रुपये प्रति एकड़ कर दी गई थी, उस वक्त किसान एवं तत्कालीन कांग्रेस विधायक योगेन्द्र साव ने भी अपनी सहमति दे दी थी. तैंतीस हजार करोड़ रुपये की यह परियोजना शुरू हुई और इसके उत्पादन का लक्ष्य 18 मिलियन टन प्रतिवर्ष रखा गया. काम शुरू होने के बाद स्थानीयय नेताओं ने बाधा डालना शुरू किया. इस बार क्षेत्र की विधायक बनीं योगेन्द्र साव की पत्नी निर्मला देवी. अब कांग्रेस विधायक 70 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने की मांग करने लगीं. विधायक निर्मला देवी के नेतृत्व में ‘कफन सत्याग्रह’ आंदोलन शुरू किया गया. परियोजना का काम ठप हो गया.

माना जाता है कि कांग्रेस विधायक निर्मला देवी एवं उनके परिवार का भी स्वार्थ इस परियोजना से जुड़ा हुआ है. वे अपने समर्थकों को परियोजना का ठेका दिलाने के लिए कंपनी पर दबाव बनाना चाह रहे थे. पुलिस ने तत्कालीन विधायक योगेन्द्र साव, कांग्रेस विधायक निर्मला देवी एवं कांग्रेस विधायक के पुत्र को रंगदारी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है.

अब देखना है कि राज्य सरकार उद्योग को सुरक्षा देने के लिए कौन-सा कदम उठाती है. अभी तक जमीन अधिग्रहण के लिए सरकार कोई स्पष्ट नीति नहीं बना सकी है और न ही कोई लैंड बैंक तैयार किया गया है. यहां कई औद्योगिक घराने आये, लेकिन जमीन नहीं मिलने, किसानों के विरोध और आंदोलन के कारण वे अपना बोरिया बिस्तर समेटकर चले गए.

एनटीपीसी के आने के साथ ही शुरू हो गया था विरोध

एनटीपीसी द्वारा कोयला खनन परियोजना की शुरुआत होते ही कर्णपुरा बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले मुआवजा राशि बढ़ाने एवं रोजगार में स्थानीय लोगों को तरजीह देने की बात को लेकर 7 नवंबर, 2006 को बड़कागांव से आंदोलन शुरू हुआ. पिछले तीन साल में बड़कागांव और केरेडारी में तीन हिंसक घटनाएं हुई हैं. लोगों का कहना है कि कांग्रेस विधायक खनन कार्य में लगातार बाधा डाल रहे थे और खनन कार्य नहीं करने दे रहे थे. इस संबंध में एनटीपीसी ने विधायक एवं उनके समर्थकों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी. लोगों ने बताया कि योगेन्द्र साव ने इस परियोजना पर कब्जा को लेकर एक उग्रवादी संगठन भी खड़ा कर लिया था. सरकार ने इस घटना के बाद उस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया है. कोयला परियोजना में लगे ठेकेदारों एवं अन्य से रंगदारी वसूली के मामले में कांग्रेस विधायक निर्मला देवी के पुत्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि पूर्व कांग्रेस विधायक योगेन्द्र साव को भी पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया है. इस परियोजना पर वर्चस्व को लेकर पुलिस और योगेन्द्र साव के बीच छह बार टकराव भी हो चुका है. योगेन्द्र साव की पत्नी निर्मला देवी अभी भी फरार हैं.

बड़कागांव कांड की न्यायिक जांच हो: विपक्ष

बडकागांव में कफन सत्याग्रह पर बैठे ग्रामीणों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद विपक्ष ने गोलीकांड की न्यायिक जांच कराने की मांग की है. विपक्ष के नेताओं ने कहा कि पुलिस निरंकुश हो गई है. राज्य में शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन करने वालों पर गोलियां बरसाई जा रही है.

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रघुवर सरकार को तानाशाह और जनविरोधी बताते हुए पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है. उन्होंने मृतक के आश्रितों को 20 लाख रुपए मुआवजे के साथ ही सरकारी नौकरी देने की मांग भी राज्य सरकार से की है. झाविमो सुप्रीमो बाबुलाल मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार की दमनकारी नीति बहुत दिनों तक नहीं चलेगी. जनता इस तानाशाह सरकार को सबक सिखाएगी. उन्होंने पूरे घटना की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराये जाने की भी मांग की है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा कि झारखंड पुलिस की बर्बरता रघुवर सरकार के चेहरे पर बदनुमा दाग है, जिसे धोया नहीं जा सकता. अगर सरकार अपना रवैया नहीं बदलती है, तो रघुवर सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा.

भाकपा माले विधायक राजकुमार यादव ने कहा कि बड़कागांव में विस्थापितों की आवाज दबाने के लिए दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है. अगर विस्थापितों को मुआवजा नहीं दिया गया, तो उनकी पार्टी विस्थापितों के समर्थन में सड़कों पर उतरेगी.

झारखंड में जानमरवा सरकार – शिबू सोरेन

झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन राज्य में विस्थापितों पर लगातार हो रहे गोलीकांड पर चिंता जाहिर करते हुए रघुवर दास को हिटलर बताया है. उन्होंने कहा कि यह जानमरवा सरकार है. भाजपा सरकार गोली एवं लाठी के बल पर ग्रामीणों की जमीन छिनना चाहती है. बड़कागांव एवं गोला में निर्दोष लोग मारे गए और सरकार तमाशबीन बनी हुई है. अगर विस्थापित अपना मुआवजा मांगते हैं, तो क्या गलत कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि विपक्षी दल के नेताओं को बड़कागांव जाने तक नहीं दिया गया है. सरकार पूंजीपतियों के लिए गरीबों का हक छीन रही है, जमीन छीन रही है, आखिर गरीब किसान कहां जाये. सरकार बिना विपक्ष के साथ सलाह मशविरा किये हुए सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट में संशोधन का अध्यादेश लाने का प्रयास कर रही है, जो गलत है.

 दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बड़कागांव के चिरुडीह गोलीकांड की उच्चस्तरीय जांच कराने का आदेश दिया है. मुख्यमंत्री का मानना है कि विपक्ष राज्य में विकास होने नहीं देना चाहता है, इस कारण एनटीपीसी के कार्यों में हमेशा बाधा पहुंचाई जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के गृहसचिव, एनएन पांडेय, मंत्रिमंडल विभाग के सचिव सुरेन्द्र सिंह मीणा एवं सीआईडी के अपर पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह को पूरे मामले की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया है.

घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि मृतक के परिजनों को तुरंत दो-दो लाख रुपये मुआवजा एवं घायलों को पच्चीस-पच्चीस हजार रुपये देने का निर्देश दिया गया है. एनटीपीसी एवं ग्रामीणों की समस्या के समाधान के लिए जन प्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों के साथ मेरी बैठक हुई थी. मीटिंग के कुछ दिनों बाद ही इस तरह की घटना होना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी, किसी को बख्शा नहीं जाएगा.

बातचीत के लिए हमेशा तैयार – पीएम प्रसाद

नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन के कार्यकारी निदेशक पीएम प्रसाद ने कहा कि कंपनी शुरू से ही बातचीत के जरिये मामला सुलझाने की पहल कर रही है, पर स्थानीय विधायक और उनके समर्थक विरोध की राजनीति कर रहे हैं, जिसका असर  कामकाज पर पड़ रहा है. हालिया विरोध के कारण खनन कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. विधायक एवं उनके लोगों ने यहां के जमीन मालिकों को गुमराह कर हंगामा कराया, उकसाया, हमारे पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों पर हमला किया. अधिकारियों ने स्थिति को संभालने की पूरी कोशिश की. लेकिन आत्मरक्षा के लिए फायरिंग की गई, जो दुर्भाग्यपूर्ण था. हमारा भरोसा अब भी है कि बातचीत से ही समाधान निकलेगा, हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं. मुआवजा भी देने को तैयार हैं, बस राज्य सरकार के निर्णय का इंतजार है. एनटीपीसी झड़प में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति सहानुभूति रखती है. सरकार जो आदेश देगी, उसी के अनुरूप मुआवजा दिया जाएगा. विस्थापितों के लिए कंपनी ने क्या किया, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार सभी सुविधाएं एवं मुआवजे का भुगतान किया जा रहा है.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here