Narendra-Modi8पांच चरणों में होने वाले संसदीय चुनावों के तीसरे चरण यानी दस मई को एक दर्जन राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 92 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. इनमें जम्मू संसदीय सीट भी शामिल है. इस बार चुनाव में जम्मू के 17,63,579 मतदाता अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे. इन मतदाताओं में 9,25,044 पुरुष और 8,38,535 महिला अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. 2009 के संसदीय चुनाव में यहां मतदाताओं की कुल संख्या 9,17,271 थी, जिनमें पुरुष की संख्या 4,68,764 और महिला की संख्या 4,48,507 थी. हालांकि, इस बार नए मतदाता भी पहली बार वोट डालेंगे. इस बार चुनाव आयोग ने राज्य में कुल 9633 पोलिंग बूथ बनाए हैं, जिनमें से 4059 बूथों को संवेदनशील घोषित किया गया है. चुनाव के दौरान किसी तरह की अप्रिय घटना न हो, इस बाबत जम्मू में 817 लाइसेंसी हथियार जमा करा लिए गए हैं.
जम्मू-कश्मीर का चुनाव काफ़ी महत्वपूर्ण है, इसलिए हर राजनीतिक पार्टी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कमी नहीं रखना चाहती हैं. एक ओर पीडीपी और भाजपा सघन चुनावी मुहिम चला रही है, वहीं नेशनल कांफ्रेंस और कांगे्रस का गठबंधन अपना जलवा दिखाने की कोशिश में लगा हुआ है. राज्य की सभी सियासी पार्टियां भले ही जीत का दावा कर रही हो, लेकिन एक नई राजनीतिक पार्टी आवामी इत्तेहाद ने जम्मू के सियासी माहौल को एक नया रुख दे दिया है. इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी जम्मू से अपना उम्मीदवार खड़ा करके मुक़ाबले को रोचक बना दिया है. पिछले दिनों पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण द्वारा कश्मीर के संबंध में बयान देने से कश्मीरी मतदाताओं में आप के लिए सहानुभूति देखी जा रही है. निश्‍चित रूप से यह परिस्थिति जम्मू की बड़ी राजनीतिक पार्टियों के लिए एक चुनौती के तौर पर उभर रही है. दूसरी ओर राज्य की विधानसभा में उत्तरी कश्मीर के जिले कुपवाडा की नुमाइंदगी करने वाले शेख रशीद ने एक नई राजनीतिक पार्टी आवामी इत्तेहाद का गठन करके इनकी कठिनाइयों में और अधिक वृद्धि की है. रशीद का कहना है कि उनकी पार्टी भाजपा एवं उसके सहयोगी के साथ-साथ कांग्रेस और उसके सहयोगियों के विकल्प के रूप में सामने आएगी. हालांकि यह पार्टी हाल में ही अस्तित्व में आई है और इसका प्रभाव लोगों पर कितना पडेगा, यह तो परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा. लेकिन इतना कहा जा सकता है कि ये पार्टियां इस क्षेत्र में बड़ी पार्टियों के लिए मुसीबत खड़ा करेगी.
आप पार्टी ने यहां से बलियान सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. शुरुआती दिनों में ऐसा लग रहा था कि यह पार्टी जम्मू में भी अपना रंग दिखाएगी, लेकिन जनता मेंे इसका प्रभाव कम होता नजर आ रहा है. जम्मू की जनता ने यह महसूस करना शुरू कर दिया है कि अन्य पार्टियों की तरह इसके पास भी कोई ठोस रणनीति नहीं है. दूसरी ओर चिनाब घाटी और पीर पंचाल में पहले एक नया राजनीतिक फ्रंट बन चुका है. जो कि इन तमाम राष्ट्रीय पार्टियों के विरुद्ध माहौल बनाएगा. स्पष्ट है कि ये परिस्थितियां अन्य सभी पार्टियोंे के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं. ऐसे में इस बार जम्मू का चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है. ग़ौरतलब है कि जम्मू में 66 प्रतिशत हिंदू हैं और यहां से अधिकतर कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार ही सफल होते रहे हैं. सिर्फ एक बार 1977 में ठाकुर बलदेव सिंह को सफलता मिली थी. उससे पूर्व 1967 और 1971 में कांग्रेस के आई जी मल्होत्रा सफल हुए थे. इसके बाद लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार ही जीते. 1980 में गिरधारी लाल डोगरा. 1984 और 1989 में जंगराज गुप्ता सफल हुए थे, लेकिन 1991 में इस क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार विष्णु दत्त शर्मा को सफलता मिली थी, लेकिन 1996 में कांगे्रेस के उम्मीदवार मंगत राम शर्मा ने सफलता पाई. इसके बाद लगातार दो चुनावों यानि 1998 और 1999 में भाजपा के उम्मीदवार विष्णु दत्त शर्मा को सफलता मिली. हालांकि, 2002 के चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार चौधरी तालिब हुसैन ने जीत दर्ज हासिल की थी, लेकिन 2004 और 2009 में कांग्रेस के उम्मीदवार मदन लाल शर्मा जीत गए. पिछले चुनाव में मदन लाल शर्मा 3,82,305 मत हासिल किए.

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